मैंने कई साल पहले ऑस्ट्रेलिया के एक किशोर के साथ काम किया था। यह किशोर डॉक्टर और सर्जन बनना चाहता था, लेकिन उसके पास पैसा नहीं था; न ही उसने हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी की थी। ख़र्च निकालने के लिए वह डॉक्टरों के ऑफिस साफ करता था, खिड़कियाँ धोता था और मरम्मत के छुटपुट काम करता था। उसने मुझे बताया कि हर रात जब वह सोने जाता था, तो वह दीवार पर टंगे डॉक्टर के डिप्लोमा का चित्र देखता था, जिसमें उसका नाम बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा था। वह जहाँ काम करता था, वहाँ वह डिप्लोमाओं को साफ करता और चमकाता था, इसलिए उसे मन में डिप्लोमा की तस्वीर देखना या उसकी कल्पना करना मुश्किल नहीं था। मैं नहीं जानता कि उसने इस तस्वीर को देखना कितने समय तक जारी रखा, लेकिन उसने यह कुछ महीनों तक किया होगा। जब वह लगन से जुटा रहा, तो परिणाम मिले। एक डॉक्टर इस लड़के को बहुत पसंद करने लगा। उस डॉक्टर ने उसे औज़ारों को कीटाणुरहित करने, इंजेक्शन लगाने और प्राथमिक चिकित्सा के दूसरे कामों की कला का प्रशिक्षण दिया। वह किशोर उस डॉक्टर के ऑफिस में तकनीकी सहयोगी बन गया। डॉक्टर ने उसे अपने खर्च पर हाई स्कूल और बाद में कॉलेज भी भेजा। आज
लीडर में नेतृत्व करने की प्रबल इच्छा होती है। यहाँ जो चीज़ बेहद ज़रूरी है, वह है स्वावलंबन। रोचक बात यह है कि लीडर्स में बहुत व्यक्तिवादी होने की प्रवृत्ति होती है। वे बागडोर अपने हाथ में थामना चाहते हैं। उनमें स्वायत्त होने की प्रवृत्ति होती है। वे अपने निर्णय ख़ुद लेना पसंद करते हैं।
वे यह भी पहचानते हैं कि अगर वे नियंत्रण और स्वायत्तता की मनचाही स्थिति में पहुँचना चाहते हैं, तो उनके पास अच्छे अनुयायी होने चाहिए। ऐसे अनुयायी, जो आदेशों का शब्दशः पालन करें।
लीडर कमान थामना पसंद करते हैं। वे नियंत्रण में रहने और ज़िम्मेदारी लेने से प्रेम करते हैं। कई लोग लीडर नहीं बनना चाहते, और यह ज़रूरी भी नहीं है कि हर व्यक्ति लीडर बने, लेकिन अगर आपमें लीडर बनने की क्षमता है, तो आपके मन में नियंत्रण थामने की ज़बर्दस्त इच्छा और आकांक्षा होनी चाहिए। यदि ऐसा है, तो आपको नेतृत्व की ज़िम्मेदारियाँ उठाने के लिए खुद को तैयार करना चाहिए।
हर लीडर की सात मुख्य ज़िम्मेदारियाँ होती हैं, जो किसी स्थिति या संगठन में कभी नहीं बदलती हैं। जो लोग नेतृत्व करना चाहते हैं, वे इन सातों क्षेत्रों में सर्वश्रेष्ठ बनने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं।
लीडर की सात मुख्य जिम्मेदारियां :
1. लक्ष्य तय करें और हासिल करें। सर्वश्रेष्ठ लीडर यह जानते हैं कि कंपनी को हर महत्त्वपूर्ण क्षेत्र में कौन से लक्ष्य हासिल करने चाहिए और वे हर लक्ष्य हासिल करने में समर्थ होते हैं। व्यवसाय मैं इसका मतलब है बिक्री बढ़ाने और मुनाफ़े के लक्ष्य तय करना। उन लक्ष्यों तक पहुँचने के लिए रणनीतिक और मार्केटिंग नियोजन में व्यवसाय के किसी भी हिस्से को अछूता ना छोड़ें।
2. नवाचार और मार्केटिंग करें। आप या आपकी कंपनी हमेशा से जो करती आ रही है, वही ना करते रहें। इस तरह आपको नए ग्राहक नहीं मिलेंगे। इस तरह आप वे लक्ष्य हासिल नहीं कर पाएँगे, जो आपने पहली ज़िम्मेदारी तय किए थे। नवाचार करें और फिर मार्केटिंग करें आप जो करते हैं, उसे बेचें और आपने जो बनाया उसे बेचें।
3. समस्याएँ सुलझाएँ और निर्णय लें। सफलता के मार्ग में आने वाली विपत्तियों से उबरना या अवरोधों को पार करना आप पर निर्भर करता है। आप जिस पद पर बैठे हैं, उसके मुश्किल निर्णय आपको ही लेने हैं। हर अधूरा लक्ष्य एक अनसुलझी समस्या है। अगर आप बिक्री के लक्ष्यों तक नहीं पहुँच पाए हैं, तो यह एक अनसुलझी समस्या है। अगर आप अब भी अपने बाज़ार में पराजित हो रहे हैं, तो यह भी एक अनसुलझी समस्या है।
4. प्राथमिकताएँ तय करें और मुख्य कामों पर ध्यान केंद्रित करें। किसी भी लीडर के पास असीमित लोग, असीमित पैसा या असीमित संसाधन नहीं होते। यह जानना लीडर का काम है कि संगठन के संसाधनों का किस तरह इस्तेमाल किया जाए, जिससे संगठन की सकल सफलता में सर्वश्रेष्ठ योगदान मिले। इस ज़िम्मेदारी में समय का प्रबंधन भी शामिल है। समय सबसे दुर्लभ संसाधन है और जो लीडर अपने समय को सही तरीके से आवंटित करना नहीं सीखते हैं, वे असफल हो जाएंगे।
5. लोगों के रोल मॉडल बनें। लोग अपने लीडर को देखते हैं और उनके व्यवहार तथा नज़रियों का अनुकरण करते हैं। अपने चरित्र, व्यक्तित्व और कामकाजी आदतों के ज़रिये आपको उन गुणों की मिसाल पेश करनी चाहिए, जिन्हें आप दूसरों में देखना चाहते हैं।
6. अपना अनुसरण करने के लिए दूसरों को राज़ी और प्रेरित करें। लीडर अपनी टीमों, विभागों या संगठनों को प्रेरित करते हैं कि उन्होंने संगठन के लिए जो स्वप्न, मिशन और विशिष्ट लक्ष्य तय किए हैं, वे उनमें विश्वास करें। अनुयायियों के बिना कोई भी लीडर कभी लीडर नहीं होता है, चाहे वह किसी भी पद पर क्यों ना बैठा हो।
7. परिणाम पाएँ। लीडर्स से प्रदर्शन की उम्मीद की जाती है। कोई बहाने नहीं चलते हैं। परिणाम हासिल ना करने के किसी भी तरह के कारण स्वीकार नहीं किए जाते हैं। यह ज़िम्मेदारी सबसे महत्त्वपूर्ण ज़िम्मेदारी होती है।
गोल की तरफ़ बढ़ने वाले खिलाड़ी की तरह लीडर इन ज़िम्मेदारियों को स्वीकार करता है। लीडर चाहता है कि उसे जवाबदेह ठहराया जाए। वह चाहता है कि उसे कंपनी के लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए ज़िम्मेदार माना जाए। वह चाहता है कि उसे सफलता के वास्ते आवश्यक परिणाम हासिल करने के लिए ज़िम्मेदार माना जाए। लीडर इस बात को पहचानते हैं कि सफलता कर्मचारियों के साथ साझेदारी से मिलती है, लेकिन अंततः वे बागडोर अपने हाथों में रखना चाहते हैं।
जो लोग नेतृत्व करना चाहते हैं, वे जानते हैं कि परिणामों के लिए उन्हें जवाबदेह ठहराया जाएगा और वे परिणामों के लिए ज़िम्मेदार बनना भी चाहते हैं। वे चाहते हैं कि संगठन की सफलता के लिए उन्हें जवाबदेह ठहराया जाए। और अगर कोई चीज़ ग़लत हो जाती है, तो वे दोष अपने सिर पर लेने को तैयार रहते हैं।
लीडर के रूप में कभी, किसी भी कारण से दूसरों की आलोचना ना करें। अपनी स्थिति के बारे में शिकायत ना करें। अपनी शब्दावली से 'क्या हो अगर' और 'काश' जैसे शब्द हटा दें। इस बात पर ध्यान केंद्रित करें कि आप क्या चाहते हैं और आप कहाँ जा रहे हैं। और अगर कोई ऐसी चीज़ है, जिसे दुरुस्त करने की ज़रूरत हो, तो उसे दुरुस्त करने की ज़िम्मेदारी लें।
जवाबदेही स्वीकार करने की वजह से ही लीडर व्यक्तिगत रूप से शक्तिशाली महसूस करते हैं। उनके मन में ख़ुद पर और अपने जीवन पर नियंत्रण का अहसास होता है। ज़िम्मेदारी स्वीकार करने से उन्हें आत्मविश्वास और ऊर्जा मिलती है। वे सक्षम और समर्थ महसूस करते हैं।
जो लोग बहाने बनाते हैं, दूसरों को दोष देते हैं या शिकायत करते हैं, वे अपनी शक्ति कम कर लेते हैं। वे अपने संकल्प को कमज़ोर कर लेते हैं। वे ख़ुद को यह विश्वास दिला देते हैं कि जो हो रहा है, उस पर उनका कोई नियंत्रण नहीं है। लीडर्स के मन में यह विश्वास होता है कि नियंत्रण की बागडोर उनके हाथ में है, वरना वे लीडर नहीं हो सकते। वे निष्क्रिय या संतोषी नहीं हो सकते। उन्हें पहल करनी ही होती है।
बड़े कॉरपोरेशन में काम करने वाले लीडर्स में भी स्व-रोज़गार वाला नज़रिया होता है। उनके मन में यह यक़ीन होता है कि वे अपने व्यक्तिगत सेवा कॉरपोरेशन के प्रेसिडेंट हैं। उनमें उद्यमिता का नज़रिया होता है। उनका उद्यमी नज़रिया उनके ज़िम्मेदारी और जवाबदेही अहसास को बढ़ा देता है।
जब आपमें नेतृत्व करने की इच्छा होती है, तो आप बाहरी परिस्थितियों की वजह से धीमे नहीं होते हैं। इसीलिए जिन लोगों के भीतर नेतृत्व की आग है, वे 'सही समय' का इंतज़ार नहीं करते हैं। सही समय अभी है। सही समय यही है। संसार की कुछ सबसे महान कंपनियाँ आर्थिक मुश्किलों के दौर में बनी थीं। वाल्ट डिज़नी, बिल ह्यूलेट व डेविड पैकर्ड और आईबीएम के टॉम वाटसन कुछ लीडर हैं, जिन्होंने अमेरिका के सबसे बुरे आर्थिक संकटों में अपनी महान कंपनियाँ शुरू की थीं। फेडेक्स, हयाट, एमटीवी और ट्रेडर जोस जैसी कंपनियाँ भी मंदी में शुरू हुई थीं।
याद रखें, कभी भी ज़रूरत से ज़्यादा लीडर नहीं हो सकते। जितने लीडर्स की आवश्यकता है, उससे ज़्यादा लीडर कभी होंगे भी नहीं। संसार में लीडर्स की कमी हमेशा रही है और हमेशा रहेगी। क्या आपमें नेतृत्व करने की इच्छा है?
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