कैलिफोर्निया में एक टीचर को हर साल पाँच-छह हजार डॉलर का वेतन मिलता था। उसने एक दुकान में एक सुंदर सफेद अर्मीन कोट देखा, जिसका भाव 8,000 डॉलर था। उसने कहा, "इतना पैसा बचाने में तो मुझे कई साल लग जाएँगे। मैं इसका ख़र्च कभी नहीं उठा सकती। ओह, मैं इसे कितना चाहती हूँ!" इन नकारात्मक अवधारणाओं से विवाह करना छोड़कर उसने सीखा कि वह अपना मनचाहा कोट, कार या कोई भी दूसरी चीज़ हासिल कर सकती है और इसके लिए उसे संसार में किसी को चोट पहुँचाने की ज़रूरत नहीं है। मैंने उससे यह कल्पना करने को कहा कि उसने कोट पहन रखा है। कि कल्पना में वह इसका सुंदर फर छुए, महसूस करे और इसे सचमुच पहनने की भावना जगाए। वह रात को सोने से पहले अपनी कल्पना की शक्ति का इस्तेमाल करने लगी। उसने अपनी कल्पना में वह कोट पहना, उसे सहलाया, उस पर हाथ फेरा, जिस तरह कि कोई बच्ची अपनी गुड़िया के साथ करती है। वह ऐसा हर रात करती रही और आख़िरकार उसे इस सबका रोमांच महसूस हो गया। वह हर रात यह काल्पनिक कोट पहनकर सोने गई और इसे हासिल करने पर वह बहुत खुश थी। तीन महीने गुज़र गए, लेकिन कुछ नहीं हुआ। वह डगमगाने वाली थी, लेकिन उसने खुद को य...
जब हिटलर पहली बार वियना गया, उस समय उसकी उम्र 16 वर्ष की भी नहीं थी, उस दौरान वियना में हिटलर की माता का देहांत हो गया, जब हिटलर ने "अकैडमी आफ फाइन आर्ट्स" की परीक्षा दी, तो हिटलर का मानना था, कि मैं चित्रकला के स्थान पर रेखाचित्र अर्थात वास्तुकला में अधिक योग्य हूं, जब उन्होंने परीक्षा का परिणाम सुना, कि वे परीक्षा में फेल हो गए हैं, तो उन्हें ऐसा लगा, जैसे उन पर बिजली टूट गई हो, उस समय वे दूसरी बार वियना आए थे। कुछ ही दिनों में उन्हें एहसास हो गया, कि मुझे वास्तुकार बनना चाहिए, पर यह रास्ता बहुत कठिन था, मानवीय मापदंडों के अनुसार चित्रकला में प्रशिक्षण पाने का मेरा शौक अब संभावनाओं से परे लग रहा था, मेरी माता की मृत्यु के बाद मैंने अब निश्चय कर लिया कि मैं वास्तुकार ही बनूंगा, मेरे पिता का चित्र हमेशा मेरे सामने रहता था जो एक गरीब मोची के बेटे थे उन्होंने अपने ही प्रयासों से सरकारी नौकरी प्राप्त की थी। जैसे-जैसे मेरी मुश्किलें बढ़ती गई, वैसे-वैसे मेरे इरादे भी पक्के होते गए, और अंत में मेरे विश्वास की जीत हुई, मैं अपने जीवन के इस चरण का आभारी हूं, क्योंकि इस समय से ही मैं ...