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समय का प्रबंधन आपका मूल्य तय करता है

समय का प्रबंधन दरअसल जीवन का प्रबंधन है, आपकी व्यक्तिगत उत्पादकता को बेहतर बनाने का काम आपके मूल्यों के परीक्षण से शुरू होता है।  मर्फी का नियम कहता है कि कोई चीज़ करने से पहले आपको कोई दूसरी चीज़ करनी पड़ती है। समय का उचित प्रबंधन करना भी तब तक संभव नहीं है, जब तक आपको सटीकता से यही ना मालूम हो कि आपका मूल्य क्या हैं। समय के अच्छे प्रबंधन के लिए आवश्यक है कि आपका घटनाओं के क्रम पर अपना नियंत्रण आपके लिए सबसे ज़्यादा महत्त्वपूर्ण आदर्शों के सामंजस्य में हों। यदि यह आपके लिए महत्त्वपूर्ण नहीं है, तो आप अपने समय का नियंत्रण हासिल करने के लिए कभी प्रेरित और संकल्पवान महसूस नहीं करेंगे। हर इंसान को जीवन में अर्थ और उद्देश्य की गहरी ज़रूरत होती है। व्यक्तिगत तनाव और अप्रसन्नता के मुख्य कारणों में से एक यह भावना है कि आप जो कर रहे हैं, उसका आपके सबसे अंदरूनी मूल्यों और विश्वासों के संदर्भ में कोई अर्थ और उद्देश्य नहीं है। आपको हमेशा यह प्रश्न पूछकर शुरू करना चाहिए, "क्यों?" आप समय प्रबंधन की तकनीकों में ज़्यादा कार्यकुशल बन सकते है लेकिन इससे आपका कोई भला नहीं होगा, अगर आप किसी अर्

आत्मा जीवित है या मर चुकी है आप कैसे पता करेंगे

व्यक्ति के जन्म से ही उसके शरीर के साथ उसकी आत्मा का संबंध रहता हैं, लेकिन यह संबंध कब तक रहता हैं, सभी लोग मानते हैं, या ऐसी धारणा है, कि व्यक्ति जब तक जीवित रहता है, उसकी आत्मा उसमें निवास करती है।  यह सही है, कि व्यक्ति जब तक जीवित हैं, तब तक उसमें आत्मा रहती हैं, लेकिन यह आत्मा कब तक उसमे क्रियाशील रहती हैं, इसके बारे में कोई कुछ नहीं बता सकता। आत्मा की क्रियाशीलता उसके आत्मबोध पर निर्भर करती है, अगर आपकी सोच पॉजिटिव है, और आपकी आत्मा आपको रास्ता दिखाती है, तो आपकी आत्मा क्रियाशीलता है, इसके विपरित अगर आपकी सोच नेगेटिव है, और आपकी आत्मा आपको रास्ता नहीं दिखाती है, तो इसका सीधा मतलब है, कि आपकी आत्मा आपमें शून्य के समान निवास तो करती है, लेकिन आपको रास्ता नहीं दिखाती है, अर्थात आपकी आत्मा शांत अवस्था में चली गई हैं, अगर इसे सही अर्थ में समझा जाए, जिसे मानवीय भाषा कहते हैं, तो इसका सीधा मतलब है, कि व्यक्ति की आत्मा मर चुकी है। अगर व्यक्ति की आत्मा मर चुकी है, तो यह आत्मा वापस कब जीवित होगी, इसके बारे में कोई कुछ नहीं कह सकता, आत्मा का संबंध सीधा आत्मबोध से हैं, जब व्यक्ति का आत्मबोध,