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कैलिफोर्निया में एक टीचर को हर साल पाँच-छह हजार डॉलर का वेतन मिलता था। उसने एक दुकान में एक सुंदर सफेद अर्मीन कोट देखा, जिसका भाव 8,000 डॉलर था। उसने कहा, "इतना पैसा बचाने में तो मुझे कई साल लग जाएँगे। मैं इसका ख़र्च कभी नहीं उठा सकती। ओह, मैं इसे कितना चाहती हूँ!" इन नकारात्मक अवधारणाओं से विवाह करना छोड़कर उसने सीखा कि वह अपना मनचाहा कोट, कार या कोई भी दूसरी चीज़ हासिल कर सकती है और इसके लिए उसे संसार में किसी को चोट पहुँचाने की ज़रूरत नहीं है। मैंने उससे यह कल्पना करने को कहा कि उसने कोट पहन रखा है। कि कल्पना में वह इसका सुंदर फर छुए, महसूस करे और इसे सचमुच पहनने की भावना जगाए। वह रात को सोने से पहले अपनी कल्पना की शक्ति का इस्तेमाल करने लगी। उसने अपनी कल्पना में वह कोट पहना, उसे सहलाया, उस पर हाथ फेरा, जिस तरह कि कोई बच्ची अपनी गुड़िया के साथ करती है। वह ऐसा हर रात करती रही और आख़िरकार उसे इस सबका रोमांच महसूस हो गया। वह हर रात यह काल्पनिक कोट पहनकर सोने गई और इसे हासिल करने पर वह बहुत खुश थी। तीन महीने गुज़र गए, लेकिन कुछ नहीं हुआ। वह डगमगाने वाली थी, लेकिन उसने खुद को य...

Adolf Hitler का अपने राष्ट्र के प्रति समर्पण

हिटलर के शासनकाल का जर्मनी कुछ और था, और उससे पहले कुछ और रूप लिए हुए था, और अब जो कुछ है, वह उससे अलग हैं, तथा आने वाले समय में इससे भिन्न होगा। परिवर्तन प्रकृति का नियम है, जर्मनी कई बार टूटा और फिर संगठित हुआ है, उसके टूटने और जुड़ने का क्रम चलता रहा है, पर वह एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में अब भी जीवित हैं। समय और इतिहास स्थिर नहीं है, जो एक क्षण पहले था, वह अब नहीं है, और अगले क्षण कुछ और ही होगा। हिटलर की बदनामी के तीन मुख्य कारण थे : 1. फासिस्टवादी विचारधारा  2. जातियतावाद और  3. युद्ध की मानसिकता यही वो तीन कारण जो उसे विश्व मानवता का शत्रु मानते थे। क्या वास्तव में हिटलर मानवता का शत्रु था ...  उसका अपनी मातृभूमि के प्रति अपार श्रद्धा और असीम गौरव का नाम ही सच्चा राष्ट्रवाद है, यदि राष्ट्रीय भावना जीवित है तो अंतरराष्ट्रीयवाद भी जीवित हैं, अपने देश से प्रेम और उसके प्रति निष्ठा देशवासी होने का स्वाभिमान, और देश के लिए बलिदान की भावना तथा राष्ट्र के लिए सर्वस्व निछावर करने की चाह जैसे गुणों का होना हमारा उद्देश्य होना चाहिए।