समय का प्रबंधन दरअसल जीवन का प्रबंधन है, आपकी व्यक्तिगत उत्पादकता को बेहतर बनाने का काम आपके मूल्यों के परीक्षण से शुरू होता है। मर्फी का नियम कहता है कि कोई चीज़ करने से पहले आपको कोई दूसरी चीज़ करनी पड़ती है। समय का उचित प्रबंधन करना भी तब तक संभव नहीं है, जब तक आपको सटीकता से यही ना मालूम हो कि आपका मूल्य क्या हैं। समय के अच्छे प्रबंधन के लिए आवश्यक है कि आपका घटनाओं के क्रम पर अपना नियंत्रण आपके लिए सबसे ज़्यादा महत्त्वपूर्ण आदर्शों के सामंजस्य में हों। यदि यह आपके लिए महत्त्वपूर्ण नहीं है, तो आप अपने समय का नियंत्रण हासिल करने के लिए कभी प्रेरित और संकल्पवान महसूस नहीं करेंगे। हर इंसान को जीवन में अर्थ और उद्देश्य की गहरी ज़रूरत होती है। व्यक्तिगत तनाव और अप्रसन्नता के मुख्य कारणों में से एक यह भावना है कि आप जो कर रहे हैं, उसका आपके सबसे अंदरूनी मूल्यों और विश्वासों के संदर्भ में कोई अर्थ और उद्देश्य नहीं है। आपको हमेशा यह प्रश्न पूछकर शुरू करना चाहिए, "क्यों?" आप समय प्रबंधन की तकनीकों में ज़्यादा कार्यकुशल बन सकते है लेकिन इससे आपका कोई भला नहीं होगा, अगर आप किसी अर्
एडोल्फ हिटलर के माता पिता की मृत्यु के बारे में अगर हमें जानकारी होती है, तो इस किताब के द्वारा होती है, जिस किताब को हिटलर ने स्वयं लिखा था, इस किताब का नाम है, मेरा संघर्ष अर्थात MEIN KAMPF इसमें हिटलर ने अपने बारे में विस्तृत रूप से बताया है, इस किताब को हिटलर ने स्वयं लिखा था। इसमें बताया गया है, कि हिटलर के पिता की मृत्यु जब हिटलर 13 वर्ष का भी नहीं था, उस समय उसके पिता की मृत्यु हो गई थी, और 2 वर्ष पश्चात् ही उसकी माता की भी मृत्यु हो गई थी, उस समय उसकी उम्र 16 वर्ष से भी कम थी। अगर हिटलर के पिता की बात करें तो हिटलर के पिता एक गरीब और झोपड़ी में रहने वाले के पुत्र थे, उन्होंने बचपन में ही घर छोड़ दिया था, क्योंकि उन्हें कुछ बनना था, तब उनकी उम्र केवल 13 वर्ष की रही होगी, उनके गांव वालों ने हिटलर के पिता को काफी समझाया, लेकिन वे नहीं माने, और किसी नए हुनर को सीखने के लिए वियना चले गए। उन्होंने 17 वर्ष की उम्र में कारीगरी की ट्रेनिंग की परीक्षा पास की, लेकिन वे उस काम से भी संतुष्ट नहीं थे, उन्हें तो एक सरकारी अधिकारी बनना था, उन्होंने इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए काफी संघर