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हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के शोधकर्ताओं द्वारा शोध लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

डॉक्टर बनने की चाहत क्या आपको डॉक्टर बना सकती है? जी हा! कैसे

मैंने कई साल पहले ऑस्ट्रेलिया के एक किशोर के साथ काम किया था। यह किशोर डॉक्टर और सर्जन बनना चाहता था, लेकिन उसके पास पैसा नहीं था; न ही उसने हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी की थी। ख़र्च निकालने के लिए वह डॉक्टरों के ऑफिस साफ करता था, खिड़‌कियाँ धोता था और मरम्मत के छुटपुट काम करता था।  उसने मुझे बताया कि हर रात जब वह सोने जाता था, तो वह दीवार पर टंगे डॉक्टर के डिप्लोमा का चित्र देखता था, जिसमें उसका नाम बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा था। वह जहाँ काम करता था, वहाँ वह डिप्लोमाओं को साफ करता और चमकाता था, इसलिए उसे मन में डिप्लोमा की तस्वीर देखना या उसकी कल्पना करना मुश्किल नहीं था। मैं नहीं जानता कि उसने इस तस्वीर को देखना कितने समय तक जारी रखा, लेकिन उसने यह कुछ महीनों तक किया होगा। जब वह लगन से जुटा रहा, तो परिणाम मिले। एक डॉक्टर इस लड़के को बहुत पसंद करने लगा। उस डॉक्टर ने उसे औज़ारों को कीटाणुरहित करने, इंजेक्शन लगाने और प्राथमिक चिकित्सा के दूसरे कामों की कला का प्रशिक्षण दिया। वह किशोर उस डॉक्टर के ऑफिस में तकनीकी सहयोगी बन गया। डॉक्टर ने उसे अपने खर्च पर हाई स्कूल और बाद में कॉलेज भी भेजा। आज

हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के शोधकर्ताओं द्वारा शोध

हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में 1979 और 1989 के बीच हार्वर्ड में हुए एक अध्ययन के बारे में बताया गया है, 1979 में हार्वर्ड कि एमबीए ग्रैजुएट्स से पूछा गया, क्या आपने अपने भविष्य के लिए स्पष्ट लिखित लक्ष्य तय किए हैं और उन्हें हासिल करने की कोई योजना बनाई है ? पता चला कि सिर्फ 3 प्रतिशत ग्रैजुएट्स के पास लिखित लक्ष्य और योजनाएं थी, 13 प्रतिशत के पास लक्ष्य तो थे लेकिन उन्होंने लिखें नहीं थे, 84 प्रतिशत के पास स्पष्ट लक्ष्य ही नहीं थे सिवाय इसके कि वह बिजनेस स्कूल से जाने के बाद गर्मियों का आनंद लें। दस साल बाद 1989 में शोधकर्ताओं ने उस क्लास के सदस्यों से दोबारा संपर्क किया उन्होंने पाया कि जिन 13 प्रतिशत के पास अलिखित लक्ष्य थे वे लक्ष्य न बनाने वाले 84 प्रतिशत विद्यार्थियों से औसतन दोगुना कमा रहे थे लेकिन उनमें सबसे आश्चर्यजनक बात तो यह थी कि हार्वर्ड छोड़ते वक्त जिन 3 प्रतिशत ग्रेजुएट्स के पास स्पष्ट, लिखित लक्ष्य थे वे बाकी सभी 97 प्रतिशत से औसतन दस गुना ज्यादा कमाई कर रहे थे इन लोगों के मामले में इकलौता फर्क स्पष्ट लक्ष्यों का था जो उन्होंने पढ़ाई पूरी करते वक्त बनाए थे। स्पष्टता का महत्