धम्मपदं : दुखों से मुक्ति और सुख शांति के जीवन का मार्ग : महाकारुणिक तथागत बुद्ध के उपदेशों का यह 'धम्मपद' अनमोल, अमृत वचन है। मानव जीवन का परम उद्देश्य होता है दुखों से मुक्ति और सुख शांति को पाना। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए यह ग्रंथ परिपूर्ण है। 'धम्मपद' 'धम्म' का सरल अर्थ है सदाचार अर्थात 'सज्जनों' द्वारा जीवन में धारण करने, पालन करने योग्य कर्तव्य। और 'पद' शब्द का अर्थ यहां 'मार्ग' माना गया है। इस प्रकार 'धम्मपद' का अर्थ होगा- धम्म यानी सदाचार (Morality) का मार्ग। ग्रंथ में 'पद' शब्द का एक दूसरा अर्थ भी माना गया है। वह अर्थ है, किसी का कथन, वचन, शिक्षा, उपदेश या वाणी। इस ग्रंथ में 'धम्मपद' का सरल अर्थ है- भगवान बुद्ध के शील सदाचार सम्बंधी उपदेश, वचन या वाणी। इस प्रकार 'धम्मपद' का अर्थ है- धम्म वचन या धम्मवाणी या धम्म देशना। आज से 2600 साल पहले भगवान बुद्ध ने, बुद्धत्व प्राप्ति के बाद 45 साल तक मध्य देश की आम बोलचाल की भाषा में 'बहुजन हिताय बहुजन सुखाय लोकानुकम्पाय' का जो संदेश और उपदेश दिय...
जहां तक इंसान में छिपी संभावनाओं को जानने के क्षेत्र की बात है, तो नीज धारणा को बीसवीं सदी की सबसे बड़ी खोज कहा जा सकता है, इसी सोच के मुताबिक हर इंसान जन्म से ही अपने बारे में एक धारणा कायम करता जाता है, फिर आपकी अपने बारे में यही धारणा ही आपके अवचेतन मन के कंप्यूटर को संचालित करने वाला मास्टर प्रोग्राम बन जाती है, फिर यही तय करती हैं, कि आप क्या सोचेंगे, क्या कहेंगे, महसूस करेंगे, और क्या करेंगे। यही वजह है कि आपकी जिंदगी में सारा बदलाव खुद के बारे में धारणा बदलने और अपने बारे में अपनी दुनिया के बारे में सोचने का अंदाज बदलते ही दिखाई देने लगता है, वास्तविकता चाहे जो हो जब आप किसी बात को सही मान लेते हैं, तो वही आपके लिए सच बन जाती हैं। एरिस्टोटल ने लिखा है "जिस किसी भी बात का प्रभाव पड़ता है वही अभिव्यक्ति होती हैं। अगर आपको ऐसे माता-पिता मिले हैं, जिन्होंने आपको लगातार यह बताया है कि आप कितने अच्छे हैं, जो आपसे प्यार करते थे, आप का समर्थन करते थे, और आप में यकीन करते थे, आपने चाहे जो किया या न किया हो, ऐसे में आप इस विश्वास के साथ बड़े होगे, कि आप एक अच्छे और ...