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डॉक्टर बनने की चाहत क्या आपको डॉक्टर बना सकती है? जी हा! कैसे

मैंने कई साल पहले ऑस्ट्रेलिया के एक किशोर के साथ काम किया था। यह किशोर डॉक्टर और सर्जन बनना चाहता था, लेकिन उसके पास पैसा नहीं था; न ही उसने हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी की थी। ख़र्च निकालने के लिए वह डॉक्टरों के ऑफिस साफ करता था, खिड़‌कियाँ धोता था और मरम्मत के छुटपुट काम करता था।  उसने मुझे बताया कि हर रात जब वह सोने जाता था, तो वह दीवार पर टंगे डॉक्टर के डिप्लोमा का चित्र देखता था, जिसमें उसका नाम बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा था। वह जहाँ काम करता था, वहाँ वह डिप्लोमाओं को साफ करता और चमकाता था, इसलिए उसे मन में डिप्लोमा की तस्वीर देखना या उसकी कल्पना करना मुश्किल नहीं था। मैं नहीं जानता कि उसने इस तस्वीर को देखना कितने समय तक जारी रखा, लेकिन उसने यह कुछ महीनों तक किया होगा। जब वह लगन से जुटा रहा, तो परिणाम मिले। एक डॉक्टर इस लड़के को बहुत पसंद करने लगा। उस डॉक्टर ने उसे औज़ारों को कीटाणुरहित करने, इंजेक्शन लगाने और प्राथमिक चिकित्सा के दूसरे कामों की कला का प्रशिक्षण दिया। वह किशोर उस डॉक्टर के ऑफिस में तकनीकी सहयोगी बन गया। डॉक्टर ने उसे अपने खर्च पर हाई स्कूल और बाद में कॉलेज भी भेजा। आज

आप भी जीनियस बन सकते हैं

यह सब बुद्धि का खेल है कि एक व्यक्ति में 10 से अधिक प्रकार की बुद्धि होती है। बहुल बुद्धियो ( multiple intelligence ) की अवधारणा के प्रवर्तक हावर्ड यूनिवर्सिटी के डॉक्टर हावर्ड गार्डनर के अनुसार आपने कम से कम 10 अलग-अलग बुद्धिया होती हैं जिनमें से किसी एक में आप जीनियस हो सकते हैं। दुर्भाग्य से स्कूल कॉलेजों में सिर्फ दो ही बुद्धियों को नापा जाता है और उन्हीं पर ध्यान दिया जाता है शाब्दिक और गणितीय, लेकिन अन्य बुद्धिया भी होती है जैसे विजीयो स्पेसियल बुद्धि ( कला, डिजाइन ), उधमी बुद्धि ( बिज़नेस खड़ा करना ), शारीरिक या काइनेस्थेटिक बुद्धि ( खेलकूद ), सांगीतिक बुद्धि ( वाद्ययंत्र बजाना या संगीत की रचना करना ), सामाजिक बुद्धि ( दूसरों के साथ मिलकर चलना ), इंटरापर्सनल बुद्धि ( गहरे स्तर पर खुद को समझना ), सहज बुद्धि ( सही चीज करने या कहने की योग्यता ), कलात्मक बुद्धि ( कलाकृतियां बनाना ), या अमूर्त बुद्धि ( भौतिकी, विज्ञान ) । आप इनमें से किसी में भी जीनियस हो सकते हैं।   जैसा कि एक सिटी स्कूल के साइन बोर्ड पर लिखा था "ईश्वर घटिया सामान नहीं बनाता।" हर इंसान में किसी न किसी क्षे