मन सभी धर्मों, कर्मों, प्रवृतियों का अगुआ है। सभी कर्मों (धर्मों) में मन पूर्वगामी है। मन ही प्रधान है, प्रमुख है, सभी धर्म (चैत्तसिक अवस्थाएं) पहले मन में ही पैदा होती हैं। मन सभी मानसिक प्रवृतियों में श्रेष्ठ है, स्वामी है। सभी कर्म मनोमय है। मन सभी मानसिक प्रवृतियों का नेतृत्व करता है क्योंकि सभी मन से ही पैदा होती है। जब कोई व्यक्ति अशुद्ध मन से, मन को मैला करके, बुरे विचार पैदा करके वचन बोलता है या शरीर से कोई पाप कर्म (बुरे कर्म) करता है, तो दुख उसके पीछे-पीछे वैसे ही हो लेता है जैसे बैलगाड़ी खींचने वाले बैलों के पैरों के पीछे-पीछे चक्का (पहिया) चलता है। मन सभी प्रवृतियों, भावनाओं का पुरोगामी है यानी आगे-आगे चलने वाला है। सभी मानसिक क्रियाकलाप मन से ही उत्पन्न होते हैं। मन श्रेष्ठ है, मनोमय है। मन की चेतना ही हमारे सुख-दुख का कारण होती है। हम जो भी फल भुगतते हैं, परिणाम प्राप्त करते हैं। वह मन का ही परिणाम है। कोई भी फल या परिणाम हमारे विचार या मन पर निर्भर है। जब हम अपने मन, वाणी और कमों को शुद्ध करेंगे तभी दुखों से मुक्ति मिल सकती है। मन हमारी सभी प्रकार की भावनाओं, प्रव...
आपको एक स्पाइरल नोटबुक लेनी है, और उसमें अपने लक्ष्य को सबसे ऊपर लिखना है, किसी भी लक्ष्य को लिखने का सबसे अच्छा समय सुबह का होता है, आप एक लक्ष्य को एक सवाल के रूप में लिख सकते हैं, और फिर उस सवाल के बीस जवाब खोज सकते हैं। जब आप किसी सवाल पर बार-बार अभ्यास करते हैं, तो आप जितना ज्यादा अभ्यास करते हैं, इस बात की उतनी ही ज्यादा संभावना होती है, कि आप बिल्कुल अप्रत्याशित क्रांतिकारी विचारों को प्रेरित कर सकते हैं, इस तरह आप हर सप्ताह सौ नए विचार पैदा कर सकते हैं और हर साल आप पांच हजार नए विचार पैदा कर सकते हैं। अगर आप हर दिन एक नए विचार को लागू करते हैं तो आप अपने लक्ष्य की ओर ज्यादा तेजी से आगे बढ़ने लगते हैं इस तरह आप अपने जीवन में हर साल करीब तीन सौ नए विचारों पर अमल करते हैं। जब आप इस अभ्यास को नियमित रूप से करते हैं, तो आप अपने क्षेत्र में ज्यादा बेहतर स्थिति में होंगे, और आप जल्द ही किसी भी चीज में एक सफल व्यक्ति होंगे, एक अच्छे विचार से आपकी परसों की कड़ी मेहनत या हजारों रुपए बच सकते हैं, बहुत से अच्छे विचारों का संग्रह आपको बिना असफलता के अमीर, खुश और सफल बना सकता है। अगर आप व...