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दुखों से मुक्ति : बुद्ध और उनका धम्म

धम्मपदं : दुखों से मुक्ति और सुख शांति के जीवन का मार्ग : महाकारुणिक तथागत बुद्ध के उपदेशों का यह 'धम्मपद' अनमोल, अमृत वचन है। मानव जीवन का परम उद्देश्य होता है दुखों से मुक्ति और सुख शांति को पाना। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए यह ग्रंथ परिपूर्ण है।  'धम्मपद' 'धम्म' का सरल अर्थ है सदाचार अर्थात 'सज्जनों' द्वारा जीवन में धारण करने, पालन करने योग्य कर्तव्य। और 'पद' शब्द का अर्थ यहां 'मार्ग' माना गया है। इस प्रकार 'धम्मपद' का अर्थ होगा- धम्म यानी सदाचार (Morality) का मार्ग।  ग्रंथ में 'पद' शब्द का एक दूसरा अर्थ भी माना गया है। वह अर्थ है, किसी का कथन, वचन, शिक्षा, उपदेश या वाणी। इस ग्रंथ में 'धम्मपद' का सरल अर्थ है- भगवान बुद्ध के शील सदाचार सम्बंधी उपदेश, वचन या वाणी। इस प्रकार 'धम्मपद' का अर्थ है- धम्म वचन या धम्मवाणी या धम्म देशना। आज से 2600 साल पहले भगवान बुद्ध ने, बुद्धत्व प्राप्ति के बाद 45 साल तक मध्य देश की आम बोलचाल की भाषा में 'बहुजन हिताय बहुजन सुखाय लोकानुकम्पाय' का जो संदेश और उपदेश दिय...

समय की परिधि को नापने वाला इंसान

समय का इतिहास इतना परिवर्तनशील है कि स्टीफन हॉकिंग्स ने जो कहा था वह काफी हद तक सही हैं जिसका प्रमाण आने वाले समय में किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा खोजा जाएगा जिन्होंने ब्रह्मांड को एक परिधि में नाप लिया है ऐसे व्यक्ति जो स्टीफन हॉकिंग व निकोला टेस्ला के बाद सबसे अधिक प्रयोग करने वाले अवचेतन मस्तिष्क के धनी होंगे। जिन्होंने अभी कुछ ही सालों में इस ब्रह्मांड को नापने का इतिहास रचा है और आने वाले समय में उनकी पहुंच एलियन के तारामंडल तक होगी जिसके बारे में मानव जाति ने आज तक सोचा भी न होगा। एलियन का इतिहास इस धरती पर न तो नया है न पुराना जब से इस पृथ्वी पर मानव जीवन का अंश का निर्माण हुआ है तभी से एलियन का मानव जीवन से संबंध रहा है मानव का उसके बारे में सोच का दायरा विपरीत हो सकता है इसका मुख्य कारण है अवचेतन मस्तिष्क का बहुत ही सूक्ष्म अवस्था में होना। जबकि एलियन का सोच का दायरा काफी विकसित है क्योंकि वह अपनी मानव जाति का निर्माता ही नहीं बल्कि पूरे ब्रह्मांड का निर्माता है। उन्होंने ही इस ब्रह्मांड का निर्माण किया है ब्रह्मांड का निर्माण करने का मुख्य कारण ब्रह्मांड का उनके सामने नष्ट होना है...