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मन ही प्रधान है, स्वामी है, सुख-दुख का कारण है #धम्मपद💫1

मन सभी धर्मों, कर्मों, प्रवृतियों का अगुआ है। सभी कर्मों (धर्मों) में मन पूर्वगामी है। मन ही प्रधान है, प्रमुख है, सभी धर्म (चैत्तसिक अवस्थाएं) पहले मन में ही पैदा होती हैं। मन सभी मानसिक प्रवृतियों में श्रेष्ठ है, स्वामी है। सभी कर्म मनोमय है। मन सभी मानसिक प्रवृतियों का नेतृत्व करता है क्योंकि सभी मन से ही पैदा होती है।  जब कोई व्यक्ति अशुद्ध मन से, मन को मैला करके, बुरे विचार पैदा करके वचन बोलता है या शरीर से कोई पाप कर्म (बुरे कर्म) करता है, तो दुख उसके पीछे-पीछे वैसे ही हो लेता है जैसे बैलगाड़ी खींचने वाले बैलों के पैरों के पीछे-पीछे चक्का (पहिया) चलता है। मन सभी प्रवृतियों, भावनाओं का पुरोगामी है यानी आगे-आगे चलने वाला है। सभी मानसिक क्रियाकलाप मन से ही उत्पन्न होते हैं। मन श्रेष्ठ है, मनोमय है। मन की चेतना ही हमारे सुख-दुख का कारण होती है। हम जो भी फल भुगतते हैं, परिणाम प्राप्त करते हैं। वह मन का ही परिणाम है। कोई भी फल या परिणाम हमारे विचार या मन पर निर्भर है। जब हम अपने मन, वाणी और कमों को शुद्ध करेंगे तभी दुखों से मुक्ति मिल सकती है। मन हमारी सभी प्रकार की भावनाओं, प्रव...

लीडर का अपने काम के प्रति समर्पण

हमारे समाज में एक वर्ग है जिसे कर्मचारी वर्ग कहा जाता है  यह अपनी 50 प्रतिशत क्षमता से भी कम काम करता है और कई बार तो सिर्फ़ 40 प्रतिशत क्षमता से ही काम करता है। लीडर कर्मचारियों की इस 30, 40 या 50 प्रतिशत अतिरिक्त क्षमता को बाहर निकालते हैं, जिसकी बदौलत कर्मचारी अपने पुराने प्रदर्शन से बहुत ज़्यादा योगदान देते हैं।

कर्मचारियों को कौन सी चीज प्रोत्साहित करती है। वह कौन सी चीज़ है, जिसकी वजह से वे अपनी 30 से 50 प्रतिशत अतिरिक्त क्षमता को उजागर करेंगे। 

हमने प्रोत्साहन के 6 घटकों को चिन्हित किया है, जो औसत कर्मचारियों को असाधारण कर्मचारियों में बदलने की कुंजी हैं। 

1. लोगों को चुनौतीपूर्ण और रोचक काम दें, जब कर्मचारी मन लगाकर काम नहीं करते हैं, तो गैर-लीडर कर्मचारियों को दोष देते हैं, लेकिन लीडर इस बात को समझते हैं कि लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए आपको उन्हें प्रोत्साहित होने का कोई कारण देना होगा। उन्हें ऐसा काम दें, जो उनसे अतिरिक्त प्रयास कराए, उन्हें उनके आरामदेह दायरे से बाहर निकाले और विकास करने में उनकी मदद करे।

2. खुला संवाद लीडर कर्मचारियों को सिर्फ़ यही नहीं बताते हैं कि क्या करना है। वे यह भी स्पष्ट करते हैं कि वे इसे क्यों कर रहे हैं। अगर कर्मचारी यह समझ लेंगे कि उनके काम कैसे योगदान देते हैं, तो वे प्रेरित और प्रोत्साहित हो जाएँगे । 

3. ज़िम्मेदारी और जवाबदेही अगर कर्मचारियों को उनके कार्यों के लिए ज़िम्मेदार ठहराया जाता है, तो उनके मन लगाकर काम करने की ज़्यादा संभावना रहती है। इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ता है और आत्म- गौरव भी। लीडर जानते हैं कि अपने कर्मचारियों का समर्थन कैसे करना है। वे यह भी जानते हैं कि पीछे हटकर उन्हें पूरी ज़िम्मेदारी कैसे सौंपनी है।

4. व्यक्तिगत विकास और प्रमोशन अगर कर्मचारी महसूस करते हैं कि उनकी योग्यताएँ बढ़ रही हैं या वे कोई नई तथा महत्त्वपूर्ण चीज़ सीख रहे हैं, तो वे अपने सर्वश्रेष्ठ स्तर पर काम करने के लिए ज़्यादा प्रोत्साहित होंगे।

जहाँ तक प्रेरित या प्रोत्साहित करने की बात है, तो उनके बारे में ज़्यादातर लोग सबसे पहले सोचते हैं। मैं पैसा और कामकाजी परिस्थितियों की बात कर रहा हूँ। पैसा और कामकाजी परिस्थितियाँ कर्मचारियों को निश्चित रूप से प्रोत्साहित करते हैं।

कर्मचारियों की तीन प्रकार की भावनात्मक आवश्यकताएँ होती हैं, जिन्हें संतुष्ट करने पर वे प्रेरित और प्रोत्साहित हो जाएँगे। 

1. निर्भरता की आवश्यकता खुद को अपने से ज़्यादा बड़ी चीज़ का हिस्सा मानना। यह किसी भी ऐसी बड़ी कंपनी में एक महत्त्वपूर्ण तत्व है, जो कोई महत्त्वपूर्ण काम कर रही है। कर्मचारियों को ज़ोर देकर बार-बार बताएँ कि उनका काम कंपनी के लक्ष्यों के लिए मूल्यवान और महत्वपूर्ण है।

2. आत्मनिर्भरता की आवश्यकता लोग अपने व्यक्तिगत गुणों और उपलब्धियों के लिए मान्यता पाना चाहते हैं। जो वे व्यक्ति के रूप में हासिल कर रहे हैं। कर्मचारियों को व्यक्तिगत रूप से उनके बारे में बेहतरीन महसूस कराने के हर अवसर का लाभ लें। 

3. अंतर्निर्भरता की आवश्यकता यह महसूस करना कि आप किसी टीम का हिस्सा हैं, जो एक स्पष्ट लक्ष्य की दिशा में सफलतापूर्वक और सहयोगपूर्वक काम कर रही है। सर्वश्रेष्ठ लीडर कर्मचारियों के आपसी संबंधों को सौहार्दपूर्ण और उत्पादक बनाए रखने के तरीके लगातार खोजते रहते हैं।

जो लीडर इन तीनों भावनात्मक आवश्यकताओं को संतुष्ट कर देता है, उसके पास ऐसे कर्मचारी होंगे, जो खुश रहेंगे और कड़ी मेहनत करने तथा कंपनी की सफलता में योगदान देने के लिए प्रेरित होंगे।

काम सौंपना कर्मचारियों को प्रेरित और प्रोत्साहित करने का एक महत्त्वपूर्ण तरीका है, क्योंकि इससे वे उन कामों की ज़िम्मेदारी ले लेते है और विभाग या कंपनी के लक्ष्यों को अपने लक्ष्य समझने लगते हैं। यहाँ कुछ अनिवार्य चीजें हैं, जो आपको काम सौंपने या डेलीगेशन के बारे में जान लेनी चाहिए।

* सही व्यक्ति चुनें। अगर काम किसी भी कारण से गलत आदमी को सौंप दिया जाए, तो यह निश्चित रूप से असफलता की ओर ले जाता है। सही व्यक्ति को चुनना डेलीगेशन की धुरी है।

* काम की आवश्यकताओं और कर्मचारी की योग्यताओं में मेल रखें। क्या उस व्यक्ति के पास उस काम को पूरा करने के लिए आवश्यक योग्यताएँ और अनुभव है?

* सही व्यक्ति को प्रभावी ढंग से काम सौंपें। वे काम दूसरों को सौंपने के बारे में सोचें, जिन्हें दूसरे लोग कर सकते हैं, ताकि आप अपना समय ज़्यादा महत्त्वपूर्ण कामों में लगा सकें।

* छोटे काम स्टाफ़ के नए सदस्यों को सौंपें। इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा और ज़्यादा बड़े काम पूरा करने की योग्यता भी बढ़ेगी।

* पूरा काम सौंपें। लोग तब प्रोत्साहित होते हैं, जब उनके पास किसी काम की पूरी ज़िम्मेदारी होती है। 

* स्पष्ट परिणाम बता दें। स्पष्टता से समझा दें कि क्या करना है। परिणाम को मापने के लिए पैमाने तय कर दें। अगर आप इसे माप नहीं सकते, तो आप इसका प्रबंधन नहीं कर सकते ।

* सहभागिता और चर्चा के साथ काम सौंपें। किसी काम या ज़िम्मेदारी को सौंपते समय सहभागिता हमेशा ज़्यादा प्रेरक होती है। लोगों को प्रश्न पूछने और सुझाव देने के लिए आमंत्रित करें। इससे वे उसे अपना काम और अपनी ज़िम्मेदारी समझने लगेंगे।

जब आप कोई काम सौंपें, तो कर्मचारी से कहें कि वह आपके सामने दोहराए कि उसे क्या करना है। यह अनिवार्य है कि कर्मचारी पूरी स्पष्टता से समझ ले कि उसे क्या काम करना है।

 कोई काम किसी कर्मचारी को तब तक ना सौंपें, जब तक कि वह उसे लिख ना रहा हो। इस बात की 50 प्रतिशत संभावना है कि कर्मचारी आपके निर्देशों को ग़लत समझ रहा है, इसलिए उस गलती को पकड़ने के लिए यही सबसे उपयुक्त समय है। अगर ज़रूरी हो, तो उस व्यक्ति को लिखने के लिए कागज़ या राइटिंग पैड दे दें।

लीडर कई तरीक़ों से लोगों को प्रेरित और प्रोत्साहित करते हैं। एक तरीका है उत्साह जगाना। लीडर यह बात जानते हैं कि अपने कर्मचारियों को उत्साही सहभागी बनाना उन्हीं के हाथ में है।

लीडर अक्सर ख़ुद उत्साही बनकर उत्साह जगाते हैं। आप जो कर रहे हैं, उसके बारे में आप कितने रोमांचित और उत्साही हैं, इसी से तय होता है कि आप दूसरे लोगों को कितना रोमांचित व उत्साही बना सकते हैं। अगर आप बेहद उत्साही हैं, तो आपके कर्मचारी भी उत्साही होंगे, हालाँकि आपसे थोड़ी कम मात्रा में।

दूसरों को प्रेरित और प्रोत्साहित करने वाली एक और चीज़ है आपका समर्पण। लीडर 100 प्रतिशत समर्पित होते हैं। लीडर्स का एक गुण यह होता है कि वे पूरी तरह शामिल होते हैं 100 प्रतिशत। वे बस थोड़ा सा शामिल नहीं होते हैं, उनमें अपने काम के प्रति पूर्ण समर्पण का अहसास होता है। आपके समर्पण का स्तर ही आपके आस-पास के लोगों के समर्पण के स्तर को तय करता है।

वैसे आपके समर्पण का स्तर यह भी तय करेगा कि आपके वरिष्ठ अधिकारी आप पर कितना ध्यान देते हैं, क्योंकि बेहद समर्पित लोगों को कंपनी के लिए हमेशा ज़्यादा मूल्यवान माना जाता है और प्रमोशन में उन्हें ज़्यादा प्रमुखता दी जाती है। 

जो लोग अपना खुद का कारोबार चलाते हैं, वे भी पाएँगे कि अपनी खुद की कंपनी और प्रॉडक्ट और अपने ग्राहकों की सेवा के प्रति उनके उत्साह और समर्पण का स्तर ही मुख्य रूप से यह तय करता कि वे अपने क्षेत्र में लीडर बनते हैं या नहीं।

लीडर प्रोत्साहित करके भी दूसरों को सशक्त बनाते हैं। जब आप नेतृत्व की कहानियों का अध्ययन करते हैं, जिनमें जॉर्ज वॉशिंगटन वैली फ़ोर्ड में अपने सैनिकों को प्रोत्साहित कर रहे थे, नेपोलियन युद्ध में अपने सैनिकों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर रहे थे और सिकंदर महान युद्धभूमि में अपने दल को बता रहे थे कि उन्हें उन पर कितना ज़्यादा भरोसा है, तो आप जान जाते हैं कि प्रोत्साहन दूसरों को प्रेरित करने में कितना शक्तिशाली साधन है ।

लीडर विश्वास और आत्मविश्वास को प्रेरित करते हैं। अद्भुत बात यह है कि अगर हमें अपने नेतृत्व और अधिकारियों पर सच्चा विश्वास हो, तो हम ऐसी चीजें कर जाएँगे, जिनकी हमने कल्पना भी नहीं की होगी। अगर उन लोगों में हमारा विश्वास घट जाता है, तो हमारा प्रोत्साहन भी घट जाता है।

लीडर वफ़ादारी प्रेरित करते हैं और जैसा आप जानते हैं, वफ़ादारी ही वह सीमेंट है, जो किसी संगठन को एक साथ बाँधे रखती है। वफ़ादारी दरअसल किसी भी संगठन की सफलता के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण होती है। लीडर लोगों को कंपनी के प्रति पूरी तरह वफादार और समर्पित बनाते हैं।

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