एक बड़ा लक्ष्य तय करे और उसे हासिल करने के लिए छोटे-छोटे लक्ष्य बनाएं, एक सपना देखो, किसी सपने के लिए प्रयासरत हुए बिना अपने उज्जवल भविष्य की रचना आपके लिए कदाचित संभव न हो। जो कुछ उपलब्धि चाहते हो सपनों के पीछे पड़ जाना मानव स्वभाव के ताने-बाने में विद्यमान है, क्योंकि आपने अब तक भविष्य के बारे में विचार प्रक्रिया प्रारंभ ही नहीं की है। यदि आप स्वयं को आदर्शविहीन पायें तो अपने खास सपने की खोज करें एवं भविष्य की रचना में जुट जायें। उस सपने को सच बनाने का प्रयास प्रारंभ करना ही आपका अगला कदम है। सर्वप्रथम, यह आवश्यक है कि आपने सपना देख लिया है, किन्तु यह भी सुनिश्चित करना जरूरी है कि आप उसे साकार करने में प्रयासरत हों; सुनने में यह बात ठीक लगती है किन्तु वैसा कर पाना आसान भी नहीं है। ऐसे स्वप्नदृष्टा न बनें जिसे केवल सपनों के सच होने का इंतजार रहता है। सपनों का सच होना उस दिशा में किये गये प्रयास के आकार एवं उसके लिए आपके आग्रह का ही परिणाम है। मैं नहीं चाहता कि कोई भी अपने आदशों के बारे में सपने देखते हुए जीवन-यात्रा करे। अतः लगातार स्वयं से प्रश्न करते रहें "इस सपने को सच क...
जॉन डी. रॉकफेलर स्टैंडर्ड ऑयल कंपनी के संस्थापक और प्रख्यात अमेरिकी उद्योगपति बहुत कम शिक्षित थे। सोलह वर्ष की उम्र में वे बुककीपर का काम करने लगे। उनके मन में बिज़नेस करने का सपना था, इसलिये उन्होंने 23 वर्ष की उम्र में ऑयल बिज़नेस के क्षेत्र में क़दम रखा। अपनी बुद्धि से प्रतियोगियों को परास्त करते हुए रॉकफेलर अमेरिका की 90 प्रतिशत ऑयल रिफाइनरीज के मालिक बन गये। अमीर बनने के लिये रॉकफेलर दिन-रात काम में जुटे रहते थे। अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति, जुझारू प्रवृत्ति, लगन तथा प्रतियोगी स्वभाव की वजह से वे अमेरिका के ऑयल किंग बनने में सफल हो पाये।
वे चौबीसों घंटे काम के बारे में ही सोचते रहते थे। मौज-मस्ती या मनोरंजन में वे ज़रा भी वक़्त बर्बाद नहीं करते थे। वे कभी थियेटर नहीं जाते थे, ताश नहीं खेलते थे, पार्टी में नहीं जाते थे। उनके लिये काम ही सब कुछ था। एकनिष्ठता से अपने लक्ष्य का पीछा करने की वजह से ही वे बिलियनेअर बनने में सफल हुए। चिंता, तनाव व दबाव की जीवनशैली का उनके शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ा। वे बीमार पड़ गये। डॉक्टरों ने उनसे स्पष्ट कह दिया कि या तो वे रिटायर हो जायें या फिर मरने की तैयारी कर लें।
मौत के इतने क़रीब आने के बाद रॉकफेलर को यह समझ में आया कि पैसा महत्त्वपूर्ण तो है, परंतु वह साधन है, साध्य नहीं है। उन्होंने चिकित्सा तथा शिक्षा के विकास के लिये लगभग 55 करोड़ डॉलर दान में दिये और रॉकफेलर फ़ाउंडेशन की स्थापना की, जो उनके मरने के बाद भी दुनिया भर में बीमारी और अज्ञान से लड़ रहा है।
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