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डॉक्टर बनने की चाहत क्या आपको डॉक्टर बना सकती है? जी हा! कैसे

मैंने कई साल पहले ऑस्ट्रेलिया के एक किशोर के साथ काम किया था। यह किशोर डॉक्टर और सर्जन बनना चाहता था, लेकिन उसके पास पैसा नहीं था; न ही उसने हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी की थी। ख़र्च निकालने के लिए वह डॉक्टरों के ऑफिस साफ करता था, खिड़‌कियाँ धोता था और मरम्मत के छुटपुट काम करता था।  उसने मुझे बताया कि हर रात जब वह सोने जाता था, तो वह दीवार पर टंगे डॉक्टर के डिप्लोमा का चित्र देखता था, जिसमें उसका नाम बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा था। वह जहाँ काम करता था, वहाँ वह डिप्लोमाओं को साफ करता और चमकाता था, इसलिए उसे मन में डिप्लोमा की तस्वीर देखना या उसकी कल्पना करना मुश्किल नहीं था। मैं नहीं जानता कि उसने इस तस्वीर को देखना कितने समय तक जारी रखा, लेकिन उसने यह कुछ महीनों तक किया होगा। जब वह लगन से जुटा रहा, तो परिणाम मिले। एक डॉक्टर इस लड़के को बहुत पसंद करने लगा। उस डॉक्टर ने उसे औज़ारों को कीटाणुरहित करने, इंजेक्शन लगाने और प्राथमिक चिकित्सा के दूसरे कामों की कला का प्रशिक्षण दिया। वह किशोर उस डॉक्टर के ऑफिस में तकनीकी सहयोगी बन गया। डॉक्टर ने उसे अपने खर्च पर हाई स्कूल और बाद में कॉलेज भी भेजा। आज

आत्मविश्वास से बोलने की कला कैसे विकसित करें?

द गिनीज बुक ऑफ़ लिस्ट्स के अनुसार 54 प्रतिशत वयस्क सार्वजनिक रूप से बोलने के डर को मौत के डर से भी ज़्यादा डरावना मानते हैं। यह मीटिंगों में शिरकत करने और अपने समकक्षों के सामने बोलने वाले लोगों पर लागू होता है। कई मामलों में लोग इतने संकोची और भयभीत होते हैं कि वे पूरी मीटिंग में चुपचाप बैठे रहते हैं और उम्मीद करते हैं कि कोई उन पर गौर नहीं करेगा।

कई बार मैं अपनी प्रस्तुतियाँ यह बताकर शुरू करता हूँ कि सार्वजनिक रूप से बोलने का डर सबसे यातना भरे डरों में से एक है और यह अक्सर लोगों को वह हासिल करने से पीछे रखता है, जो उनके लिए संभव है। मैं उनसे कहता हूँ, कि आइए मैं इस डर को प्रदर्शित करता हूँ और यह भी बताता हूँ कि यह लोगों को कैसे पीछे रोककर रखता है।

फिर मैं कहता हूँ, कि "इस प्रस्तुति में बाद में मैं श्रोताओं से किसी को चुनूँगा और उसे मंच पर बुलाकर एक संक्षिप्त प्रस्तुति देने को कहूँगा कि उन्होंने क्या सीखा है और इस व्याख्यान के फलस्वरूप वे क्या अलग करने वाले हैं।"

मैं श्रोताओं पर अपनी निगाह घुमाता हूँ, एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के चेहरे तक जाता हूँ, जैसे मैं यह निर्णय लेने की कोशिश कर रहा हूँ कि मैं मंच पर बोलने के लिए श्रोताओं में से किस प्रतिभागी को बुलाऊँगा। दर्शक पूरी तरह ख़ामोश हो जाते हैं, फिर मैं पूछता हूँ, कि "आपको कैसा महसूस हुआ, जब मैंने आपको बताया कि मैं आपको इस दर्शक समूह के सामने बोलने के लिए यहाँ बुला सकता हूँ?" ज़्यादातर लोग कहते हैं, "मैं सचमुच उम्मीद कर रहा था कि आप मुझे नहीं चुनें!"

अपने समकक्षों के सामने खड़े होकर बोलने या इससे भी बुरी बात, अजनबियों के सामने बोलने का विचार ही यातना से भरा हो सकता है। आपके पेट में उथल-पुथल होने लगेगी। आपकी धड़कन तेज़ हो जाएगी। आपका दिमाग़ ख़ाली हो जाएगा। आपको पसीना आने लगेगा।

बहरहाल, उठकर स्पष्टता से बोलने, अपनी बात रखने और दूसरों को अपने दृष्टिकोण का विश्वास दिलाने की आपकी योग्यता आपके करियर की गति को तेज़ कर सकती है और आपको अपनी कंपनी में तेज़ मार्ग पर पहुँचा सकती है।

आपको संकोच या सार्वजनिक रूप से बोलने के डर से उबरने का निर्णय लेना होगा। आपको दूसरे लोगों के सामने उत्कृष्टता से बोलने का पेशेवर निर्णय लेना होगा।

राल्फ वाल्डो इमर्सन के अनुसार युवावस्था में वे कन्कॉर्ड, मैसाचुसेट्स में सड़क पर चल रहे थे। काग़ज़ का एक टुकड़ा हवा में उड़कर उनके पैरों से टकराया। उन्होंने नीचे झुककर उसे उठाया और उस पर लिखे ये शब्द पढ़े, "वह चीज़ करें, जिससे आपको डर लगता है और डर की मृत्यु निश्चित है।" इमर्सन ने कहा कि इन शब्दों ने उनकी ज़िंदगी बदल दी।

मनोविज्ञान में हम जानते हैं कि किसी भी तरह के डर से उबरने का आपके पास एक ही तरीक़ा है और वह यह है कि आप उस काम को कर दें, जिसे करने से आपको डर लगता है। अक्सर आपकी सबसे बड़ी सफलता आपके सबसे बड़े डर के दूसरी तरफ़ होती है। अगर आप उसके पार जा सकें, तो ना सिर्फ आप ज़्यादा सफल हो सकते हैं, बल्कि आप खुद को पीछे रोकने वाले दूसरे डरों को भी मिटा सकते हैं।

मीटिंगों में बोलने के डर से उबरने का तरीक़ा यह है कि आप उनके सदस्य बन जाएँ, इन मीटिंगों में जाकर और उनमें बोलने का अवसर पाकर आप सिर्फ कुछ हफ्तों में ही अपने जीवन का काया कल्प कर सकते है। इसे 'सुनियोजित संवेदनशून्यता की प्रक्रिया' कहते हैं। 

जब आप कोई चीज़ बार-बार करते हैं, तो अंततः इसे करने का डर खत्म हो जाता है। जब आप इन मीटिंगों में से किसी एक में शामिल होते हैं, तो आपको अपने समूह के दूसरे सदस्यों के सामने खड़े होने और हर सप्ताह कुछ शब्द बोलने का अवसर मिलेगा। प्रारम्भ में तो आपको घबराहट और डर लग सकता है, लेकिन दूसरे या तीसरे सप्ताह के बाद आप पाएँगे कि आप लोगों के सामने बोल रहे हैं, जिनमें से प्रत्येक को आप उसके पहले नाम से जानते हैं। यह एक छोटे 'व्यावसायिक परिवार' जैसा होगा। आपका डर ग़ायब हो जाता है।

डर और आत्मविश्वास के बीच विपरीत संबंध होता है। जब सफल अनुभवों की वजह से आपका आत्मविश्वास बढ़ता है, तो आपका डर उसी अनुपात में कम होता जाता है। जल्दी ही आप उस बिंदु पर पहुँच जाते हैं, जहाँ आप किसी समूह के सामने बोलने और अपने विचार व्यक्त करने में पूरी तरह निडर हो जाते हैं, लगभग किसी भी विषय पर।

इसके अलावा सार्वजनिक संभाषण पर कई अच्छी पुस्तकें और ऑडियो कोर्स भी उपलब्ध हैं। सुधार जल्दी और स्थायी हो सकते हैं। नियमित बैठकों में हिस्सा लेकर, पुस्तकें पढ़कर तथा ऑडियो सुनकर आप छह महीने में ही किसी भी तरह के दर्शक समूह के सामने बोलने में सक्षम होंगे और वह भी आत्मविश्वास तथा स्पष्टता के साथ।

स्पीकर्स अकैडमी में लोगों को सिखाते हैं कि आने वाले किसी व्याख्यान या प्रस्तुति के लिए मानसिक और भावनात्मक तैयारी कैसे की जाए। मानसिक चित्रण तैयारी का सबसे अहम हिस्सा होता है।

आप अपने समकक्षों के सामने शांति और आत्मविश्वास से बोलने की स्पष्ट मानसिक तसवीर बनाते हैं। आप इस तसवीर को अपने दिमाग़ के पर्दे पर बार-बार चलाते रहते हैं, जब तक कि आपका अवचेतन मन इसे साँचे के रूप में स्वीकार नहीं कर लेता, फिर आप अगली बार जब खुद को मीटिंग में पाते हैं, तो आपका अवचेतन मन आपको वह आत्मविश्वास और साहस प्रदान कर देगा, जिसकी ज़रूरत आपको अपनी आंतरिक तसवीर को बाहरी वास्तविकता में बदलने के लिए होती है।

एक नियम है कि जो लोग किसी मीटिंग में सबसे पहले बोलते हैं, उनका मीटिंग के परिणाम पर प्रायः सबसे ज़्यादा प्रभाव पड़ता है। इसीलिए आपको मीटिंग शुरू होने के पाँच मिनट के भीतर बोलने का संकल्प लेना चाहिए, चाहे विषय कोई भी हो।

पुरानी कहावत याद रखें : जो व्यक्ति प्रश्न पूछता है, उसके पास नियंत्रण होता है। मीटिंग के संचालक से एक स्पष्ट प्रश्न पूछकर या किसी दूसरे मुख्य वक्ता से प्रश्न पूछकर आप खुद को विचारशील, बुद्धिमान और मीटिंग में पूरी तरह संलग्न साबित कर देते हैं। एक अच्छा प्रश्न पूछने पर लोग आपको मीटिंग में 'खिलाड़ी' के रूप में देखते हैं। इसके अलावा, आप जिस व्यक्ति से प्रश्न पूछ रहे हैं, वह आपको एक महत्त्वपूर्ण और प्रभावशाली व्यक्ति के रूप में देखता है। प्रायः वह आपकी समझ तथा समर्थन सुनिश्चित करने के लिए पूरी मीटिंग में नियमित रूप से आपको संबोधित भी करेगा।

मीटिंग में जल्दी बोलने का एक लाभ यह है कि इसके बाद जब भी आपके मन में कोई प्रश्न या टिप्पणी होगी, तो आप उसे कहीं ज़्यादा आत्मविश्वास से व्यक्त कर सकते हैं।

एक और नियम है, जो कहता है, "जो व्यक्ति किसी मीटिंग में योगदान नहीं देता है, उसके बारे में यह मान लिया जाता है कि उसके पास योगदान देने के लिए कुछ नहीं है।" जब कोई किसी मीटिंग में संकोच या असुरक्षा के भाव की वजह से चुपचाप बैठा रहता है, तो मीटिंग के दूसरे प्रतिभागी अंततः इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि इस व्यक्ति के पास इस विषय पर कहने के लिए कोई मूल्यवान चीज़ नहीं है। आप ऐसा प्रभाव कतई नहीं छोड़ना चाहेंगे।

एक अंतिम बिंदु : जब आप विश्वास और सक्षमता से बोलने की योग्यता सीख लेते हैं, तो बहुत कुछ बदल जाता है। आपको अहसास ही नहीं होगा कि आप किसी एक व्यक्ति के समक्ष बोलने में या कंपनी की मीटिंग में आत्मविश्वास और सक्षमता के कहीं ज़्यादा ऊँचे स्तर पर पहुँच जाएँगे। यह योग्यता दूसरे लोगों के साथ हर संवाद में, आपके व्यक्तिगत जीवन तथा व्यवसाय में आत्मविश्वास के आपके स्तर को बढ़ा देती है।

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