मैंने कई साल पहले ऑस्ट्रेलिया के एक किशोर के साथ काम किया था। यह किशोर डॉक्टर और सर्जन बनना चाहता था, लेकिन उसके पास पैसा नहीं था; न ही उसने हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी की थी। ख़र्च निकालने के लिए वह डॉक्टरों के ऑफिस साफ करता था, खिड़कियाँ धोता था और मरम्मत के छुटपुट काम करता था। उसने मुझे बताया कि हर रात जब वह सोने जाता था, तो वह दीवार पर टंगे डॉक्टर के डिप्लोमा का चित्र देखता था, जिसमें उसका नाम बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा था। वह जहाँ काम करता था, वहाँ वह डिप्लोमाओं को साफ करता और चमकाता था, इसलिए उसे मन में डिप्लोमा की तस्वीर देखना या उसकी कल्पना करना मुश्किल नहीं था। मैं नहीं जानता कि उसने इस तस्वीर को देखना कितने समय तक जारी रखा, लेकिन उसने यह कुछ महीनों तक किया होगा। जब वह लगन से जुटा रहा, तो परिणाम मिले। एक डॉक्टर इस लड़के को बहुत पसंद करने लगा। उस डॉक्टर ने उसे औज़ारों को कीटाणुरहित करने, इंजेक्शन लगाने और प्राथमिक चिकित्सा के दूसरे कामों की कला का प्रशिक्षण दिया। वह किशोर उस डॉक्टर के ऑफिस में तकनीकी सहयोगी बन गया। डॉक्टर ने उसे अपने खर्च पर हाई स्कूल और बाद में कॉलेज भी भेजा। आज
आपके समय का सबसे मूल्यवान उपयोग क्या है, यह समूचे समय प्रबंधन का सबसे अहम प्रश्न है, आप अपने समय और कामकाजी गतिविधियों को इसके जवाब के हिसाब से तय करेंगे, तो आप इतने ज़्यादा और इतनी जल्दी उत्पादक बन जाएँगे कि आप दंग रह जाएँगे।
सबसे मूल्यवान वित्तीय संपत्ति आपकी कमाने की योग्यता' है। पैसे कमाने की आपकी योग्यता कामकाजी संसार में आपके 80 से 90 प्रतिशत वित्तीय मूल्य का प्रतिनिधित्व करती है। खुद को 'कमाने वाली मशीन' मानें। आप जो भी काम करते हैं, वह किसी ना किसी तरह के मूल्य का योगदान देता है, या तो कम या ज़्यादा। आपका काम अपने समय के सबसे मूल्यवान उपयोग पर ध्यान केंद्रित करना है और उन चंद गतिविधियों पर लगातार काम करने के लिए खुद को अनुशासित करना है, जो आपके काम और आपकी कंपनी में सबसे मूल्यवान योगदान दें।
समय के सबसे मूल्यवान उपयोग का यह चयन आपके जीवन के हर क्षेत्र पर लागू होता है। ख़ासतौर पर अगर आप बहुत मेहनत से काम कर रहे हैं, तो कई बार आपके समय का सबसे मूल्यवान उपयोग यह होता है कि आप घर जाएँ और जल्दी सोकर अच्छी नींद ले लें। कई बार आपके समय का सबसे मूल्यवान उपयोग यह होता है कि आप अपने जीवन के सबसे महत्त्वपूर्ण लोगों के साथ समय बिताएँ।
कई बार आपके समय का सबसे मूल्यवान उपयोग यह होता है कि आप अपने शारीरिक स्वास्थ्य की उत्कृष्ट देखभाल करें, सही आहार लें, नियमित व्यायाम करें, अच्छा विश्राम करें, जिसकी ज़रूरत आपको अपने सर्वश्रेष्ठ स्तर पर काम करने के लिए होती है।
कई बार आपके समय का सबसे मूल्यवान उपयोग यह होता है कि टेलीविज़न देखने के बजाय आप अपने परिवार के साथ समय बिताएँ या कोई अच्छी पुस्तक पढ़ें। कई दूसरे मौकों पर आपके समय का सबसे मूल्यवान उपयोग सामाजिक मेल-मिलाप हो सकता है, परिवार वालों और मित्रों के साथ मिलना-बैठना हो सकता है, जिनके साथ रहने में आपको आनंद आता है, ताकि आप तनावमुक्त हो सकें।
सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि आप यह प्रश्न खुद से हमेशा पूछते रहें: "इस वक़्त मेरे समय का सबसे मूल्यवान उपयोग क्या है?" और फिर आप खुद को वह गतिविधि शुरू और पूरी करने के लिए अनुशासित करते हैं, चाहे वह गतिविधि कोई भी हो। जब आप इस एक सुझाव को समय प्रबंधन की अपनी योग्यताओं और अपने दिन में शामिल कर लेते हैं, तो आप अपनी पीढ़ी के सबसे कुशल समय-प्रबंधकों में से एक बन जाएँगे।
आपके कामों और गतिविधियों के संदर्भ में प्राथमिकताएँ तय करना काफ़ी हद तक अति महत्त्वपूर्ण कुछ कामों को बहुत सारे गौण कामों से अलग करना होता है। हर दिन आपके सामने चार अलग-अलग तरह के काम होते हैं। इन कामों को उनकी उचित श्रेणी में रखने से आपकी उत्पादकता काफ़ी बढ़ सकती है। इनमें से हर काम को एक अलग बॉक्स या क्वाईंट में रखा जा सकता है।
महत्त्वपूर्ण काम वह होता है, जिसके आपके करियर के लिए दीर्घकालीन परिणाम होते हैं। अत्यावश्यक काम वह होता है, जिसमें देर नहीं की जा सकती या जिसे टाला नहीं जा सकता। जो काम अत्यावश्यक और महत्त्वपूर्ण दोनों होता है, वह 'आपकी नज़रों के' ठीक सामने होता है। यह काफ़ी हद तक आपके समय पर बाहरी माँगों से तय होता है, उन कामों व ज़िम्मेदारियों से, जिन्हें आपको पूरा करना होगा, तभी आप अपने काम के नियंत्रण में रह सकते हैं।
कुछ लोगों से आपको मिलना होता है, कुछ चीजें करनी होती हैं और कुछ जगहों पर जाना होता है। ग्राहकों से मिलना है, काम पूरे करना है और वे गतिविधियाँ भी हैं, जिन्हें करने की दूसरे आपसे उम्मीद कर रहे हैं। ज़्यादातर लोग अपने कामकाजी दिन का अधिकतर समय उन कामों पर लगाते हैं, जो अति महत्वपूर्ण और अत्यावश्यक दोनों होते हैं।
आपके सबसे महत्त्वपूर्ण काम, आपकी सर्वोच्च प्राथमिकता अत्यावश्यक और महत्त्वपूर्ण दोनों होती हैं। इसे 'तात्कालिकता का क्वाड्रेट कहा जाता है। दूसरे प्रकार के काम वे होते हैं, जो महत्त्वपूर्ण तो होते हैं, लेकिन अत्यावश्यक नहीं होते। इनमें विलंब किया जा सकता है या इनमें टालमटोल की जा सकती है, कम से कम कुछ समय तक। जो काम महत्त्वपूर्ण तो है, लेकिन अत्यावश्यक नहीं है।
इसका एक उदाहरण वह महत्त्वपूर्ण रिपोर्ट है, जो आपको महीने के अंत तक लिखनी है, उसका अनुमोदन कराना है और प्रस्तुत करना है। ज़िंदगीभर आप ऐसे कामों से घिरे रहेंगे, जो महत्त्वपूर्ण तो हैं, लेकिन अत्यावश्यक नहीं हैं। अपने क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण पुस्तकें पढ़ना, अतिरिक्त कोर्स करना, अपनी योग्यताओं को अपडेट करना सभी आपकी दीर्घकालीन सफलता के लिए अति महत्त्वपूर्ण हैं, लेकिन वे अत्यावश्यक नहीं हैं। इसलिए आप उन्हें टालते जाते हैं।
जो लोग व्यवसाय में असफल हो जाते हैं या कम सफल होते हैं, उनमें से ज़्यादातर दुर्भाग्य से अपनी योग्यताओं को अपडेट करना इतने लंबे समय से छोड़ देते हैं कि दूसरे संकल्पवान और आक्रामक लोग उनसे आगे निकल जाते हैं, जो ज़्यादा बड़े पुरस्कारों व ज़िम्मेदारियों का आनंद लेना चाहते हैं।
शारीरिक व्यायाम जैसी आसान चीज़ भी आपके स्वास्थ्य के लिए अति महत्त्वपूर्ण तो है, लेकिन अत्यावश्यक नहीं है। आप इसे लंबे समय तक टाल सकते हैं और ज़्यादातर लोग टालते भी हैं। डॉक्टर कहते हैं कि लोगों को जीवन में बाद में जो बड़े रोग होते हैं, उनमें से 85 प्रतिशत नहीं होते, अगर वे अपने वयस्क जीवन में उचित स्वास्थ्य आदतें डाल लेते, जिनमें आहार और व्यायाम शामिल है। ये काम “प्रभावकारिता के क्वाड्रेट" में आते हैं।
शायद आपके ऑफ़िस में लोग आते हैं, आपको फ़ोन या मैसेज करते हैं, आपको ई-मेल करते हैं, लेकिन उन पर आपकी प्रतिक्रियाओं का आपके व्यवसाय या आपके कामकाज के प्रति बहुत कम मूल्य होता है या होता ही नहीं है। ये काम अत्यावश्यक तो हैं, लेकिन महत्त्वपूर्ण नहीं हैं। ये काम 'भ्रम के क्वाड्रंट' में आते हैं।
लोग सोचते हैं कि चूँकि वे दिनभर इन गतिविधियों में संलग्न रहे हैं, इसलिए इनका थोड़ा मूल्य होगा, लेकिन वे खुद को बहला रहे हैं और अपने करियर को अप्रासंगिक बना रहे हैं। कई लोग तो अपने आधे समय का इस्तेमाल ऐसी गतिविधियों में करते हैं, जो अत्यावश्यक तो होती हैं, लेकिन महत्त्वपूर्ण नहीं होतीं। वे मज़ेदार और आसान तो होती हैं, लेकिन कामकाज में ज़रा भी योगदान नहीं देती हैं। इनमें से ज़्यादातर गतिविधियाँ सहकर्मियों के साथ व्यर्थ बातचीत या कम अथवा शून्य महत्त्व की गतिविधियाँ हैं।
लोगों की चौथे प्रकार की गतिविधियाँ वे होती हैं, जो ना तो अत्यावश्यक होती हैं, ना ही महत्त्वपूर्ण। ये गतिविधियाँ 'बर्बादी के क्वाड्रेट' में आती हैं। कई लोग ऐसी गतिविधियों में संलग्न होते हैं, जिनका खुद के लिए या कंपनी के लिए कोई मूल्य नहीं होता। ई-मेल स्पैम पढ़ना या खेल के पन्ने पढ़ना, ऑफ़िस के समय में शॉपिंग करने जाना या अपॉइंटमेंटों के बीच यात्रा करते हुए रेडियो सुनना आदि ये सभी ऐसी गतिविधियों के उदाहरण हैं, जो ना तो अत्यावश्यक हैं, ना ही महत्त्वपूर्ण। ये समय की पूरी बर्बादी हैं। ये आपके जीवन में ज़रा भी योगदान नहीं देती हैं।
हक़ीक़त यह है कि आप अगर कोई चीज़ बार-बार करते हैं, तो जल्दी ही इसकी आदत पड़ जाती है। और एक बार पड़ने के बाद आदत को छोड़ना या उसका चक्र तोड़ना मुश्किल होता है। कई लोगों ने अपना ज़्यादातर समय कम महत्त्व/शून्य महत्त्व के कामों में ख़र्च करने की आदत डाल ली है। ये लोग बाद में काफ़ी हैरान होते हैं, जब उन्हें नौकरी से निकाला जाता है या प्रमोशन नहीं दिया जाता है।
अच्छे प्रबंधन की कुंजी यह है कि आप प्राथमिकताएँ तय करें और हमेशा उन चीज़ों पर काम करें, जो अत्यावश्यक भी हैं और महत्त्वपूर्ण भी, यानी आपके सबसे ज़रूरी और महत्त्वपूर्ण काम। एक बार जब आप वे काम कर लें, जो अत्यावश्यक और महत्त्वपूर्ण दोनों हैं, तो तुरंत वे काम शुरू कर दें, जो महत्त्वपूर्ण तो हैं, लेकिन उस पल अत्यावश्यक नहीं हैं। जो काम महत्त्वपूर्ण तो हैं, लेकिन अत्यावश्यक नहीं हैं, वे आमतौर पर लंबे समय में आपके करियर में सार्थक योगदान दे सकते हैं।
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