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डॉक्टर बनने की चाहत क्या आपको डॉक्टर बना सकती है? जी हा! कैसे

मैंने कई साल पहले ऑस्ट्रेलिया के एक किशोर के साथ काम किया था। यह किशोर डॉक्टर और सर्जन बनना चाहता था, लेकिन उसके पास पैसा नहीं था; न ही उसने हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी की थी। ख़र्च निकालने के लिए वह डॉक्टरों के ऑफिस साफ करता था, खिड़‌कियाँ धोता था और मरम्मत के छुटपुट काम करता था।  उसने मुझे बताया कि हर रात जब वह सोने जाता था, तो वह दीवार पर टंगे डॉक्टर के डिप्लोमा का चित्र देखता था, जिसमें उसका नाम बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा था। वह जहाँ काम करता था, वहाँ वह डिप्लोमाओं को साफ करता और चमकाता था, इसलिए उसे मन में डिप्लोमा की तस्वीर देखना या उसकी कल्पना करना मुश्किल नहीं था। मैं नहीं जानता कि उसने इस तस्वीर को देखना कितने समय तक जारी रखा, लेकिन उसने यह कुछ महीनों तक किया होगा। जब वह लगन से जुटा रहा, तो परिणाम मिले। एक डॉक्टर इस लड़के को बहुत पसंद करने लगा। उस डॉक्टर ने उसे औज़ारों को कीटाणुरहित करने, इंजेक्शन लगाने और प्राथमिक चिकित्सा के दूसरे कामों की कला का प्रशिक्षण दिया। वह किशोर उस डॉक्टर के ऑफिस में तकनीकी सहयोगी बन गया। डॉक्टर ने उसे अपने खर्च पर हाई स्कूल और बाद में कॉलेज भी भेजा। आज

सबसे महत्वपूर्ण काम को कैसे पहचाने?

समय के पूरे प्रबंधन का सार यह तय करना है कि आप इस पल कौन सा सबसे महत्त्वपूर्ण काम कर सकते हैं, फिर उस एक काम को तुरंत शुरू करने के संसाधन व तकनीकें जुटाना होता है, ताकि आप इस पर तब तक काम कर सकें, जब तक कि यह पूरा ना हो जाए।

प्राथमिकताएँ तय करने के लिए आप कई अन्य तकनीकों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। 1895 में इटली के अर्थशास्त्री विल्फ्रेडो परेटो ने यह निष्कर्ष निकाला कि 80/20 का नियम हर समाज में धन, जायदाद और दौलत के संग्रह पर लागू होता है। वर्षों के शोध के बाद उन्होंने पाया कि 20 प्रतिशत व्यक्ति और परिवार, जिन्हें उन्होंने अति महत्त्वपूर्ण कुछ कहा, पूरे यूरोप की 80 प्रतिशत दौलत और जायदाद को नियंत्रित करते थे।

80/20 का नियम मानव प्रयास के लगभग सभी क्षेत्रों पर लागू होता है, ख़ासतौर पर काम और ज़िम्मेदारियों पर, यानी आपके 20 प्रतिशत काम ऐसे होते हैं, जो आपके द्वारा किए जाने वाले कामों में 80 प्रतिशत मूल्य या महत्त्व रखते हैं। पीटर ड्रकर कहते हैं कि अक्सर यह '90/10' नियम होता है। कई बार तो आपके द्वारा किए गए 10 प्रतिशत काम का मूल्य 90 प्रतिशत होता है।

जब आप अपने कामों और ज़िम्मेदारियों की सूची के साथ हर दिन शुरू करें, तो काम शुरू करने से पहले अपनी सूची की फटाफट समीक्षा करके वे शीर्ष 20 प्रतिशत काम चुनें, जो आपके सबसे महत्त्वपूर्ण लक्ष्यों और उद्देश्यों को हासिल करने में सबसे ज्यादा योगदान दे सकते हों। यदि आपके पास किसी ख़ास दिन दस कामों की सूची है, तो उनमें से दो काम बाक़ी सबसे ज़्यादा मूल्यवान होंगे। इन दो कार्मों को स्पष्ट रूप से पहचानने और उन पर सबसे पहले काम करने की आपकी योग्यता ही काफ़ी हद तक करियर में आपकी सफलता तय करेगी।

यहाँ एक और तकनीक है, जिसका इस्तेमाल आप प्राथमिकताएँ तय करने के लिए कर सकते हैं, अपनी गतिविधियों की दैनिक सूची बनाएँ और फिर खुद से पूछें, “अगर मुझे कल ही एक महीने के लिए शहर से बाहर जाना पड़े, तो इस सूची के कौन से काम होंगे, जिन्हें मैं शहर छोड़ने से पहले पूरा करना चाहूँगा?”

न्यूनतम आजकल समय के प्रबंधन और व्यक्तिगत उत्पादकता का सबसे बड़ा शत्रु 'छोटी चीज़ों पर ज़्यादा ध्यान देना' है। हर इंसान में प्रतिरोध के मार्ग पर चलने और आरामदेह दायरे में संतुष्ट रहने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है, इसलिए यह सामान्य और स्वाभाविक है कि लोग अपने दिन की शुरुआत छोटे, आसान, आनंददायक और आमतौर पर महत्त्वहीन कामों व गतिविधियों से शुरू करते हैं।

लेकिन अफ़सोस, आप जिस भी काम से अपने दिन की शुरुआत करते हैं, उसी ढर्रे पर आपके आगे का समय चलता हैं। शाम होने पर शायद आपको पता चलेगा कि आपने अपना सारा समय छोटे व अर्थहीन कामों में बर्बाद कर दिया और असल महत्त्व की एक भी चीज़ नहीं कर पाए।

आप इस तकनीक का प्रयोग कर सकते हैं। कल्पना करें कि आप सोमवार सुबह ऑफ़िस पहुँचते हैं। आपका बॉस आपको अपनी दुविधा बताता है। उसे अभी-अभी एक इनाम मिला है। एक सुंदर पर्यटन स्थल तक मुफ़्त हवाई यात्रा के दो टिकट और दो लोगों के लिए मुफ़्त छुट्टियाँ। उसकी समस्या यह है कि वह इतना व्यस्त है कि इस पुरस्कार का लाभ नहीं ले सकता, लेकिन पुरस्कार में समय की पाबंदी है। इस सैर का लाभ कल सुबह तक अनिवार्य रूप से लेना है।

आपका बॉस आपके सामने एक प्रस्ताव रखता है। अगर आप शाम तक अपने सबसे महत्त्वपूर्ण काम निपटा सकें, तो वह आपको और आपके जीवनसाथी को मुफ्त छुट्टियों का यह इनाम दे देगा।

अगर आपके पास इस तरह की प्रेरणा या प्रोत्साहन हो, तो आप क्या करेंगे? आप उस एक दिन में कितना ज़्यादा काम कर सकते हैं, यह देखकर शायद आप हैरान रह जाएँगे। आप शायद शीर्ष 20 प्रतिशत सभी काम पूरे कर लेंगे, जिनकी योजना आपने पूरे सप्ताह के लिए बनाई थी।

जब इस तरह का प्रोत्साहन मौजूद होगा, तो आप एक भी मिनट बर्बाद नहीं करेंगे। आपके पास अपने सहकर्मियों के साथ इधर-उधर की बातचीत करने के लिए ज़रा भी वक़्त नहीं होगा। आप जल्दी काम शुरू कर देंगे, आप कॉफ़ी ब्रेक तथा लंच के दौरान भी काम करेंगे और पूरी एकाग्रता से अपने सबसे महत्त्वपूर्ण काम निपटाकर अपनी डेस्क साफ़ करने में जुट जाएँगे। आप अपने संगठन के सबसे उत्पादक व्यक्तियों में से एक बन जाएँगे और वह भी रातों-रात।

यह आपके लिए एक बेहतरीन अभ्यास है, जिसे आप कर सकते हैं। यह अभ्यास यह सच्चाई उजागर करता है कि आपकी कार्य कुशलता और प्रभावकारिता काफ़ी हद तक आप पर निर्भर है। यदि प्रोत्साहन अच्छा हो, तो आप चकित रह जाएँगे कि आप कितने ज़्यादा उत्पादक हो सकते हैं, वह भी चंद मिनटों में। अगर प्रोत्साहन अच्छा हो और आप निर्णय ले लें, तो आप लगभग तुरंत ही अपने संगठन के सबसे मूल्यवान लोगों में से एक बन जाएँगे।

तीन का नियम यह एक आश्चर्यजनक खोज पर आधारित है, खोज यह है कि आप एक सप्ताह या एक महीने में कितने ही काम क्यों ना करते हों, सिर्फ तीन काम और गतिविधियाँ ही होती हैं, जिनसे आप कंपनी में 90 प्रतिशत मूल्य का योगदान देते हैं।

एक महीने में आप जो करते हैं, अगर आप उस हर चीज़ की सूची बनाते हैं, तो इसमें शायद बीस, तीस या चालीस अलग-अलग काम और ज़िम्मेदारियाँ शामिल होंगी, लेकिन अगर आप सावधानी से उस सूची की बिंदुवार समीक्षा करें, तो आप पाएंगे कि आपकी पूरी सूची में केवल तीन चीजें ही होंगी, जो आपकी कंपनी के प्रति आपके 90 प्रतिशत मूल्य को समाहित करेंगी।

आप अपनी 'तीन बड़ी चीज़ों' को कैसे तय करें? आसान है। नौकरी से संबंधित अपने सभी कामों व ज़िम्मेदारियों की सूची बनाएँ, जो आप महीने के पहले दिन से आखिरी दिन तक और पूरे साल करते हैं, फिर इन तीन प्रश्नों का जवाब दें।

1. अगर में इस सूची में से केवल एक ही चीज़ दिनभर कर सकूँ, तो कौन सी गतिविधि कंपनी के लिए सबसे ज़्यादा मूल्यवान होगी? आपका सबसे महत्त्वपूर्ण काम जो आपकी कंपनी के प्रति सबसे ज्यादा योगदान दे सकता है, उस सूची में से तुरंत झाँकने लगेगा और स्पष्ट दिख जाएगा। यह आमतौर पर आपके सामने काफ़ी स्पष्ट होगा और आपके आस-पास के लोगों के सामने भी स्पष्ट होगा। उस काम पर गोला लगा लें।

2. अगर मैं इस सूची में से केवल दो ही चीज़ें दिनभर कर सकूँ, तो वह दूसरी गतिविधि कौन सी होगी, जो कंपनी के लिए सबसे ज़्यादा मूल्यवान होगी? आमतौर पर, यह काम भी आपको जल्द ही दिखाई दे जाएगा। हो सकता है कि इसमें थोड़े ज़्यादा विचार की ज़रूरत पड़े, लेकिन यह आमतौर पर स्पष्ट होता है।

3. अगर मैं इस सूची में से केवल तीन ही चीज़ें दिनभर कर सकूँ, तो वह तीसरी गतिविधि कौन सी होगी, जो कंपनी के लिए सबसे ज्यादा मूल्यवान होगी? जब आप अपने जवाबों का विश्लेषण करते हैं, तो आपको स्पष्टता से दिख जाएगा कि आप जो तीन चीजें करते हैं, वे ही आपके लगभग सारे मूल्यवान योगदान का सार होती हैं। इन कामों को शुरू और पूरा करना जितना ज़्यादा महत्त्वपूर्ण है, उतना कुछ भी नहीं है।

अगर आप इन तीन प्रश्नों के जवाब नहीं जानते हैं, तो आप गंभीर मुश्किल में है। इस बात का बहुत जोखिम है कि आप कामकाज में अपना समय और जीवन बर्बाद करेंगे। अगर आप इन जादुई प्रश्नों के जवाब नहीं जानते हैं, तो आप हमेशा कम मूल्य या अक्सर मूल्यहीन गतिविधियों में ही संलग्न रहेंगे।

अगर किसी कारण से आप इन तीन कामों को स्पष्ट ना कर पाएँ, तो अपने बॉस के पास जाएँ। पूछें कि उनके हिसाब से वे तीन सबसे महत्त्वपूर्ण काम कौन से हैं, जिनसे आप कंपनी के प्रति अपना सबसे ज़्यादा मूल्यवान योगदान देते हैं। अपने सहकर्मियों से पूछें। अपने जीवनसाथी से पूछें। आप चाहे कुछ भी करें, आपको इन तीन प्रश्नों के जवाब मालूम होना चाहिए।

एक बार जब आप अपने 'तीन बड़े कामों' को स्पष्टता से जान लें, तो इसके बाद आपको अपने अधीनस्थों की भी मदद करनी चाहिए, ताकि वे भी अपने 'तीन बड़े कामों' को स्पष्टता से जान लें। आप अपने स्टाफ़ के सदस्यों के लिए इससे ज़्यादा अच्छी या उदार चीज़ नहीं कर सकते, जितनी यह कि वे उनके सबसे महत्त्वपूर्ण कामों को स्पष्टता से जान लें, जिनसे वे कंपनी में सबसे मूल्यवान योगदान देते हैं।

अच्छे प्रबंधन वाले विभाग या कंपनी में कर्मचारी सटीकता से जानते हैं कि वे सबसे महत्त्वपूर्ण काम कौन से हैं, जिन्हें करके वे सबसे ज़्यादा योगदान दे सकते हैं। साथ ही, हर कर्मचारी को यह भी पता होना चाहिए कि हर दूसरे कर्मचारी के तीन बड़े काम कौन से हैं। हर दिन, दिनभर, प्रत्येक को उन तीन बड़े कामों में से एक या अधिक में ही जुटे रहना चाहिए, चाहे अकेले या मिलकर।

काम शुरू करने से पहले धीमी सोच का इस्तेमाल करके कुछ समय तक सोचें, अपना सबसे महत्त्वपूर्ण काम चुनें और फिर बाक़ी हर काम को छोड़कर सिर्फ उसी काम में जुट जाएँ। जो लोग 'तीव्र सोच' वाले होते हैं, वे उस पल की माँगों और दबावों पर स्वाभाविक रूप से प्रतिक्रिया करते हैं। वे अपनी उच्च प्राथमिकता वाले कामों से लगातार दूर भटकते रहते हैं, लेकिन आपको यह आदत नहीं डालनी चाहिए। 

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