मन सभी धर्मों, कर्मों, प्रवृतियों का अगुआ है। सभी कर्मों (धर्मों) में मन पूर्वगामी है। मन ही प्रधान है, प्रमुख है, सभी धर्म (चैत्तसिक अवस्थाएं) पहले मन में ही पैदा होती हैं। मन सभी मानसिक प्रवृतियों में श्रेष्ठ है, स्वामी है। सभी कर्म मनोमय है। मन सभी मानसिक प्रवृतियों का नेतृत्व करता है क्योंकि सभी मन से ही पैदा होती है। जब कोई व्यक्ति अशुद्ध मन से, मन को मैला करके, बुरे विचार पैदा करके वचन बोलता है या शरीर से कोई पाप कर्म (बुरे कर्म) करता है, तो दुख उसके पीछे-पीछे वैसे ही हो लेता है जैसे बैलगाड़ी खींचने वाले बैलों के पैरों के पीछे-पीछे चक्का (पहिया) चलता है। मन सभी प्रवृतियों, भावनाओं का पुरोगामी है यानी आगे-आगे चलने वाला है। सभी मानसिक क्रियाकलाप मन से ही उत्पन्न होते हैं। मन श्रेष्ठ है, मनोमय है। मन की चेतना ही हमारे सुख-दुख का कारण होती है। हम जो भी फल भुगतते हैं, परिणाम प्राप्त करते हैं। वह मन का ही परिणाम है। कोई भी फल या परिणाम हमारे विचार या मन पर निर्भर है। जब हम अपने मन, वाणी और कमों को शुद्ध करेंगे तभी दुखों से मुक्ति मिल सकती है। मन हमारी सभी प्रकार की भावनाओं, प्रव...
सफल प्रबंधक लिखित योजना बनाने में माहिर होते हैं साथ ही अच्छे योजनाकार भी होते हैं। वे हर छोटे-बड़े उद्देश्य को हासिल करने के लिए सूचियाँ और उपसूचियाँ बनाते हैं। जब भी कोई नया प्रोजेक्ट उनकी डेस्क पर आता है, तो वे पूरी तरह विचार करते हैं कि वे सटीकता से क्या हासिल करना चाहते हैं, फिर वे एक क्रमबद्ध सूची लिखते हैं कि प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए उनको कौन-कौन से क़दम उठाने होंगे।
नियम यह है कि योजना बनाने में लगने वाला हर मिनट क्रियान्वयन के दस मिनट बचाता है। आपको जो हासिल करना है, उस पर काम शुरू करने से पहले आप कागज़ पर सोचने में जितना समय लगाते हैं, उससे आपको व्यक्तिगत ऊर्जा पर 1,000 प्रतिशत मुनाफ़ा मिलता है। आप अपने काम की योजना बनाने में जो एक मिनट का समय लगाते उससे आपके दस मिनट बचते हैं।
एक बार जब आप अपने लक्ष्य के बारे में स्पष्ट हो जाते हैं, तो फिर आप सूची बनाते हैं कि वह लक्ष्य हासिल करने के लिए आपको कौन सी चीजें करनी होंगी। जब आपके दिमाग में नई चीजें आएँ, तो उन्हें सूची में जोड़ते रहें, जब तक कि सूची पूरी ना हो जाए। अपनी सूची को तरीक़ों से जमा लें समय के हिसाब से और प्राथमिकता के हिसाब से।
पहले, क्रम में व्यवस्थित करते वक़्त आप समय के हिसाब से गतिविधियों की सूची बनाते हैं, यानी लक्ष्य या प्रोजेक्ट को पूरा करने के पहले क़दम से लेकर आख़िरी क़दम तक। जैसा हेनरी फोर्ड ने कहा था. "सबसे बड़ा लक्ष्य भी हासिल हो सकता है, बशर्ते आप इसे पर्याप्त छोटे हिस्सों में तोड़ लें।”.
दूसरे, इन चीज़ों की प्राथमिकता तय करें। प्राथमिकता तय करते समय याद रखें कि आपकी सूची की 20 प्रतिशत चीजें ही आपके कुल कामों के 80 प्रतिशत मूल्य और महत्त्व के लिए ज़िम्मेदार होंगी। प्राथमिकता तय करने से यह फ़ायदा होता है कि आप भटकते नहीं हैं, बल्कि अपने मुख्य कामों और गतिविधियों पर केंद्रित रहते हैं। जैसा कि गेटे ने कहा था, “सबसे ज्यादा महत्त्वपूर्ण चीज़ों को उन चीज़ों की दया पर कभी निर्भर नहीं रहना चाहिए, जो सबसे कम महत्त्वपूर्ण होती हैं।”
अपनी योजनाओं की नियमित समीक्षा करें, ख़ासतौर पर जब आपको किसी तरह की कुंठा या प्रतिरोध का अनुभव हो। जब आपको नई जानकारी या फ़ीडबैक मिले, तो अपनी योजनाओं में फेरबदल करने को तैयार रहें। याद रखें कि हर योजना में ख़ामियाँ होती हैं, छोटी भी और बड़ी भी। लगातार उनकी तलाश करते रहें। जब आप हर दिन अपनी योजनाओं की समीक्षा करते हैं, तो आपको इस बारे में नए विचार, दृष्टिकोण और ज्ञान मिलेगा कि शुरुआत में आपने जैसा सोचा था, काम को उससे ज़्यादा तेज़ी से और बेहतर तरीके से कैसे पूरा किया जाए।
योजना बनाए बिना काम करना हर असफलता का कारण है। पहले से पूरी योजना बनाए बिना काम करने के प्रलोभन से बचें। स्पष्टता शायद सफलता से जुड़ा सबसे महत्त्वपूर्ण शब्द है। सफल लोग इस बारे में बहुत स्पष्ट होते हैं कि वे कौन हैं और वे अपने जीवन के हर क्षेत्र में क्या चाहते हैं। लिखित लक्ष्यों के अलावा सफल लोगों के पास लिखित कार्ययोजनाएँ भी होती हैं, जिनका वे हर दिन पालन करते हैं। जब आप खुद के और अपने व्यवसाय के लिए एक बड़ा लक्ष्य तय कर लें, तो आपको ये चार सवाल पूछने चाहिए :—
1. आपके तथा आपके लक्ष्य के बीच कौन सी मुश्किलें और बाधाएं खड़ी हैं? आप इसी समय अपने लक्ष्य पर क्यों नहीं पहुँचे हैं? आपको कौन सी चीज़ पीछे रोक रही है? आपके रास्ते में कौन खड़ा है? आपको कौन सी समस्याएँ सुलझानी हैं, किन मुश्किलों से उबरना है, ताकि आप अंततः अपना लक्ष्य हासिल कर लें ?
आपको जो समस्याएँ सुलझाने की ज़रूरत है, उनमें वे 20 प्रतिशत समस्याएँ कौन सी हैं, जो आपके तथा आपके लक्ष्य के बीच की 80 प्रतिशत बाधाओं के लिए ज़िम्मेदार हैं?
2. आपके लक्ष्य को हासिल करने या आपके प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए किस अतिरिक्त जानकारी, योग्यताओं या ज्ञान की ज़रूरत हैं?
यह कहावत याद रखें, “आप जहाँ हैं, वहाँ तक आपको जो लाया है, वह आपको आगे ले जाने के लिए पर्याप्त नहीं है।”
आपको अपना लक्ष्य हासिल करने के लिए जिस अतिरिक्त ज्ञान और योग्यताओं की ज़रूरत है, उन्हें आप कैसे हासिल कर सकते हैं? क्या आप उस ज्ञान या जानकारी को ख़रीद सकते हैं या उस ज्ञान से संपन्न व्यक्ति को नियुक्त कर सकते हैं? क्या आपको अपने काम में पूरी क्षमता तक पहुँचने के लिए नई योग्यताएँ विकसित करने की ज़रूरत है ? लक्ष्य हासिल करने की प्रक्रिया में सही निर्णय लेने के लिए कौन सी जानकारी अनिवार्य है?
जैसा कि जॉश बिलिंग्स ने लिखा था, “इंसान जो जानता है, उससे उसे कष्ट नहीं होता, कष्ट तो तब होता है, जब वह जो जानता है, वह सच नहीं होता।"
3. वे कौन से लोग, समूह या संगठन हैं, जिनकी सहायता और सहयोग की ज़रूरत आपको अपना लक्ष्य हासिल करने के लिए है? कई बार कोई एक व्यक्ति ही आपको विचार और जानकारी दे सकता है या आपके लिए द्वार खोल सकता है, जिससे आपको उम्मीद से बहुत ज्यादा हासिल करने में मदद मिलती है।
इसी कारण कई व्यवसायी अपने प्रतिस्पर्धियों के साथ संयुक्त उपक्रम और रणनीतिक गठबंधन करते हैं, ताकि वे एक दूसरे के ग्राहकों को ऐसे प्रॉडक्ट व सेवाएँ दे सकें, जो वे वर्तमान में नहीं देते हैं ।
4. जो लोग आपका लक्ष्य हासिल करने में आपकी मदद कर सकते हैं, उनमें से कौन सा व्यक्ति सबसे महत्त्वपूर्ण है? आप इस व्यक्ति की सहायता और सहयोग हासिल करने के लिए बदले में क्या दे सकते हैं, ताकि आप अपने महत्त्वपूर्ण लक्ष्य और भी ज़्यादा तेज़ी से हासिल कर लें ?
व्यवसाय में और हमारे आस-पास के संसार में सबसे महत्त्वपूर्ण प्रोजेक्ट वही लोग पूरे करते हैं, जो शुरू करने से पहले विस्तृत कार्ययोजनाएँ बनाते हैं। ख़ुद के लिए और अपने व्यवसाय के लिए लिखित योजनाएँ बनाएँ और फिर सावधानी से उन योजनाओं पर चलें, जब तक कि आप कामयाब ना हो जाएँ।
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