सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

दुखों से मुक्ति : बुद्ध और उनका धम्म

धम्मपदं : दुखों से मुक्ति और सुख शांति के जीवन का मार्ग : महाकारुणिक तथागत बुद्ध के उपदेशों का यह 'धम्मपद' अनमोल, अमृत वचन है। मानव जीवन का परम उद्देश्य होता है दुखों से मुक्ति और सुख शांति को पाना। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए यह ग्रंथ परिपूर्ण है।  'धम्मपद' 'धम्म' का सरल अर्थ है सदाचार अर्थात 'सज्जनों' द्वारा जीवन में धारण करने, पालन करने योग्य कर्तव्य। और 'पद' शब्द का अर्थ यहां 'मार्ग' माना गया है। इस प्रकार 'धम्मपद' का अर्थ होगा- धम्म यानी सदाचार (Morality) का मार्ग।  ग्रंथ में 'पद' शब्द का एक दूसरा अर्थ भी माना गया है। वह अर्थ है, किसी का कथन, वचन, शिक्षा, उपदेश या वाणी। इस ग्रंथ में 'धम्मपद' का सरल अर्थ है- भगवान बुद्ध के शील सदाचार सम्बंधी उपदेश, वचन या वाणी। इस प्रकार 'धम्मपद' का अर्थ है- धम्म वचन या धम्मवाणी या धम्म देशना। आज से 2600 साल पहले भगवान बुद्ध ने, बुद्धत्व प्राप्ति के बाद 45 साल तक मध्य देश की आम बोलचाल की भाषा में 'बहुजन हिताय बहुजन सुखाय लोकानुकम्पाय' का जो संदेश और उपदेश दिय...

अपने विचार और मिशन के बारे में सोचें

अपने विचार और मिशन के बारे में सोचें। डेनियल काहनेमन की पुस्तक थिंकिंग, फास्ट एंड स्लो पिछले कुछ वर्षों में लिखी गई सर्वश्रेष्ठ और सबसे ज़्यादा गहन चिंतन वाली पुस्तकों में से एक है। वे बताते हैं कि हमें अपने दैनिक जीवन में जिन बहुत सी स्थितियों का सामना करना पड़ता है, उनसे निपटने के लिए दो अलग-अलग प्रकार की सोच का इस्तेमाल करने की ज़रूरत होती है।

तीव्र सोच का इस्तेमाल हम अल्पकालीन कामों, ज़िम्मेदारियों, गतिविधियों, समस्याओं और स्थितियों से निपटने के लिए करते हैं। इसमें हम जल्दी से और सहज बोध से काम करते हैं। ज़्यादातर मामलों में तीव्र सोच हमारी रोज़मर्रा की गतिविधियों के लिए पूरी तरह उचित होती है।

दूसरी तरह की सोच का वर्णन काहनेमन धीमी सोच के रूप में करते हैं। इसमें आप पीछे हटते हैं और स्थिति के विवरणों पर सावधानीपूर्वक सोचने में ज़्यादा समय लगाते हैं और इसके बाद ही निर्णय लेते हैं कि आप क्या करेंगे। काहनेमन की ज्ञानवर्धक जानकारी यह है कि आवश्यकता होने पर भी हम धीमी सोच करने में असफल रहते हैं और इसी वजह से हम जीवन में कई ग़लतियाँ कर बैठते हैं।

समय के प्रबंधन में उत्कृष्ट बनने और अपने पूरे जीवन की बागडोर थामने के लिए आपको नियमित रूप से 'धीमी सोच' का इस्तेमाल करना चाहिए। अक्सर आपके साथ ऐसा हुआ होगा कि आप बहुत मेहनत से काम कर रहे हैं, लेकिन आपने पीछे हटकर कभी ठीक से सोचा ही नहीं कि आप दरअसल हासिल क्या करना चाहते हैं।

एक पति और पत्नी की कहानी है, जो कार से सैन डिएगो से लॉस एंजेलिस जा रहे हैं। पति सड़क से अपरिचित है, लेकिन इसके बावजूद तेज़ रफ़्तार से कार चला रहा है। एक मोड़ पर पत्नी कहती है, “प्रिय, क्या फ़ीनिक्स लॉस एंजेलिस के रास्ते में पड़ता है?"

पति पूछता है, “यह तुमने क्यों पूछा?" वह जवाब देती है, “देखो, मुझे अभी एक साइन बोर्ड दिखा, जिस पर लिखा था कि हम फ़ीनिक्स जाने वाली सड़क पर हैं।" पति जवाब देता है, “चिंता मत करो। हम बहुत तेज़ रफ़्तार से जा रहे हैं। "

जब आप अपने जीवन का एक्सीलरेटर दबाएँ, तो इससे पहले आपको पूरी तरह स्पष्ट कर लेना चाहिए कि आप सचमुच क्या हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं।

द डेविल्स डिक्शनरी में एम्ब्रॉस बियर्स ने लिखा है, “सनक की परिभाषा यह है कि आप अपने लक्ष्य को भूल जाएँ और अपने प्रयासों को दोगुना कर लें।”

क्या आपका लक्ष्य एक बेहतरीन जीवन बनाना है? क्या आप एक बेहतरीन करियर बनाने या महान कृति बनाने की कोशिश कर रहे हैं? पीछे हटकर आत्म-विश्लेषण करने, यानी धीमी सोच की आपकी योग्यता अनिवार्य है, ताकि आप अपने समय को इस तरह व्यवस्थित कर लें कि आप सबसे उत्पादक रहें और आपको अपने काम से सबसे ज़्यादा आनंद, संतुष्टि और खुशी मिले।

यह स्पष्ट कर लें कि आप कौन से परिणाम चाहते हैं। जैसा स्टीफन कवी ने कहा था, “अंत को दिमाग़ में रखकर शुरू करें।" वह अंतिम परिणाम या उपलब्धि क्या है, जिसे आप हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं? आप अंत में कहाँ पहुँचना चाहते हैं? जब आप सफलता की सीढ़ी पर चढ़ें, तो यह सुनिश्चित कर लें कि यह सही इमारत पर टिकी हो।

क्या आप इसलिए काम कर रहे हैं, ताकि आप इतने पैसे कमा लें कि आप सुरक्षित और ख़ुश महसूस करें? क्या आप इसलिए काम कर रहे हैं, क्योंकि आप अपने काम से प्रेम करते हैं या आप यह महसूस करते हैं कि आप कोई बहुत महत्त्वपूर्ण चीज़ हासिल करने के मिशन पर हैं?

अगर आप अपने सबसे बड़े लक्ष्य को हासिल कर लें, तो आपका संसार कैसा दिखेगा? लंबे समय में खुद के और अपने करियर के लिए आपका क्या स्वप्न है? आपका मिशन क्या है? दूसरे लोगों के जीवन में आप क्या फर्क डालना चाहते हैं?

यदि आप सिर्फ अपने बिल चुकाने के लिए ही काम कर रहे हैं, तो समर्पण और उत्साह का उच्च स्तर बनाना और उसे क़ायम रखना आपके लिए मुश्किल होगा। सचमुच खुश और संतुष्ट रहने के लिए आपको कोई ऐसी चीज़ हासिल करने की दिशा में काम करना चाहिए, जो आपसे ज्यादा बड़ी हो और जिससे दूसरों के जीवन या कामकाज में फर्क पड़ता हो ।

जब आप इस बारे में स्पष्ट हो जाए कि आप क्या करने की कोशिश कर रहे हैं, तो इसके बाद आपको यह पूछना चाहिए, “मैं इसे कैसे करूँ?" हर बार जब आप ये दो प्रश्न पूछते हैं और इनका जवाब देते हैं, तो आपको मूल्यवान जानकारी मिलेगी, जिससे आप अपनी स्थिति को देखकर यह पता लगा सकते हैं कि क्या आप सही मार्ग पर जा रहे हैं।

जब आप इस बारे में स्पष्ट हो जाते हैं कि आप क्या करने की कोशिश कर रहे हैं और इसे कैसे करने की कोशिश कर रहे हैं, तो फिर आपको तीसरा प्रश्न पूछना चाहिए, “यह कैसा चल रहा है?"

आप जो कर रहे हैं, क्या वह आपको सबसे तीव्र और सबसे कार्यकुशल तरीके से आपकी मनचाही चीज़ की तरफ ले जा रहा है? क्या आप अपनी प्रगति की रफ्तार से खुश हैं? क्या सब कुछ अच्छी तरह हो रहा है या फिर यात्रा में बहुत सारी बाधाएँ और रुकावटें आ रही हैं?

सबसे बढ़कर, अपनी मान्यताओं पर प्रश्न करें। जैसा पीटर ड्रकर ने कहा था, "हर असफलता की जड़ में गलत मान्यताएँ होती हैं।”

अपने काम और अपने जीवन के बारे में आपकी क्या मान्यताएँ हैं? आपकी चेतन मान्यताएँ क्या हैं? आपकी अचेतन मान्यताएँ क्या हैं, जिन पर आप अमूमन प्रश्न ही नहीं करते हैं? यह आश्चर्यजनक है कि कितने सारे मेहनती लोग झूठी मान्यताओं की वजह से मेहनत कर रहे हैं, जिन पर उन्होंने कभी सवाल ही नहीं किया।

जब आप "यह कैसा चल रहा है?" प्रश्न पर विचार करें, तो आपको एक और महत्त्वपूर्ण प्रश्न पर भी विचार करना चाहिए कि "क्या कोई बेहतर तरीका हो सकता है?” सच तो यह है कि लगभग हमेशा किसी व्यावसायिक लक्ष्य को हासिल करने का एक अलग और बेहतर तरीक़ा होता है। यह दूसरा तरीक़ा ज़्यादा तेज़, ज़्यादा सस्ता, ज़्यादा आसान और ज़्यादा कारगर हो सकता। एक सुंदर पंक्ति है, “जीवन में गति बढ़ाने के अलावा भी बहुत कुछ है।"

कई लोग कड़ी मेहनत तो कर रहे हैं, लेकिन वे ग़लत दिशा में ग़लत रास्ते पर जा रहे हैं। वे इस बारे में स्पष्ट नहीं हैं कि वे क्या करने की कोशिश कर रहे हैं और अंत में कहाँ पहुँचना चाहते हैं, लेकिन वे इस संभावना का सामना नहीं करना चाहते कि वे ग़लत हो सकते हैं। मुश्किल सवाल पूछने की प्रक्रिया के लिए धीमी सोच की ज़रूरत होती है, लेकिन इससे व्यावसायिक लक्ष्यों और विचार व मिशन को हासिल करने की गति काफ़ी बढ़ सकती है।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

आर्थिक लक्ष्य बनाएं

अगर आपका कोई लक्ष्य ही नहीं है, तो आपकी सफलता असंदिग्ध है। अगर आप यही नहीं जानते कि आप कहाँ पहुँचना चाहते हैं, तो आप कहीं नहीं पहुँच सकते। जैसे, किसी यात्रा पर जाने से पहले आपको यह पता होना चाहिए कि आप कहाँ जाना चाहते हैं, उसी तरह आपको यह भी पता होना चाहिए कि आर्थिक क्षेत्र में आप कहाँ पहुँचना चाहते हैं। तभी आप वहाँ तक पहुँच सकते हैं। यदि आपकी कोई मंज़िल ही नहीं है, तो आप वहाँ तक पहुँचने की योजना कैसे बनाएँगे और उस दिशा में कैसे चलेंगे? अगर आप जीवन में कुछ करना चाहते हैं, तो यह जान लें कि लक्ष्य के बिना काम नहीं चलेगा। लक्ष्य दो तरह के होते हैं : सामान्य लक्ष्य और निश्चित लक्ष्य। सामान्य लक्ष्य इस प्रकार के होते हैं, 'मैं और ज़्यादा मेहनत करूँगा,' 'मैं अपनी कार्यकुशलता बढ़ाऊँगा,' 'मैं अपनी योग्यता में वृद्धि करूँगा' इत्यादि। दूसरी ओर, स्पष्ट लक्ष्य इस प्रकार के होते हैं, 'मैं हर दिन 8 घंटे काम करूँगा,' या 'मैं हर महीने 20,000 रुपए कमाऊँगा,' या 'मैं सॉफ्टवेयर डिज़ाइनिंग का कोर्स करूँगा।' स्पष्ट लक्ष्य वे होते हैं, जिन्हें नापा या जाँचा जा ...

कौन सा काम महत्वपूर्ण है,अनिवार्य है या सामान्य है कैसे पहचाने?

अक्सर हमारी दिनचर्या इस तरह की होती है कि हमारे सामने जो काम आता है, हम उसे करने लग जाते हैं और इस वजह से हमारा सारा समय छोटे-छोटे कामों को निबटाने में ही चला जाता है। हमारे महत्वपूर्ण काम सिर्फ़ इसलिए नहीं हो पाते, क्योंकि हम महत्वहीन कामों में उलझे रहते हैं। महत्वाकांक्षी व्यक्ति को इस बारे में सतर्क रहना चाहिए, क्योंकि सफलता पाने के लिए यह आवश्यक है कि महत्वपूर्ण काम पहले किए जाएँ। हमेशा याद रखें कि सफलता महत्वहीन नहीं, बल्कि महत्वपूर्ण कामों से मिलती है, इसलिए अपनी प्राथमिकताएँ स्पष्ट रखें और अपना समय महत्वहीन कामों में न गँवाएँ। इसलिए समय के सर्वश्रेष्ठ उपयोग का तीसरा सिद्धांत है : सबसे महत्वपूर्ण काम सबसे पहले करें। समय के संबंध में अपनी प्राथमिकताएँ तय करने का एक उदाहरण देखें। 'एक मशहूर संगीतज्ञ जब वायलिन बजाना सीख रही थीं, तो उन्होंने पाया कि उनकी प्रगति संतोषजनक नहीं है। कारण खोजने पर उन्हें पता चला कि संगीत का अभ्यास करने से पहले घर साफ़ करने, सामान व्यवस्थित करने, खाना पकाने आदि कार्यों में उनका बहुत समय लग जाता है, इसलिए उन्हें वायलिन के अभ्यास के लिए कम समय मिल पाता ह...

दौलत मनुष्य की सोचने की क्षमता का परिणाम है

आपका मस्तिष्क असीमित है यह तो आपकी शंकाएं हैं जो आपको सीमित कर रही हैं दौलत किसी मनुष्य की सोचने की क्षमता का परिणाम है इसलिए यदि आप अपना जीवन बदलने को तैयार हैं तो मैं आपका परिचय एक ऐसे माहौल से करवाने जा रहा हूं जो आपके मस्तिष्क को सोचने और आपको ज्यादा अमीर बनाने का अवसर प्रदान करेगा।  अगर आप आगे चलकर अमीर बनना चाहते हैं तो आपको एक ऐसा व्यक्ति होना चाहिए जिसके दरमियान 500 से अधिक व्यक्ति कार्यरत हो ऐसा कह सकते हैं कि वह एक इंडस्ट्रियलिस्ट होना चाहिए या एक इन्वेस्टर होना चाहिए उसको यह मालूम होना चाहिए की इन्वेस्टमेंट कैसे किया जाए। जिस प्रकार व अपनी दिमागी क्षमता का इन्वेस्टमेंट करता है उसी प्रकार उसकी पूंजी बढ़ती है यह उस व्यक्ति पर निर्भर करता है कि वह अपनी दिमागी क्षमता का किस प्रकार इन्वेस्टमेंट करें कि उसकी पूंजी बढ़ती रहे तभी वह एक अमीर व्यक्ति की श्रेणी में उपस्थित होने के लिए सक्षम होगा। जब कोई व्यक्ति नौकरी छोड़ कर स्वयं का व्यापार स्थापित करना चाहता है तो इसका एक कारण है कि वह अपनी गरिमा को वापस प्राप्त करना चाहता है अपने अस्तित्व को नया रूप देना चाहता है कि उस पर किसी क...