मैंने कई साल पहले ऑस्ट्रेलिया के एक किशोर के साथ काम किया था। यह किशोर डॉक्टर और सर्जन बनना चाहता था, लेकिन उसके पास पैसा नहीं था; न ही उसने हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी की थी। ख़र्च निकालने के लिए वह डॉक्टरों के ऑफिस साफ करता था, खिड़कियाँ धोता था और मरम्मत के छुटपुट काम करता था। उसने मुझे बताया कि हर रात जब वह सोने जाता था, तो वह दीवार पर टंगे डॉक्टर के डिप्लोमा का चित्र देखता था, जिसमें उसका नाम बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा था। वह जहाँ काम करता था, वहाँ वह डिप्लोमाओं को साफ करता और चमकाता था, इसलिए उसे मन में डिप्लोमा की तस्वीर देखना या उसकी कल्पना करना मुश्किल नहीं था। मैं नहीं जानता कि उसने इस तस्वीर को देखना कितने समय तक जारी रखा, लेकिन उसने यह कुछ महीनों तक किया होगा। जब वह लगन से जुटा रहा, तो परिणाम मिले। एक डॉक्टर इस लड़के को बहुत पसंद करने लगा। उस डॉक्टर ने उसे औज़ारों को कीटाणुरहित करने, इंजेक्शन लगाने और प्राथमिक चिकित्सा के दूसरे कामों की कला का प्रशिक्षण दिया। वह किशोर उस डॉक्टर के ऑफिस में तकनीकी सहयोगी बन गया। डॉक्टर ने उसे अपने खर्च पर हाई स्कूल और बाद में कॉलेज भी भेजा। आज
व्यवसाय में ज्यादातर काम प्रोजेक्टों से संबंधित होता है। प्रोजेक्ट पूरे करने की योग्यता करियर में आपकी सफलता को काफ़ी हद तक तय करती है। प्रोजेक्ट की परिभाषा है 'बहुल कार्यों वाला काम'। प्रोजेक्ट वह परिणाम है, जिसके लिए कई छोटे कामों की श्रंखला को पूरा करने की ज़रूरत होती है।
अपनी उपलब्धि के स्तर को बहुत ज़्यादा बढ़ाने और अपनी प्रभावकारिता को अधिकतम करने के लिए आप शायद जिस सबसे शक्तिशाली साधन का इस्तेमाल कर सकते हैं, वह है जाँचसूची। जाँचसूची में क़दमों की श्रंखला समय के हिसाब से जमी होती है। इसे आप प्रोजेक्ट पर काम शुरू करने से पहले बनाते हैं।
आप आज जहाँ हैं, वहाँ से सफलतापूर्वक प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए आपको कौन से क़दम उठाने हैं, उन्हें स्पष्टता से तय करने की आपकी योग्यता श्रेष्ठ सोच की निशानी है। एक बार फिर नियम यह है कि योजना और जाँचसूची बनाने में लगा एक मिनट क्रियान्वयन और काम करने में लगने वाले दस मिनट बचाता है। यह धीमी सोच का एक और उदाहरण है, जो आपकी प्रभावकारिता और आपके आउटपुट को महत्त्वपूर्ण रूप से बढ़ा सकती है। इससे कंपनी के प्रति आपके मूल्यवान योगदान में भी काफ़ी वृद्धि होती है।
अपने ज़्यादा बड़े कामों और प्रोजेक्टों का चार्ट बनाएँ, ताकि आप और बाक़ी लोग इसे इसकी पूर्णता में देख सकें।
यह तय करें कि आप जो परिणाम चाहते हैं, उनका आनंद लेने के लिए आपको कौन से लक्ष्य और उद्देश्य हासिल करने होंगे। अंत को दिमाग़ में रखकर शुरू करें। पूरी तरह स्पष्ट कर लें कि अगर आपके लक्ष्य उत्कृष्ट अंदाज़ में हासिल हो जाएँ, तो वे कैसे दिखेंगे, फिर भविष्य से वर्तमान तक आएँ। तार्किक क़दमों की क्रमवार सूची बनाएँ, जिन्हें उठाकर आप अपनी वर्तमान जगह से वहाँ तक पहुँच सकते हैं, जहाँ आप पहुँचना चाहते हैं ।
अंतिम लक्ष्य हासिल करने के लिए आपको कितने क़दम उठाने होंगे और हर क़दम को कब तक पूरा करना होगा। इस तकनीक का इस्तेमाल दुनियाभर की सबसे कार्यकुशल व सफल कंपनियाँ व एक्ज़ीक्यूटिव करते हैं।
अपने हर उद्देश्य या लक्ष्य के लिए एक लाइन पूर्णता की आवश्यक तारीख से पीछे की ओर खींचें। इसे कागज़ पर लिख दें, ताकि आप देख सकें कि आपको समय पर काम पूरा करने के लिए काम के हर हिस्से को कब तक करना है |
काग़ज़ पर सोचकर आप घटनाओं पर पूरा नियंत्रण कर लेते हैं। आपके पास दौड़ने के लिए एक ट्रैक होता है। आपके पास कामों की एक श्रंखला होती है, जिसकी जाँच करके आप यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि वे समय-सीमा में पूरे हो जाएँ और उनकी गुणवत्ता संतोषजनक हो। आप अपने काम और अपने मुख्य प्रोजेक्टों की बागडोर हमेशा सही तरीक़े से थामे रहते हैं।
अगर आपको महीने के अंत तक कोई काम पूरा करना है, तो आप अपनी समय-सीमा पंद्रह या बीस तारीख तय कर सकते हैं, ताकि आपके पास पर्याप्त अतिरिक्त समय रहे, क्योंकि अप्रत्याशित विलंब या समस्याएं खड़ी हो सकती हैं। मर्फी के नियम को हमेशा याद रखें कि "जो भी गलत हो सकता है, वह ग़लत होगा।”
श्रेष्ठ एक्ज़ीक्यूटिव यह मानकर चलता है कि नियत समय-सीमा तक काम पूरा करने में समस्याएँ, बाधाएँ, अप्रत्याशित विलंब और असफलताएँ आएँगी। ये चीजें कारोबारी जीवन का सामान्य और स्वाभाविक हिस्सा हैं। आपका काम प्रोजेक्ट की नब्ज़ पर लगातार अँगुली रखना है और फिर उन समस्याओं को सुलझाना और बाधाओं को हटाना है, जिनका उत्पन्न होना तय है। आप यह देखकर काफी हैरान होंगे कि आप कितना ज्यादा हासिल कर सकते हैं और क़दमों के बीच कितनी कम अड़चनें या बाधाएँ आती हैं।
आप बेहतरीन बातचीत और अच्छे इरादों से जितना हासिल कर पाएँगे, उससे कहीं ज़्यादा प्रोजेक्ट में शामिल हर मुख्य व्यक्ति के लिए स्पष्ट लक्ष्य लिखकर हासिल कर लेंगे। लक्ष्यों को स्पष्ट, निश्चित, मापने योग्य और समय-सीमा वाला बनाएँ। याद रखें, जिसे मापा जाता है, उसे ही किया जाता है। डेडलाइन के बिना लक्ष्य दरअसल लक्ष्य नहीं होता। यह तो सिर्फ विचार-विमर्श होता है।
किसी काम या प्रोजेक्ट की पूर्णता के हर लक्ष्य या उपलब्धि की ज़िम्मेदारी किसी निश्चित व्यक्ति को सौंपें। यह काम कौन करने वाला है? यह काम कब तक पूरा करने की ज़रूरत है और गुणवत्ता का स्तर क्या होगा? हमेशा ये प्रश्न पूछें। इसे पूरी तरह से स्पष्ट कर दें। कभी यह मानकर ना चलें कि कर्मचारियों को यह मालूम है कि आप क्या चाहते हैं।
सन् 2009 में जनरल मोटर्स भारी घाटे और दिवालियेपन का शिकार थी। 2012 में यह 4.9 अरब डॉलर के मुनाफ़े तक पहुँच गई। जीएम के प्रेसिडेंट डैन एकरसन ने कहा कि कंपनी की कायापलट का सबसे महत्त्वपूर्ण हिस्सा हर मुख्य व्यक्ति और संगठन के हर स्तर पर स्पष्ट लक्ष्य तय करना था।
इस पद पर आने से पहले उन्होंने पाया कि पूरे संगठन में लक्ष्य अस्पष्ट थे, जिनका पालन सुनिश्चित नहीं किया जाता था, इसलिए वे शायद ही कभी हासिल होते थे। स्पष्ट और निश्चित लक्ष्य तय करने के बाद सभी कर्मचारी सटीकता से यह जान गए कि उन्हें अपनी नौकरी सही-सलामत रखने के लिए और आगे बढ़ने के लिए क्या करना है।
याद रखें, आपके पास जो सबसे अद्भुत गुण है, वह आपकी सोचने की योग्यता है, ख़ासतौर पर चीज़ों पर पहले से सोचने की योग्यता। आप कागज़ पर सोचने और योजना बनाने में जितना ज़्यादा समय लगाते हैं, आपको उतने ही बेहतर परिणाम मिलेंगे और उतनी ही जल्दी मिलेंगे।
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जब आप अपनी सोच को बदलते हैं तो आप अपनी जिंदगी को भी बदल देते हैं।