समय का प्रबंधन दरअसल जीवन का प्रबंधन है, आपकी व्यक्तिगत उत्पादकता को बेहतर बनाने का काम आपके मूल्यों के परीक्षण से शुरू होता है। मर्फी का नियम कहता है कि कोई चीज़ करने से पहले आपको कोई दूसरी चीज़ करनी पड़ती है। समय का उचित प्रबंधन करना भी तब तक संभव नहीं है, जब तक आपको सटीकता से यही ना मालूम हो कि आपका मूल्य क्या हैं। समय के अच्छे प्रबंधन के लिए आवश्यक है कि आपका घटनाओं के क्रम पर अपना नियंत्रण आपके लिए सबसे ज़्यादा महत्त्वपूर्ण आदर्शों के सामंजस्य में हों। यदि यह आपके लिए महत्त्वपूर्ण नहीं है, तो आप अपने समय का नियंत्रण हासिल करने के लिए कभी प्रेरित और संकल्पवान महसूस नहीं करेंगे। हर इंसान को जीवन में अर्थ और उद्देश्य की गहरी ज़रूरत होती है। व्यक्तिगत तनाव और अप्रसन्नता के मुख्य कारणों में से एक यह भावना है कि आप जो कर रहे हैं, उसका आपके सबसे अंदरूनी मूल्यों और विश्वासों के संदर्भ में कोई अर्थ और उद्देश्य नहीं है। आपको हमेशा यह प्रश्न पूछकर शुरू करना चाहिए, "क्यों?" आप समय प्रबंधन की तकनीकों में ज़्यादा कार्यकुशल बन सकते है लेकिन इससे आपका कोई भला नहीं होगा, अगर आप किसी अर्
लीडर सक्रिय और उत्पादक होते हैं। वे कई घंटों तक कड़ी मेहनत करके दूसरों के सामने मिसाल पेश करते हैं। बहरहाल, सफल लीडर यह भी जानते हैं कि जीवनशैली संबंधी चयन उनकी सफलता पर काफ़ी असर डाल सकते हैं। लीडर खुद की शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक परवाह करते हैं। इससे उन्हें नेतृत्व की चुनौतियों और तनाव के साथ निपटने में मदद मिलती है तथा मानसिक शांति व ऊर्जा भी मिलती है।
यहाँ जीवनशैली संबंधी कुछ नियम बताए जा रहे हैं, जिनका पालन सर्वश्रेष्ठ लीडर करते हैं :
भरपूर नींद लें। सात-आठ घंटे सोने के बाद आपके पास ज़्यादा ऊर्जा होगी। तब आप ज़्यादा चौकस, सकारात्मक और लचीले होंगे। लीडर के रूप में आपको सारे समय 100 प्रतिशत जागरूक होना होता है। यह नहीं चलेगा कि आप बहुत ज़्यादा थक जाएँ या मानसिक कोहरे में रहें।
अपनी बैटरी को रिचार्ज करते रहें। चुनौती और संकट के दौर ख़ासतौर पर थका सकते हैं, हालाँकि यह अनुपयोगी लग सकता है, लेकिन कई बार कारोबार संबंधी हर चीज़ से दिनभर की छुट्टी लेना ज़रूरी होता है।
पूरी तरह कामबंदी करें। संभवतः अपनी बैटरी को रिचार्ज करने का सबसे अच्छा तरीक़ा यह है कि आप 36 घंटों के लिए पूरी तरह से काम बंद कर दें। शुक्रवार रात से रविवार की सुबह तक कंप्यूटर की तरफ़ देखें भी नहीं। फ़ोन ना सुनें या अपने ऑफ़िस से लाई अध्ययन सामग्री पर निगाह ना डालें। खुद को पूरी छुट्टी दें। इसका नतीजा यह होगा कि आप पहले से ज़्यादा तरोताज़ा होकर काम पर लौटेंगे।
अपने खान-पान पर निगाह रखें। अगर आप चाहते हैं कि आपका मस्तिष्क पूरी शक्ति से काम करे, तो इसके लिए सही आहार करने और ग़लत आहार से बचने की ज़रूरत होती है। तीन सफ़ेद विषों को छोड़ दें : शकर, नमक और आटा। ब्रेड, मिठाइयों, सॉफ्ट ड्रिंक्स और पास्ता से बचें। इसके बजाय फल, सब्ज़ियाँ और मछली, अंडे या लीन मीट जैसे उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन लें।
ज़्यादा व्यायाम करें। व्यायाम के लाभ रासायनिक होते हैं। जब आप जमकर व्यायाम करते हैं, तो आपका मस्तिष्क एंडोर्फ़िन यानी 'खुशी के रसायन' प्रवाहित करता है, जो आपको ज़्यादा सकारात्मक, आत्मविश्वासी और सृजनात्मक महसूस कराते हैं।
अपने दिन की सही शुरुआत करें। सुबह जागने के बाद तीस से साठ मिनट तक व्यायाम करें। इसके बाद नाश्ते में उच्च गुणवत्ता वाला प्रोटीन लें। आप ना सिर्फ़ दिन के लिए तैयार हो जाएँगे, बल्कि अपने सर्वश्रेष्ठ स्तर पर काम करने के लिए भी तैयार हो जाएँगे।
हमारे माहौल में ऐसी आवाज़ें भरी रहती हैं, जो संवाद और चर्चा में बाधा डालती हैं। टेलीविज़न और ख़ासतौर पर कार का रेडियो बंद रखें। शांति का लाभ लेकर अपने परिवार से चर्चा करें या शैक्षणिक अथवा प्रेरक सामग्री पढ़ें या सुनें। डीवीआर सेवा की बदौलत आप टीवी का कोई भी कार्यक्रम अपनी सुविधानुसार देख सकते हैं। खाली जगह भरने के लिए टीवी या रेडियो का इस्तेमाल ना करें।
एकांत की दैनिक अवधियाँ भी महत्त्वपूर्ण होती हैं। हर दिन अकेले ख़ामोशी में आधे घंटे से लेकर एक घंटा बिताएँ। आप यह देखकर हैरान रह जाएँगे कि मौन में कितना बढ़िया ज्ञान और विचार उत्पन्न होते हैं। आपको ना सिर्फ अपने दिन की योजना बनाने का अवसर मिलेगा, बल्कि स्पष्टता से इस बारे में सोचने का अवसर भी मिलेगा कि आप अल्पकाल और दीर्घकाल में क्या चाहते हैं।
नियमित दिनचर्या में एकांत में रहने पर आपको महान नेतृत्व के लिए आवश्यक शांति, सृजनात्मकता और तनाव से मुक्ति मिल जाएगी। फ्रांसीसी लेखक ब्लेज़ पास्कल ने लिखा था, “संसार की सभी समस्याएँ इसलिए उत्पन्न होती हैं, क्योंकि इंसान अकेले एक कमरे में नहीं बैठ पाता है।"
जीवन और काम के बीच संतुलन क़ायम रखना। अत्यधिक काम करने वाले प्रभावी नहीं होते हैं। जो लोग काम को घर पर लाते हैं, वे प्रायः ऐसा इसलिए करते हैं, क्योंकि ऑफ़िस में वे अनुशासित नहीं रहते हैं। वे सामाजिक मेल-मिलाप में पूरा दिन बर्बाद कर देते हैं। और फिर अफ़सोस करते हैं कि उन्हें रात को या वीकएंड में काम करना होगा। अपने कामकाजी जीवन और निजी जीवन में संतुलन कायम रखना महत्त्वपूर्ण है। जब आप घर जाएँ, तो व्यवसाय को एक तरफ़ रखने और अपने परिवार के साथ गुणवत्तापूर्ण समय बिताने का संकल्प लें।
नियंत्रण के नियम के अनुसार "खुशी इस अहसास पर निर्भर करती है कि आप अपने जीवन के कितने नियंत्रण में हैं।" अप्रसन्नता उसी हद तक होती है, जिस हद तक आपको महसूस होता है कि आप नियंत्रण में नहीं हैं या आपका जीवन बाहरी घटकों या दूसरे लोगों से नियंत्रित है।
मनोवैज्ञानिक हमारे 'नियंत्रण के केंद्र' को महत्त्वपूर्ण मानते हैं। जब आप प्रभारी होते हैं, तो आपके नियंत्रण का केंद्र आंतरिक होता है, यानी आप खुद तय करते हैं कि आपके साथ क्या होता है। इससे आप खुद को शक्तिशाली और उद्देश्यपूर्ण महसूस करते हैं।
आपके नियंत्रण का केंद्र बाहरी तब होता है, जब आप यह महसूस करते हैं कि आप अपने जीवन को नियंत्रित नहीं करते हैं। परिस्थितियाँ, दूसरे लोग, यहाँ तक कि आपका व्यक्तित्व भी इस बात को नियंत्रित करता है कि आपके साथ क्या होता है। मिसाल के तौर पर, कुछ लोग जानते हैं कि उनका गुस्सा बुरा है, क्योंकि इससे वे दूसरों के साथ सफलतापूर्वक काम नहीं कर पाते हैं, लेकिन वे यह कहकर अपनी ज़िम्मेदारी से मुँह मोड़ लेते हैं, “मैं क्या करूँ, मैं तो ऐसा ही हूँ।”
नेतृत्व ज़िम्मेदारी के बारे में है और इसमें अपने जीवन का नियंत्रण अपने हाथ में लेने तथा अपनी खुशी सुनिश्चित करने की ज़िम्मेदारी भी शामिल है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें
जब आप अपनी सोच को बदलते हैं तो आप अपनी जिंदगी को भी बदल देते हैं।