मन सभी धर्मों, कर्मों, प्रवृतियों का अगुआ है। सभी कर्मों (धर्मों) में मन पूर्वगामी है। मन ही प्रधान है, प्रमुख है, सभी धर्म (चैत्तसिक अवस्थाएं) पहले मन में ही पैदा होती हैं। मन सभी मानसिक प्रवृतियों में श्रेष्ठ है, स्वामी है। सभी कर्म मनोमय है। मन सभी मानसिक प्रवृतियों का नेतृत्व करता है क्योंकि सभी मन से ही पैदा होती है। जब कोई व्यक्ति अशुद्ध मन से, मन को मैला करके, बुरे विचार पैदा करके वचन बोलता है या शरीर से कोई पाप कर्म (बुरे कर्म) करता है, तो दुख उसके पीछे-पीछे वैसे ही हो लेता है जैसे बैलगाड़ी खींचने वाले बैलों के पैरों के पीछे-पीछे चक्का (पहिया) चलता है। मन सभी प्रवृतियों, भावनाओं का पुरोगामी है यानी आगे-आगे चलने वाला है। सभी मानसिक क्रियाकलाप मन से ही उत्पन्न होते हैं। मन श्रेष्ठ है, मनोमय है। मन की चेतना ही हमारे सुख-दुख का कारण होती है। हम जो भी फल भुगतते हैं, परिणाम प्राप्त करते हैं। वह मन का ही परिणाम है। कोई भी फल या परिणाम हमारे विचार या मन पर निर्भर है। जब हम अपने मन, वाणी और कमों को शुद्ध करेंगे तभी दुखों से मुक्ति मिल सकती है। मन हमारी सभी प्रकार की भावनाओं, प्रव...
लीडर खुद को प्रेरित बनाए रखने के लिए तीन तरीकों से ज़िम्मेदारी निभाते हैं। एक है अपने स्वप्न के माध्यम से, ज़्यादातर वास्तविक लीडर स्वप्नदर्शी होते हैं, ख़ासतौर पर काया-कल्पकारी लीडर जिनमें भविष्य का सृजन करने की योग्यता होती है। वे एक ऐसे भविष्य और संभावनाओं का सपना देखते हैं, जिसके बारे में किसी ने भी पहले कभी सोचा नहीं होगा। एक सच्चा लीडर पूरी स्पष्टता से भविष्य का सपना देख सकता है, जबकि उसके आस-पास के लोग उसकी ज़रा भी कल्पना नहीं कर सकते, लीडर आगे बढ़ते हैं और नियोजन, प्रशासन व व्यवस्थापन के जरिये अपने सपनों को सच कर देते हैं।
रणनीतिक नियोजन का अभ्यास में लीडर को पाँच साल बाद के एक ऐसे भविष्य की कल्पना करनी होगी, जिसमें आप अपने उद्योग में सर्वश्रेष्ठ हो। इस भावी आदर्श विशेषताओं और गुणों को जब आप बता देते है, क्या यह संभव है, हम इस बारे में बात करते हैं कि वे
✓अगले पाँच साल में उस भविष्य तक कैसे पहुँच सकते हैं। एक बार जब आपके पास अपनी मनचाही चीज़ का स्पष्ट स्वप्न होता है, तो अगला प्रश्न हमेशा यही होता है, "कैसे?"
✓आप इसी अभ्यास का इस्तेमाल जीवनभर कर सकते हैं। कल्पना करें कि कोई सीमाएँ नहीं हैं - पैसे की, शिक्षा की, अनुभव की, संपर्कों की या किसी दूसरी चीज़ की।
अब पाँच साल बाद के अपने आदर्श जीवन की कल्पना करें।
आप क्या कर रहे हैं?
आपका जीवन कैसा दिखता है?
जब आपके पास अपने स्वप्न के विवरण होते हैं, तो अगला कदम उसे कर दिखाना है। इस बारे में सोचें कि अपनी 'पाँच साल की फंतासी' को सच करने के लिए आपको आज से क्या करना होगा।
पीटर ड्रकर ने लिखा था, “हम एक साल में क्या कर सकते हैं, इसका हम बहुत अति-आकलन कर लेते हैं, लेकिन पाँच साल में हमारे लिए क्या संभव है, हम उसका बहुत कम-आकलन करते हैं।”
लीडर लगातार ज़्यादा ऊँचे लक्ष्य तय करके खुद को प्रेरित करते हैं। अगर आप ज़्यादा ऊँचे लक्ष्य तय करते हैं, अगर आप कोशिश करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि आपके लक्ष्य हमेशा आपकी मौजूदा क्षमताओं से ज़्यादा बड़े हों, तो आप प्रेरित बने रहेंगे।
लीडर दूसरों का समर्पण हासिल करके खुद को प्रेरित करते हैं। जब दूसरे लोग सपने के प्रति समर्पित होते हैं, तो लीडर का उत्साह बढ़ जाता है।
जैप्पोज़ डॉट कॉम के सीईओ टोनी शे का स्वप्न अपने ग्राहकों को सेवा का सर्वश्रेष्ठ अनुभव देना है और उनके कर्मचारी इसके प्रति समर्पित हैं। उन्हें यह बात कैसे पता? क्योंकि नए कर्मचारियों को ग्राहक सेवा का प्रशिक्षण देने के बाद जैप्पोज़ उनके सामने यह प्रस्ताव रखती है कि अगर वे उस समय कंपनी छोड़कर जाना चाहते हैं, तो उन्हें 2,000 डॉलर मिलेंगे। यह प्रस्ताव अजीब लग सकता है, लेकिन लक्ष्य स्पष्ट है : यह सुनिश्चित करना कि जो कर्मचारी रुकते हैं, वे सचमुच वहाँ रहना चाहते हैं और कंपनी के आदर्शों के प्रति समर्पित हैं। नए कर्मचारियों में से गिने-चुने कर्मचारी ही पैसा लेकर कंपनी छोड़ने का विकल्प चुनते हैं - जो एक तरह से अच्छा ही है, क्योंकि वे शायद कभी उतने समर्पित नहीं होते, जितने वे लोग जो जैप्पोज़ में काम करने के अवसर की ख़ातिर आसानी से मिल रहे पैसों को ठुकरा देते हैं।
सफलता आसानी से नहीं मिलती है। लीडर अपने सपनों को साकार करने के वास्ते मेहनत करने के लिए स्व-प्रेरित होते हैं। इसके फलस्वरूप लीडर ज़्यादा कड़ी मेहनत करते हैं। लीडर जब ऑफ़िस में रहते हैं, तो वे समय बर्बाद नहीं करते।
लीडर ज्यादा तेज़ काम करते हैं। वे हमेशा गति पकड़ने और तुरंत पकड़ने की तलाश करते हैं। वे कभी अपनी गति से संतुष्ट नहीं होते। वे ज़्यादा करना चाहते हैं, ज़्यादा तेज़ी से।
लीडर ज्यादा लंबे घंटे काम करते हैं। ज़्यादातर लीडर सबसे पहले ऑफ़िस पहुँचते हैं और अक्सर सबसे बाद में ऑफ़िस से निकलते हैं। इन अतिरिक्त घंटों से ही सप्ताह की उनकी उत्पादकता में भारी फ़र्क पड़ जाता है।
लीडर शिखर पर होते हैं। वे प्रेरित रहने के लिए दूसरों पर निर्भर नहीं रह सकते, उन्हें स्व-प्रेरित बनने की ज़रूरत होती है। ज़ाहिर है कि लीडर होना ही अपने आप में बहुत प्रेरक अनुभव होता है।
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