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अपने विचार और मिशन के बारे में सोचें

अपने विचार और मिशन के बारे में सोचें। डेनियल काहनेमन की पुस्तक थिंकिंग, फास्ट एंड स्लो पिछले कुछ वर्षों में लिखी गई सर्वश्रेष्ठ और सबसे ज़्यादा गहन चिंतन वाली पुस्तकों में से एक है। वे बताते हैं कि हमें अपने दैनिक जीवन में जिन बहुत सी स्थितियों का सामना करना पड़ता है, उनसे निपटने के लिए दो अलग-अलग प्रकार की सोच का इस्तेमाल करने की ज़रूरत होती है। तीव्र सोच का इस्तेमाल हम अल्पकालीन कामों, ज़िम्मेदारियों, गतिविधियों, समस्याओं और स्थितियों से निपटने के लिए करते हैं। इसमें हम जल्दी से और सहज बोध से काम करते हैं। ज़्यादातर मामलों में तीव्र सोच हमारी रोज़मर्रा की गतिविधियों के लिए पूरी तरह उचित होती है। दूसरी तरह की सोच का वर्णन काहनेमन धीमी सोच के रूप में करते हैं। इसमें आप पीछे हटते हैं और स्थिति के विवरणों पर सावधानीपूर्वक सोचने में ज़्यादा समय लगाते हैं और इसके बाद ही निर्णय लेते हैं कि आप क्या करेंगे। काहनेमन की ज्ञानवर्धक जानकारी यह है कि आवश्यकता होने पर भी हम धीमी सोच करने में असफल रहते हैं और इसी वजह से हम जीवन में कई ग़लतियाँ कर बैठते हैं। समय के प्रबंधन में उत्कृष्ट बनने और अपने

लक्ष्यों की दिशा

लीडर्स में उच्च आत्म- गौरव और सकारात्मक आत्म-छवि होती है। वे खुद को महत्त्व देते हैं और महत्त्वपूर्ण मानते हैं।
आत्म- गौरव का मतलब यह है कि आप खुद को कितना ज़्यादा पसंद करते हैं। आत्म-गौरव का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा स्व-प्रभावोत्पादकता है। यह एक भावना है कि आप सक्षम हैं, आप जो करते हैं, उसमें अच्छे हैं और लीडर के रूप में आपको जो परिणाम हासिल करने हैं, आप उन्हें हासिल करने में सक्षम हैं।

आत्म-गौरव महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि आप भीतर से जैसा महसूस करते हैं, अपने बारे में आपके जैसे विश्वास और विचार होते हैं, उन्हीं से यह तय होता है कि आप बाहर कैसा प्रदर्शन करेंगे। प्रूडेंशियल बैच कैलिफ़ोर्निया रिएल्टी के पूर्व सीईओ स्टीव रॉजर्स के अनुसार, “आप अपने बारे में कैसा महसूस करते हैं, उसका इस बात से पूरा-पूरा संबंध होता है कि आप अपने खुद के काम में और लोगों के मैनेजर के रूप में कैसा प्रदर्शन करते हैं।”

लीडर बनने के लिए शांति, स्पष्टता, लगन और संसार को उसी तरह देखने की योग्यता ज़रूरी होती है, जैसा यह सचमुच है। अगर लीडर स्व-शंका और हीनता की भावनाओं से जूझ रहा हो, तो ये गुण और ऐसे ही कई अन्य गुण असंभव होते हैं। 

लीडर्स ख़ुद को जानते हैं। कि उनमें आत्म-जागरूकता का बहुत ऊँचा स्तर होता है। वे आत्म-विश्लेषण में काफ़ी समय लगाते हैं। वे जानते हैं कि उन्हें कौन सी चीज़ चलाती है। वे अपने उद्देश्य जानते हैं और यह भी कि वे कोई काम क्यों करते हैं। वे भावनात्मक रूप से अति संलग्न होने के बजाय अपने बारे में बहुत निष्पक्ष होते हैं। दूसरे शब्दों में, लीडर्स में अहंकार कम और गर्व ज़्यादा होता है।

वे अपने हाथ में सिर्फ़ वही काम लेते हैं, जिन्हें वे उत्कृष्टता से कर सकें। चूँकि वे ख़ुद को जानते हैं, इसलिए वे ऐसा कोई काम नहीं लेते हैं, जिसे वे बहुत अच्छी तरह ना कर पाएँ। वे जानते हैं कि उनका हर काम लीडर के रूप में उनकी सकल छवि में योगदान देता है, इसलिए वे सिर्फ़ वही काम हाथ में लेते हैं, जिन्हें वे अच्छी तरह कर सकें।

वे अपनी अनूठी शक्तियों पर ध्यान केंद्रित करते हैं और पूछते हैं, “क्या यह ऐसा काम है, जिसे मैं उत्कृष्टता से कर सकता हूँ और क्या मुझमें इसे बेहद अच्छी तरह से करने के गुण और योग्यताएँ हैं?" अगर वै उस काम को अच्छी तरह नहीं कर सकते, तो वे पीछे हट जाएँगे। वे हमेशा औसत नहीं, बल्कि श्रेष्ठ परिणामों की तलाश करते हैं।

वे अपने बारे में ईमानदार भी होते हैं। वे ईमानदारी से अपना आकलन करते हैं। वे दंभी या अहंकारी या शेखीखोर नहीं होते। उनमें खुद की तरफ़ देखने और यह पूछने की काबिलियत होती है, “क्या यह मेरे लिए सही है? क्या यह सही कदम है, जो मुझे इस समय उठाना चाहिए?”

उच्च आत्म-गौरव वाले लोग रक्षात्मक नहीं होते हैं। वे खुद को इतना सुरक्षित मानते हैं कि ग़लतियों से सीख सकते हैं और विपत्तियों से निपट सकते हैं। जो लीडर नहीं होते, उनमें गलतियों से उबरने या विपत्ति से जूझने की आंतरिक शक्ति नहीं होती।

जो लोग लीडर नहीं हैं, उनमें यह पहचानने लायक आत्म गौरव भी नहीं होगा कि उनमें शक्तियाँ और कमज़ोरियाँ दोनों हैं। लीडर शक्ति के अपने क्षेत्र पहचानते हैं, लेकिन वे अपनी कमज़ोरियों को भी जानते हैं और उनसे उबरने का संकल्प लेते हैं। लीडर इस बात को पहचानते हैं कि वे आदर्श नहीं हैं, लेकिन इसके बावजूद सक्षम और सुयोग्य हैं।

कम आत्म- गौरव वाले लोगों का एक संकेत दूसरों के साथ उनके व्यवहार में नज़र आता है। कम आत्म- गौरव वाले लोग दूसरों के साथ सिर्फ़ इसलिए ख़राब व्यवहार करते हैं, ताकि वे बेहतर महसूस कर सकें। प्रभावी लीडर सबके साथ एक जैसा बर्ताव करते हैं, चाहे वे कमज़ोर हों या शक्तिशाली। वर्जिन ग्रुप के करिश्माई संस्थापक रिचर्ड ब्रान्सन "द अप्रेंटिस पर आधारित टेलीविज़न सीरीज़ के लिए एक लग्ज़री कार के ड्राइवर का वेश बनाकर गए थे। वे देखना चाहते थे कि शो में जिन उद्यमियों का परीक्षण हो रहा था, वे उनसे कैसा बर्ताव करते हैं। जिन लोगों ने उनके साथ ख़राब बर्ताव किया, उन्हें बाहर कर दिया गया। उनमें प्रभावी लीडर बनने की क्षमता नहीं थी।"

आत्म-गौरव अपने काम में अच्छा बनने से शुरू होता है। लीडर खुद को उत्कृष्ट प्रदर्शन के प्रति समर्पित कर देते हैं। वे इससे कम कोई चीज खुद से या दूसरों से स्वीकार नहीं करते हैं। वे अपने क्षेत्र के शीर्ष 10 प्रतिशत में रहना चाहते हैं। 

उच्च स्तरीय प्रदर्शन करके ही कम आत्म-गौरव वाले लोग इस जाल से बाहर निकल सकते हैं। यह इस बात के अहसास से शुरू होता है। कि कोई भी चीज़ संभव है। जो लोग आज अपने क्षेत्र के शीर्ष 10 प्रतिशत में गिने जाते हैं, उनमें से प्रत्येक ने कहीं न कहीं से तो शुरूआत की होगी और वह जगह अक्सर निचले 10 प्रतिशत में थी। आज जो भी अच्छा प्रदर्शन कर रहा है, वह कभी ख़राब स्थिति में था।

अपने विकास की ज़िम्मेदारी लें, ज़िंदगी स्व-रुचि भोज की क़तार की तरह है कि मैं उठू, ज़िम्मेदारी स्वीकार करूँ और अपनी 'रुचि' की चीजें हासिल कर लूँ। स्व-रुचि भोज की क़तार में आगे पहुँचने के लिए दो क़दम ज़रूरी थे, पहला, क़तार में लग जाओ और दूसरा क़तार में लगे रहो। क़तार में लगने का मतलब है खुद को बेहतर बनाने का निर्णय लेना और हर दिन अपने लक्ष्यों की दिशा में काम करना। क़तार में लगे रहने का मतलब है हार ना मानना, ख़ुद को बेहतर बनाने का छुटपुट प्रयास ना करना। खुद पर विश्वास करना।

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