कैलिफोर्निया में एक टीचर को हर साल पाँच-छह हजार डॉलर का वेतन मिलता था। उसने एक दुकान में एक सुंदर सफेद अर्मीन कोट देखा, जिसका भाव 8,000 डॉलर था। उसने कहा, "इतना पैसा बचाने में तो मुझे कई साल लग जाएँगे। मैं इसका ख़र्च कभी नहीं उठा सकती। ओह, मैं इसे कितना चाहती हूँ!" इन नकारात्मक अवधारणाओं से विवाह करना छोड़कर उसने सीखा कि वह अपना मनचाहा कोट, कार या कोई भी दूसरी चीज़ हासिल कर सकती है और इसके लिए उसे संसार में किसी को चोट पहुँचाने की ज़रूरत नहीं है। मैंने उससे यह कल्पना करने को कहा कि उसने कोट पहन रखा है। कि कल्पना में वह इसका सुंदर फर छुए, महसूस करे और इसे सचमुच पहनने की भावना जगाए। वह रात को सोने से पहले अपनी कल्पना की शक्ति का इस्तेमाल करने लगी। उसने अपनी कल्पना में वह कोट पहना, उसे सहलाया, उस पर हाथ फेरा, जिस तरह कि कोई बच्ची अपनी गुड़िया के साथ करती है। वह ऐसा हर रात करती रही और आख़िरकार उसे इस सबका रोमांच महसूस हो गया। वह हर रात यह काल्पनिक कोट पहनकर सोने गई और इसे हासिल करने पर वह बहुत खुश थी। तीन महीने गुज़र गए, लेकिन कुछ नहीं हुआ। वह डगमगाने वाली थी, लेकिन उसने खुद को य...
जब आप किसी वाइकल को 60 किलोमीटर की स्पीड से चला रहे हो, और आप उसकी स्पीड को 80 किलोमीटर कर देते हैं, तो अब आपकी वाइकल 80 किलोमीटर की स्पीड से चल रही हैं।
यानी आप APP की तैयारी से मजिस्ट्रेट की तैयारी पर आ जाते हैं, जिसकी स्पीड 80 किलोमीटर पर hour है, अगर आप अपनी वाइकल की स्पीड को 80 किलोमीटर से घटाकर 60 किलोमीटर पर hour कर देते हैं, तो क्या आप मजिस्ट्रेट बन पाएंगे, नहीं।
क्योंकि जिस तरह वाइकल की स्पीड 80 किलोमीटर से घटाकर 60 किलोमीटर पर hour करने पर वाइकल की स्पीड घट जाती हैं।
उसी तरह आप मजिस्ट्रेट की तैयारी करते समय APP की तैयारी करने लग जाएंगे, तो आप मजिस्ट्रेट कभी नहीं बन पाएंगे।
क्योंकि अब आपकी दिमागी वाइकल की क्षमता की स्पीड 80 किलोमीटर से 60 किलोमीटर पर hour पर आ चुकी हैं।
कहने का तात्पर्य यह है कि जब आप किसी उद्देश्य को तय करते हैं, और उसी उद्देश्य को पाना चाहते हैं, तो उस उद्देश्य में फेरबदल नहीं होना चाहिए।
अगर आप उस उद्देश्य में फेरबदल करते हैं, तो आपकी दिमागी क्षमता में काफी फेरबदल उसी के साथ होता है, फिर आप जिस उद्देश्य को लेकर चल रहे थे, उसी उद्देश्य को पाना आपके लिए असंभव हो जाता।
आप मेहनत करते रहते हैं, लेकिन उस उद्देश्य को पा नहीं पाते हैं। इसका और कोई कारण नहीं है, केवल यही कारण है कि आप अपने उद्देश्य के प्रति स्थाई तथा निश्चित नहीं है।
उद्देश्य में फेरबदल ना करें तभी आप उद्देश्य को पा सकते हैं। और उसी स्पीड से चल सकते हैं जिस स्पीड को आपने निर्धारित किया है 80 किलोमीटर पर hour जो मजिस्ट्रेट बनने के लिए आपके जीवन में आवश्यक हैं।
जैसे ही आपके उद्देश्य में बदलाव होते हैं, आपकी वाइकल की स्पीड ऑटोमेटेकली घट जाती हैं, इसलिए जब आप अपनी वाइकल की स्पीड को घटा देते हैं, तो आपका उस स्थान पर पहुंचने की समय सीमा में फेरबदल हो जाता है, और आप निर्धारित समय पर उस स्थान पर नहीं पहुंच पाते हैं।
जब आप वहां पहुंचते हैं तो आपको उस स्थान पर कोई और व्यक्ति उस सीट पर बैठा हुआ मिलता है, ऐसा उस दशा होता है, जब आप अपने उद्देश्य में बदलाव कर देते हैं।
जो उपलब्धि आज आपको प्राप्त होनी थी, आपका उद्देश्य में बदलाव करने की वजह से, आज वह उपलब्धि किसी और को प्राप्त है।
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जब आप अपनी सोच को बदलते हैं तो आप अपनी जिंदगी को भी बदल देते हैं।