मन सभी धर्मों, कर्मों, प्रवृतियों का अगुआ है। सभी कर्मों (धर्मों) में मन पूर्वगामी है। मन ही प्रधान है, प्रमुख है, सभी धर्म (चैत्तसिक अवस्थाएं) पहले मन में ही पैदा होती हैं। मन सभी मानसिक प्रवृतियों में श्रेष्ठ है, स्वामी है। सभी कर्म मनोमय है। मन सभी मानसिक प्रवृतियों का नेतृत्व करता है क्योंकि सभी मन से ही पैदा होती है। जब कोई व्यक्ति अशुद्ध मन से, मन को मैला करके, बुरे विचार पैदा करके वचन बोलता है या शरीर से कोई पाप कर्म (बुरे कर्म) करता है, तो दुख उसके पीछे-पीछे वैसे ही हो लेता है जैसे बैलगाड़ी खींचने वाले बैलों के पैरों के पीछे-पीछे चक्का (पहिया) चलता है। मन सभी प्रवृतियों, भावनाओं का पुरोगामी है यानी आगे-आगे चलने वाला है। सभी मानसिक क्रियाकलाप मन से ही उत्पन्न होते हैं। मन श्रेष्ठ है, मनोमय है। मन की चेतना ही हमारे सुख-दुख का कारण होती है। हम जो भी फल भुगतते हैं, परिणाम प्राप्त करते हैं। वह मन का ही परिणाम है। कोई भी फल या परिणाम हमारे विचार या मन पर निर्भर है। जब हम अपने मन, वाणी और कमों को शुद्ध करेंगे तभी दुखों से मुक्ति मिल सकती है। मन हमारी सभी प्रकार की भावनाओं, प्रव...
कामयाबी पाने के लिए एक ख़ास आदत है, जल्दी उठना । कामयाब लोग कुछ जल्दी उठ जाते हैं, पढ़कर खुद को तैयार करते हैं, योजना बनाते हैं और काग़ज़ पर उसे दर्ज करके खुद को आने वाले दिन के लिए तैयार करते हैं।
थॉमस जेफरसन कहा करते थे, “सूरज कभी मुझे बिस्तर में नहीं पकड़ पाया।"
कामयाब लोग जल्दी उठने की आदत सी डाल लेते हैं, संभवतया छह या साढ़े छह बजे तक, कई बार इससे भी पहले, और फिर तत्काल काम आरंभ कर देते हैं। इससे उनके दिन भर के काम को ज़ोरदार आगाज़ मिल जाता है।
जैसे ही आपका अलार्म बजे, तत्काल उठिए और सीधे काम में जुट जाइए। काम आरंभ कर दीजिए। जल्दी उठने की आदत डालिए और सबसे पहले महत्वपूर्ण काम को निपटा दीजिए। यह आदत आपको कामयाबी दिलाने वाली सभी आदतों में सबसे महत्वपूर्ण साबित होगी ।
एक ऐसे व्यक्ति के तौर पर ख्याति हासिल कर ले, जो कि हर वक्त काम और महत्वपूर्ण काम में ही जुटा होता है। काम पर एक घंटे पहले आने का फैसला करें, रिसर्च से यह साबित हो गया है कि अगर आपके काम में कोई बाधा नहीं हो तो आप तीन घंटे का काम केवल एक घंटे में कर सकते हैं, लंच के वक्त भी काम करें, हर किसी के चले जाने के बाद भी एक घंटे काम करें।
एक घंटे पहले शुरुआत करके, लंच में भी काम करके और सबके जाने के बाद एक घंटे काम से आप अपने काम करने के घंटों को दूसरों से ज़्यादा कर लेंगे। इसके अलावा जब आप काम पर ध्यान केंद्रित करके ज्यादा महत्व के कामों को प्राथमिकता के आधार पर करने लगेंगे तो आप अपनी आम क्षमता से दोगुना काम कर लेंगे। आप जल्द ही अपने संस्थान के सबसे बेशक़ीमती लोगों में से एक हो जाएँगे।
मेरा एक दोस्त, जो कि अपने क्षेत्र में शीर्ष पर है, ने पाया कि कंपनी के बड़े फ़ैसले लेने वाले लोगों से मुलाक़ात के लिए सुबह सात से साढ़े सात बजे के बीच या फिर शाम को छह से सात बजे के बीच का समय सही होता है। उसने पाया कि इस वक़्त या तो पूरा स्टाफ़ आया नहीं होता या फिर काम करके घर जा चुका होता है। केवल वही लोग काम पर होते हैं जो कि महत्वपूर्ण हैं।
वे ख़ुद फ़ोन उठाते हैं और ऐसे में आपको उनसे सीधी बातचीत का मौक़ा मिल सकता है और आप उनसे बाद में मुलाक़ात के लिए वक्त तय कर सकते हैं। हर क्षेत्र के कामयाब लोग आपको हर वक्त जल्दी में ही दिखेंगे।
रसेल कॉनवेल ने अपनी प्रसिद्ध कहानी, एकर्स ऑफ़ डायमंड्स में इसका ज़िक्र किया है। इसमें कहा गया है कि अधिकांश मामलों में मौक़े आपके क़दमों तले ही होते हैं। वे ठीक वहीं हैं, जहाँ आप हैं। वे आपकी वर्तमान प्रतिभा, कौशल, क़ाबिलियत और अनुभव की पहुँच में ही हैं। वे आपके अपने कारोबार या उद्योग में मौजूद हैं। वे आपकी अपनी पृष्ठभूमि या कैरियर में ही मौजूद हैं। आपकी हीरों की कई एकड़ की खदान आपके बहुत ही पास है और आपको इसे खोजने की शुरुआत वहीं से करनी चाहिए।
थियोडोर रूज़वेल्ट ने एक बार कहा था, “जो कर सकते हो करो, उन संसाधनों के साथ जो तुम्हारे पास हैं और ठीक वहीं पर जहाँ तुम हो।"यह कामयाबी की कुँजी है।"
वर्तमान पल और ताज़ा परिस्थिति पर ध्यान केंद्रित करें। चीज़ों के पूरी तरह से सही होने का इंतज़ार न करें। वह आप ही हैं जो चीज़ों को ठीक करेंगे। अपने काम को पूरे वक़्त दिल से करके आप संभावनाओं के उन दरवाज़ों को खोल देते हैं, जो अब तक आपको दिखाई नहीं दे रहे थे।
इसी वक्त खुद से यह सवाल करें, मैं अपने काम को बेहतर बनाकर कैसे अपने से जुड़े महत्वपूर्ण लोगों के काम आ सकता हूँ।
प्रतिक्रियावादी बनने की बजाय क्रियाशील बनें। ऐसे व्यक्ति बने, जो कि आगे बढ़कर मौके को छीन लेते हैं, और अगर आपको मौके नहीं मिलते, तो अपने निजी प्रयासों से उनको तैयार करें।
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