मैंने कई साल पहले ऑस्ट्रेलिया के एक किशोर के साथ काम किया था। यह किशोर डॉक्टर और सर्जन बनना चाहता था, लेकिन उसके पास पैसा नहीं था; न ही उसने हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी की थी। ख़र्च निकालने के लिए वह डॉक्टरों के ऑफिस साफ करता था, खिड़कियाँ धोता था और मरम्मत के छुटपुट काम करता था। उसने मुझे बताया कि हर रात जब वह सोने जाता था, तो वह दीवार पर टंगे डॉक्टर के डिप्लोमा का चित्र देखता था, जिसमें उसका नाम बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा था। वह जहाँ काम करता था, वहाँ वह डिप्लोमाओं को साफ करता और चमकाता था, इसलिए उसे मन में डिप्लोमा की तस्वीर देखना या उसकी कल्पना करना मुश्किल नहीं था। मैं नहीं जानता कि उसने इस तस्वीर को देखना कितने समय तक जारी रखा, लेकिन उसने यह कुछ महीनों तक किया होगा। जब वह लगन से जुटा रहा, तो परिणाम मिले। एक डॉक्टर इस लड़के को बहुत पसंद करने लगा। उस डॉक्टर ने उसे औज़ारों को कीटाणुरहित करने, इंजेक्शन लगाने और प्राथमिक चिकित्सा के दूसरे कामों की कला का प्रशिक्षण दिया। वह किशोर उस डॉक्टर के ऑफिस में तकनीकी सहयोगी बन गया। डॉक्टर ने उसे अपने खर्च पर हाई स्कूल और बाद में कॉलेज भी भेजा। आज
आम व्यक्ति अपने पूरे जीवन और कामकाज में अपने मस्तिष्क की सिर्फ एक या दो प्रतिशत क्षमता का ही इस्तेमाल कर पाता हैं, बाकी क्षमता रिज़र्व रहती है , जिसका शायद ही उसने कभी दोहन या उपयोग किया हो।
आपको अपने जीवन में चमत्कारिक परिणाम पाने के लिए कोई चमत्कार करने की जरूरत नहीं है, आपको तो बस इतना करना है कि आपको अपने भीतर मौजूद मानसिक शक्ति का वर्तमान से थोड़ा ज्यादा इस्तेमाल करें, आपके सोचने की क्षमता में यह छोटा सा सुधार आपके जीवन में गहरे परिवर्तन कर सकता है, इसकी बदौलत आगे आने वाली महीनों और सालों में आप इतना कुछ हासिल कर लेंगे, जिसे देखकर आप और बाकी लोग हैरान रह जाएंगे।
रूस के प्रोफेसर सर्जेई येफ्रमोव द्वारा कुछ साल पहले किए गए शोध के अनुसार अगर आप अपनी मौजूदा मानसिक क्षमता का सिर्फ पचास प्रतिशत उपयोग कर सकें, तो आप एक दर्जन यूनिवर्सिटीज से पीएच.डी. कर सकते हैं, आसानी से एक दर्जन भाषाएं सीख सकते हैं, और इनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका के पूरे बाईस वॉल्यूम कंठस्थ याद कर सकते हैं।
रॉबर्ट कॉलियर के अनुसार "चीजों को उस रूप में न सोचे, जेसी वे हैं, बल्कि उस रूप में सोचें जैसी वे हो सकती है। सिर्फ सपने न देखें, बल्कि सर्जन भी करें।"
मेन्सा के भूतपूर्व प्रेसिडेंट टोनी बुझान एक मस्तिष्क विशेषज्ञ हैं, मेन्सा संगठन सिर्फ उन्हीं लोगों के लिए खुला है, जो औसत आईक्यू टेसेट्स में शीर्षस्थ दो प्रतिशत स्कोर करते हैं।
टोनी बुझान ने रचनात्मकता, सीखने और बुद्धि पर कई पुस्तकें लिखी हैं, उनके और इस क्षेत्र के कई अन्य विशेषज्ञों के अनुसार आम आदमी की अधिकांश मानसिक संभावना का उपयोग नहीं हो पाता है, जो लगभग असीमित होती है।
नियोकोर्टेक्स यानी आपके सोचने वाले मस्तिष्क में लगभग दो सौ बिलियन कोशिकाएं या न्यूरॉन्स होते हैं, इनमें से हर कोशिका किसी सेही की तरह से थिरकती हैं, जिसके बीस हजार गैंगलिया या फाइबर्स इसे अन्य मस्तिष्क कोशिकाओं से जोड़ते हैं, ये कोशिकाएं भी आपस में दूसरी हजारों लाखों कोशिकाओं से जुड़ी होती है।
इस तरह एक इलेक्ट्रिक ग्रिड जैसी सरंचना बन जाती हैं, जो किसी बड़े शहर को रोशन करती है, और बिजली देती है, हर कोशिका और हर जोड़ में मानसिक ऊर्जा या जानकारी होती हैं, जो हर अन्य कोशिका के लिए उपलब्ध होती है, इसका मतलब है कि आपके मस्तिष्क की जटिलता आपके विश्वास या कल्पना से परे हैं।
टोनी बुझान और अन्य मस्तिष्क विशेषज्ञों के अनुसार आपके मस्तिष्क के कनेक्शंस के तालमेलों और परिवर्तनों की संख्या ज्ञात ब्रह्मांड में मौजूद अणुओं की संख्या से भी ज्यादा है, इसकी संख्या का अंदाजा लगाने के लिए आपको एक का अंक लिखने के बाद आठ पन्ने तक जीरो लगाने होंगे, लाइन के बाद लाइन, बनने के बाद पन्ने।
अगर आप इस वक्त अपनी सिर्फ दो प्रतिशत मानसिक संभावना का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो आप इसे बढ़ाकर चार प्रतिशत कर लेते है, तो आप अपनी आमदनी दुगुनी कर सकते हैं, अपने पेशे में तेजी से तरक्की कर सकते हैं, अपने क्षेत्र में शिखर पर पहुंच सकते हैं, और अपनी जिंदगी का कायाकल्प कर सकते हैं।
अगर आप अपनी पांच प्रतिशत या छह प्रतिशत या सात प्रतिशत मानसिक संभावना का इस्तेमाल कर सके, तो आप ऐसे स्तर पर प्रदर्शन करने लगेंगे कि आपको और आपके आसपास के हर व्यक्ति को हैरानी होगी।
अल्बर्ट आइंस्टीन ने भी कभी अपनी शक्तियों के शिखर पर अपनी दस से पंद्रह प्रतिशत से ज्यादा मानसिक क्षमता का इस्तेमाल नहीं किया, जबकि उन्हें दुनिया के महानतम प्रतिभाशाली व्यक्तियों में से एक माना जाता है।
रचनात्मकता एक जन्मजात योग्यता है, जो लगभग हर व्यक्ति में प्रचुरता में होती हैं, यह जन्मजात हैं, यह आपकी जेनेटिक तंत्र का हिस्सा है, यह एक ऐसी शक्ति है, जो हर इंसान में होती हैं, हर व्यक्ति रचनात्मक है।
आपकी रचनात्मकता मांसपेशी की तरह होती है, अगर आप इसका उपयोग नहीं करते हैं, तो आप इसे गंवा देते हैं, मांसपेशी की तरह ही अगर आप अपनी रचनात्मकता का उपयोग नहीं करते हैं, और इसका नियमित व्यायाम नहीं करते हैं, तो यह कमजोर और अप्रभावी हो जाती है, विचार पैदा करने की आपकी योग्यता का लगातार उपयोग होना चाहिए, तभी आप इसे बेहतरीन स्थिति में रख पाएंगे।
आप किसी भी समय अपनी रचनात्मकता का दोहन करना शुरू कर सकते हैं, और इसे ज्यादा ऊंचे स्तर पर ले जा सकते हैं, आप दरअसल अपने मस्तिष्क में ज्यादा न्यूरॉन्स और डेंड्राइट्स को सक्रिय कर सकते हैं, तथा ज्यादा आपसी कनेक्शन बना सकते हैं, जब आप अपनी मौजूदा मानसिक शक्ति का ज्यादा उपयोग करते हैं, तो हर बार आप बेहतर ढंग से और ज्यादा स्पष्टता से सोचने में समर्थ बनते हैं।
जब बच्चे स्कूल जाते हैं, तो उन्हें यह सिखाया जाता है कि अगर आप आगे बढ़ना चाहते हैं, तो आपको सबके साथ चलना होगा, और उन्हें सिखाया जाता है कि आप टीचर को चुनौती नहीं दे सकते, इससे बच्चे की रचनात्मकता पर प्रभाव पड़ता है, और उसके जेहन में जो नए-नए विचार आते हैं, उन विचारों पर धीरे धीरे ताला लग जाता है, और एक समय के बाद नए नए विचार उत्पन्न होना बंद हो जाते हैं, और आने वाले समय में ये बच्चे उसी स्पीड से चलते हैं, जिस स्पीड से स्कूल इन्हें चलाता है।
आज हम सूचना के युग में रह रहे हैं, विचार आपके जीवन में नई दौलत के प्रमुख स्रोत हैं, विचारों में हर समस्या को सुलझाने की कुंजी होती हैं, किसी भी लक्ष्य को हासिल करने के सबसे महत्वपूर्ण साधन होते हैं, नए विचार पैदा करने की आपकी योग्यता लगभग असीमित है, इसलिए अपने तय किए लक्ष्य हासिल करने की आपकी योग्यता भी असीमित है।
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जब आप अपनी सोच को बदलते हैं तो आप अपनी जिंदगी को भी बदल देते हैं।