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डॉक्टर बनने की चाहत क्या आपको डॉक्टर बना सकती है? जी हा! कैसे

मैंने कई साल पहले ऑस्ट्रेलिया के एक किशोर के साथ काम किया था। यह किशोर डॉक्टर और सर्जन बनना चाहता था, लेकिन उसके पास पैसा नहीं था; न ही उसने हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी की थी। ख़र्च निकालने के लिए वह डॉक्टरों के ऑफिस साफ करता था, खिड़‌कियाँ धोता था और मरम्मत के छुटपुट काम करता था।  उसने मुझे बताया कि हर रात जब वह सोने जाता था, तो वह दीवार पर टंगे डॉक्टर के डिप्लोमा का चित्र देखता था, जिसमें उसका नाम बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा था। वह जहाँ काम करता था, वहाँ वह डिप्लोमाओं को साफ करता और चमकाता था, इसलिए उसे मन में डिप्लोमा की तस्वीर देखना या उसकी कल्पना करना मुश्किल नहीं था। मैं नहीं जानता कि उसने इस तस्वीर को देखना कितने समय तक जारी रखा, लेकिन उसने यह कुछ महीनों तक किया होगा। जब वह लगन से जुटा रहा, तो परिणाम मिले। एक डॉक्टर इस लड़के को बहुत पसंद करने लगा। उस डॉक्टर ने उसे औज़ारों को कीटाणुरहित करने, इंजेक्शन लगाने और प्राथमिक चिकित्सा के दूसरे कामों की कला का प्रशिक्षण दिया। वह किशोर उस डॉक्टर के ऑफिस में तकनीकी सहयोगी बन गया। डॉक्टर ने उसे अपने खर्च पर हाई स्कूल और बाद में कॉलेज भी भेजा। आज

लक्ष्य की स्थिरता क्या आपके जीवन को बदल सकती है ?

सकारात्मक सोच महत्वपूर्ण है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है, अगर दिशा न दी जाए और नियंत्रित न किया जाए, तो सकारात्मक सोच जल्द ही विकृत होकर सिर्फ सकारात्मक इच्छा और सकारात्मक आशा बनकर रह सकती है। 
लक्ष्य हासिल करने में एकाग्र और प्रभावी बनने के लिए सकारात्मक सोच को "सकारात्मक जानने" में बदलना होगा, आपको अपने अस्तित्व की गहराई में इस बात पर पूरा यकीन करना होगा कि आप किसी खास लक्ष्य को हासिल करने में जरुर सफल होंगे, आपको अपनी अंतिम सफलता के बारे में दृढ़ विश्वास होना चाहिए कि कोई भी चीज आपको रोक नहीं सकती। 

एक महत्वपूर्ण मानसिक नियम है, जो भी छाप छूटती हैं, वह व्यक्त जरूर होती है, आप अपने अवचेतन मन पर जो भी गहरी छाप छोड़ते हैं, वह अंततः आपके बाहरी जगत में अभिव्यक्त होती हैं, मानसिक प्रोग्रामिंग में आपका मकसद आपने अवचेतन मन पर अपने लक्ष्य की गहरी छाप छोड़ना है।

मैं कई सालों तक अपने लक्ष्य पर काम करता रहा था, उन्हें साल में एक दो बार लिख लेता था, और मौका मिलने पर उनकी समीक्षा भी कर लेता था, इससे मेरे जीवन में अविश्वसनीय फर्क पड़ा, अक्सर मैं जनवरी में पूरे साल के लक्ष्यों की सूची बनाता था, उस साल दिसंबर में अपनी सूची की समीक्षा करते समय मैं यह पाता था कि मेरे अधिकांश लक्ष्य हासिल हो चुके हैं, जिनमें सबसे बड़े और अविश्वसनीय लगने वाले लक्ष्य भी शामिल थे, लक्ष्यों को हर दिन लिखने और बार-बार लिखने से ज्यादा शक्ति मिलती हैं। 

एक स्पाइरल नोटबुक ले, जिसे आप हमेशा अपने साथ रखें, हर दिन अपनी नोटबुक खोलें, और उसमें अपने दस पंद्रह सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्यों की सूची लिख ले, ऐसा करते समय लक्ष्यों की पुरानी सूची न देखें, यह काम हर दिन करें, जब आप ऐसा करेंगे, तो कई उल्लेखनीय चीजें होगी। 

पहले दिन अपने लक्ष्य की सूची लिखते समय आपको थोड़ा सोच विचार करना होगा, ज्यादातर लोगों ने जिंदगी में कभी अपने दस लक्ष्यों की सूची बनाई ही नहीं होगी, जब आप पहली सूची को देखे बिना नई सूची बनाएंगे, तो यह ज्यादा आसान होगा, आप जो भी दस पंद्रह लक्ष्य लिखेंगे, उनका वर्णन और प्राथमिकता का क्रम बदल जाएगा। 

कई बार तो पिछले दिन लिखा कोई लक्ष्य अगले दिन नजर ही नहीं आएगा, आप उसे भूल जाएंगे या फिर हो सकता है कि वह बाद में ज्यादा उचित समय पर दोबारा प्रकट हो जाए, हर दिन जब आप अपने दस से पंद्रह लक्ष्यों की सूची लिखेंगे, तो आपकी परिभाषाएं ज्यादा स्पष्ट और पैनी बन जाएगी, आप अंततः हर दिन खुद को वही शब्द लिखते पाएंगे, आपके आसपास के जीवन के परिवर्तन के साथ-साथ आपका प्राथमिकता का क्रम भी बदलेगा, लेकिन लगभग तीस दिन बाद आप खुद को हर दिन वहीं लक्ष्य लिखते और दोबारा लिखते पाएंगे।

जब आप लक्ष्य निर्धारण की उस शक्ति का इस्तेमाल करते हैं, जिस पर हमने पहले बातचीत की हैं, यानी जब आप अपने लक्ष्य हर दिन लिखते हैं, तो आपको इस अभ्यास से अधिकतम लाभ पाने के लिए कुछ खास नियमों का पालन करना होगा, सबसे पहले तो आपके लक्ष्य सकारात्मक होने चाहिए, वर्तमान में और व्यक्तिगत भी होनी चाहिए। 

आपका अवचेतन मन सिर्फ वर्तमान काल में कहे गए सकारात्मक कथनों से सक्रिय होता है, इसलिए आप अपने लक्ष्य इस तरह लिखते हैं, जैसे आप उन्हें पहले ही हासिल कर चुके हो, "मैं अगले बारह महीनों में पांच लाख रुपए कमाऊगा।" यह लिखने के बजाय आप लिखेंगे, "मैं हर साल पांच लाख रुपए कमाता हूं।" 

आपके लक्ष्य सकारात्मक तरीके से व्यक्त होने चाहिए, आपका आदेश सकारात्मक होना चाहिए, क्योंकि आपका अवचेतन मन नकारात्मक आदेश को प्रॉसेस नहीं कर सकता, यह सिर्फ सकारात्मक और वर्तमान काल के कथन को ही ग्रहण करता है।

ज़िंदगी के हर लक्ष्य की शुरुआत "मैं" शब्द से करें, आप ब्रह्मांड में एकमात्र व्यक्ति हैं, जो अपने संदर्भ में "मैं" शब्द का प्रयोग कर सकते हैं, जब आपके अवचेतन मन को "मैं" शब्द से शुरू होने वाला आदेश मिलता है, तो ऐसा लगता है, जैसे किसी फैक्ट्री को हेड ऑफिस से उत्पादन करने का आदेश मिला हो, यह उस लक्ष्य को वास्तविकता में बदलने के लिए तत्काल काम में जुट जाता है।

आपका मस्तिष्क डेडलाइंस से प्रेम करता है, और "विवशता तंत्र" में तरक्की करता है, भले ही आप यह न जानते हो कि वह लक्ष्य कैसे हासिल होगा, लेकिन हमेशा खुद को एक पक्की डेडलाइन दें, याद रखें, नई जानकारी मिलने पर आप कभी भी डेडलाइन बदल सकते हैं।

हर दिन अपने दस लक्ष्यों को लिखने का यह अभ्यास एक इम्तहान है, इम्तहान यह तय करना है कि आप इन लक्ष्यों को कितनी शिद्दत से हासिल करना चाहते हैं, अक्सर आप एक बार लक्ष्य लिख लेंगे, लेकिन उसे दोबारा लिखना भूल जाएंगे, तो इसका मतलब सिर्फ यह है कि आप या तो सचमुच उस लक्ष्य को किसी दूसरी चीज जितना हासिल नहीं करना चाहते हैं, या फिर आपको सचमुच यकीन नहीं है कि आप उस लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं। 

जब आप हर दिन अपने लक्ष्य को लिखने और दोबारा लिखने में जितने ज्यादा अनुशासित होंगे, आप इस बारे में उतने ही ज्यादा स्पष्ट बन जाएंगे, कि आप सचमुच क्या चाहते हैं, और आपको उतना ही ज्यादा विश्वास हो जाएगा, कि उसे पाना संभव है। 

जब आप अपने लक्ष्य लिखना शुरू करते हैं, तो हो सकता है, कि आपको जरा भी अंदाजा न हो कि वह कैसे हासिल होंगे, लेकिन यह महत्वपूर्ण नहीं है, महत्वपूर्ण तो बस यह है कि आप उन्हें हर दिन लिखें, और दोबारा लिखें, और इस बात पर पूरा विश्वास रखें, कि जब भी आप उन्हें लिखते हैं, तो आप हर बार अपने अवचेतन मन पर उनकी गहरी छाप छोड़ रहे होते हैं, एक निश्चित बिंदु पर आपको उन पर पूरा विश्वास हो जाएगा, और आप भरोसा करने लगेंगे कि आपका लक्ष्य हासिल हो सकता है। 

जब आपका अवचेतन मन आपके लक्ष्यों को चेतन मन के आदेशों के रूप में स्वीकार कर लेता है, तो यह आपके सभी शब्दों और कार्यों को उन लक्ष्यों के तालमेल में बैठाने लगेगा, आपका अवचेतन मन ऐसे लोगों और परिस्थितियों को आपके जीवन में आकर्षित करने लगेगा, जो लक्ष्य हासिल करने में आपकी मदद कर सकते हैं। 

आपका अवचेतन मन उस विशाल कंप्यूटर की तरह काम करता है, जो कभी बंद नहीं होता, यह हमेशा आपके लक्ष्यों को हकीकत में बदलने में मदद करता रहता है, आपके कुछ किए बिना ही आपके लक्ष्य आपके जीवन में साकार होने लगेंगे, कई बार तो बहुत उल्लेखनीय और अप्रत्याशित तरीकों से आपके जीवन में प्रकट होगे।

मैं लॉस एंजेलिस में एक बिजनेसमैन से मिला, वह हवाई में एक एम्यूज़मेंट पार्क बनाना चाहता था, जिसमें दुनिया भर के अलग-अलग देशों के रेस्तरॉ, डिस्प्लेज और प्रदर्शनिया हो, वह इसे बनाने के लिए मिलियनो डॉलर की निवेश पूंजी इकट्ठी करना चाहता था, उसे पूरा विश्वास था, कि वह सभी संसाधन जुटाने में सक्षम है, और उसने यह 1960 के दशक में कर दिखाया।

अगली बार मैंने इस प्रोजेक्ट के बारे में यह सुना कि वाल्ट डिजनी कॉर्पोरेशन ने इस विचार को पूरी तरह अपना लिया था, इसे एक्सपेरिमेंटल प्रोटोटाइप कम्युनिटी ऑफ टुमोरो "एपकॉट सेंटर" नाम दिया गया था, और ऑरलैंडो, फ्लोरिडा में डिजनी वर्ल्ड के पास इसका निर्माण शुरू कर दिया गया था, यह दुनिया के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक बन चुका था।

उस वक्त मैं यह नहीं जानता था कि जब आप कोई लक्ष्य लिख लेते हैं, चाहे वह कितना ही बड़ा या असंभव लग रहा हो, तो आप ब्रह्मांड की शक्तियों की एक श्रृंखला को सक्रिय कर देते हैं, जो अक्सर असंभव को संभव बना देती हैं।

जब भी आप किसी तरह का कोई नया लक्ष्य लिखते हैं, तो हो सकता है कि आपको इसे हासिल करने की संभावना के बारे में शंका हो, या हो सकता है कि आपके अवचेतन मन में विचार तो हो, लेकिन पूरा विश्वास न हो कि यह आपके लिए संभव है, यह सामान्य और स्वाभाविक हैं।

इस विधि को कारगर बनाने के लिए बस इतना ही जरूरी है, कि आप एक स्पाइरल नोटबुक ले, और फिर हर दिन अपने दस लक्ष्य सकारात्मक, वर्तमान, व्यक्तिगत काल में लिखें, आपको बस इतना ही करना है, एक सप्ताह, एक महीने या एक साल बाद आप जब अपने आसपास देखेंगे, तो पाएंगे कि आपकी जिंदगी बहुत उल्लेखनीय तरीकों से बदल गई हैं।
 
अगर इस विधि के बारे में आपको कोई संदेह है, तब भी इसे आजमाकर देखने में क्या दिक्कत है, इसके लिए हर दिन लगभग आपको पांच मिनट ही तो देने हैं, इस विधि से लोगों के जीवन में अविश्वसनीय परिवर्तन हुए है।

अपने लक्ष्य की समीक्षा करें, लक्ष्य को पढ़ते समय कल्पना करें, कि वह लक्ष्य इसी समय हकीकत बन चुका है, स्वयं को उस लक्ष्य पर देखें, उसका आनंद लें, और उसे हासिल करने की खुशी महसूस करें, दिन में दो बार ऐसा समय आता है, जो लक्ष्य लिखने के लिए आदर्श होता है, यह है रात को सोने जाने से ठीक पूर्व का समय और सुबह उठने के ठीक बाद का समय ऑफिस जाने से पूर्व।

जब आप रात को अपने लक्ष्य दोबारा लिखते हैं, और उनकी समीक्षा करते हैं, तो आप अपने अवचेतन मन में उनकी गहरी छाप छोड़ते हुए उनकी प्रोग्रामिंग कर देते हैं, फिर अवचेतन मन के पास आपके लक्ष्यों पर रात भर काम करने का मौका होता है, जब आप सो रहे होते हैं, सुबह उठने पर आपके मन में अदभुत विचार आते हैं कि आप अपने लक्ष्य हासिल करने के लिए क्या कर सकते हैं या किन लोगों से मदद ले सकते हैं। 

जब आप अपना दिन शुरू करने से पहले सुबह अपने लक्ष्य दोबारा लिखते हैं, और उनकी समीक्षा करते हैं, तो आप दिनभर सकारात्मक सोच के साथ ही सकारात्मक कर्म के लिए अपनी प्रोग्रामिंग कर देते हैं, जो आपको दिनभर अपने सर्वश्रेष्ठ स्वरूप में बनाए रखता है। 

हर दिन सुबह और रात को अपने लक्ष्य दोबारा लिखने और उनकी समीक्षा करने का परिणाम यह होगा, कि आप अपने अवचेतन मन में उनकी और भी ज्यादा गहरी छाप छोड़ेंगे, आप धीरे-धीरे सकारात्मक सोच से सकारात्मक जानने की ओर बढ़ने लगेंगे, आप एक गहरा और अटल विश्वास विकसित कर लेंगे, कि आपके लक्ष्य हासिल हो सकते हैं, और उनका हासिल होना सिर्फ आपके समय पर निर्भर करता है।

"ऐसा कुछ भी नहीं है जिसे आप हासिल नहीं कर सकते, बस एक बार आपको उसको अपने दिमाग में स्थिर रखने की देर है, और जब आप उसको अपने दिमाग में स्थिर रख देते हैं तो आप उस दिशा में अपना पहला कदम आगे बढ़ाते हैं।"

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