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यात्रा के समय का अधिकतम उपयोग करें

हर सफल व्यक्ति अपने 24 घंटों में ज़्यादा से ज़्यादा उपयोगी काम करना चाहता है। उसकी पूरी दिनचर्या ही समय के सर्वश्रेष्ठ उपयोग पर केंद्रित होती है। माइक मरडॉक ने कहा भी है, 'आपके भविष्य का रहस्य आपकी दिनचर्या में छिपा हुआ है।' यात्रा आपकी दिनचर्या का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। आज हर व्यक्ति बहुत सी यात्राएँ करता है, जिनमें उसका बहुत समय लगता है। फ़र्क़ सिर्फ़ इतना होता है कि जहाँ आम व्यक्ति यात्रा के समय में हाथ पर हाथ धरकर बैठता है, वहीं सफल व्यक्ति अपने बहुमूल्य समय का अधिकतम उपयोग करता है। इसलिए समय के सर्वश्रेष्ठ उपयोग का चौथा सिद्धांत है : यात्रा के समय का अधिकतम उपयोग करें। महात्मा गाँधी यात्रा करते समय नींद लेते थे, ताकि वे तरोताजा हो सकें। नेपोलियन जब सेना के साथ युद्ध करने जाते थे, तो रास्ते में पत्र लिखकर अपने समय का सदुपयोग करते थे। एडिसन अपने समय की बर्बादी को लेकर इतने सचेत थे कि किशोरावस्था में जब वे रेल में यात्रा करते थे, तो अपने प्रयोगों में जुटे रहते थे। माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स यात्रा के दौरान मोबाइल पर ज़रूरी बातें करके इस सिद्धांत पर अमल करते हैं।

इच्छाओं को हकीकत में कैसे तब्दील करें

जब आपके विश्वास प्रबल होते हैं, तभी वे विश्वास हकीकत में बदलते हैं, हार्वर्ड के डॉक्टर विलियम जेम्स ने 1905 में कहा था, "विश्वास वास्तविक तथ्य का निर्माण करता है।" उन्होंने आगे कहा था, कि "इंसान अपने अंदरूनी नजरिए को बदल कर अपनी जिंदगी के बाहरी पहलुओं को बदल सकता है।"
 
नेपोलियन हिल ने कहा था, "इंसान का दिमाग जो सोच सकता है, और यकीन कर सकता है, उसे वह हासिल भी कर सकता है।" 

आप जिंदगी में जो भी करते या हासिल करते हैं आपका हर विचार, भावना या काम आपकी आत्म अवधारणा से नियंत्रित और निर्धारित होता हैं, आपकी आत्म अवधारणा आपके कार्य प्रदर्शन और प्रभाव के स्तर से पहले आती है, और उसकी भविष्यवाणी करती है, आपकी आत्म अवधारणा आपके मानसिक कंप्यूटर का मास्टर प्रोग्राम है, यह बुनियादी ऑपरेटिंग सिस्टम है, आप बाहरी संसार में जो भी हासिल करते हैं, वह आपकी आत्म अवधारणा का ही परिणाम है।

आपकी आत्म अवधारणा उन सारे विश्वासों, नजरियों, भावनाओं और रायों का महायोग है, जो आपकी अपने और संसार के बारे में होती हैं, इस वजह से आप हमेशा अपनी आत्म अवधारणा के अनुरूप ही काम करते हैं, चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक, खुद को सीमित करने वाले विश्वास सबसे बुरे होते हैं।

जब अल्बर्ट आइंस्टीन को सीखने में अक्षम करार देकर बचपन में ही स्कूल से घर भेज दिया गया था, उनके माता-पिता को बताया गया कि यह लड़का शिक्षित हो ही नहीं सकता, माता-पिता ने इस बात को मानने से इंकार कर दिया, और अंततः ऐसी व्यवस्था की, कि आइंस्टीन को उत्कृष्ट शिक्षा मिली।
 
डॉक्टर अल्बर्ट श्वेटजर को भी स्कूल में यही समस्या आई थी, दरअसल स्कूल वालों ने उनके माता-पिता को प्रोत्साहित किया कि वे उसे किसी मोची का एप्रेंटिस अर्थात चेला बना दे, ताकि बड़े होने पर उसके पास कम से कम एक सुरक्षित काम तो रहे, आइंस्टीन और श्वेटजर, दोनों ही ने बीस साल की उम्र से पहले ही डॉक्टरेट हासिल की, और बीसवीं सदी के इतिहास पर अपने कदमों के निशान छोड़े।

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