धम्मपदं : दुखों से मुक्ति और सुख शांति के जीवन का मार्ग : महाकारुणिक तथागत बुद्ध के उपदेशों का यह 'धम्मपद' अनमोल, अमृत वचन है। मानव जीवन का परम उद्देश्य होता है दुखों से मुक्ति और सुख शांति को पाना। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए यह ग्रंथ परिपूर्ण है। 'धम्मपद' 'धम्म' का सरल अर्थ है सदाचार अर्थात 'सज्जनों' द्वारा जीवन में धारण करने, पालन करने योग्य कर्तव्य। और 'पद' शब्द का अर्थ यहां 'मार्ग' माना गया है। इस प्रकार 'धम्मपद' का अर्थ होगा- धम्म यानी सदाचार (Morality) का मार्ग। ग्रंथ में 'पद' शब्द का एक दूसरा अर्थ भी माना गया है। वह अर्थ है, किसी का कथन, वचन, शिक्षा, उपदेश या वाणी। इस ग्रंथ में 'धम्मपद' का सरल अर्थ है- भगवान बुद्ध के शील सदाचार सम्बंधी उपदेश, वचन या वाणी। इस प्रकार 'धम्मपद' का अर्थ है- धम्म वचन या धम्मवाणी या धम्म देशना। आज से 2600 साल पहले भगवान बुद्ध ने, बुद्धत्व प्राप्ति के बाद 45 साल तक मध्य देश की आम बोलचाल की भाषा में 'बहुजन हिताय बहुजन सुखाय लोकानुकम्पाय' का जो संदेश और उपदेश दिय...
इतिहास के युद्ध और युद्ध कला के अध्ययन में मुझे हमेशा ऐसी स्थितियों ने मंत्रमुग्ध किया है जहां छोटी सेना ने बड़ी सेना को हराया है। हर मामले में मैंने पाया है कि संख्या की दृष्टि से छोटी सेना आक्रमण और अमल की योजना में अधिक संख्या वाली सेना की तुलना में ज्यादा व्यवस्थित सुनियोजित और सटीक थी।
इसी तरह अगर आम आदमी के पास समस्या समझाने का सही सिस्टम या नुस्खा हो तो वह ज्यादा बुद्धिमान या उच्च शिक्षित ऐसे लोगों से आगे निकल सकता है जो बिना किसी विधि या योजना के अपनी समस्याएं सुलझाने की कोशिश करते हैं।
विचार मंथन और सुनियोजित नीति, ये दो विधियां आपको जीवन की अपरिहार्य समस्याओं और मुश्किलों पर विजय पाने में जबरदस्त लाभ पहुंचाती है।
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जब आप अपनी सोच को बदलते हैं तो आप अपनी जिंदगी को भी बदल देते हैं।