अपने विचार और मिशन के बारे में सोचें। डेनियल काहनेमन की पुस्तक थिंकिंग, फास्ट एंड स्लो पिछले कुछ वर्षों में लिखी गई सर्वश्रेष्ठ और सबसे ज़्यादा गहन चिंतन वाली पुस्तकों में से एक है। वे बताते हैं कि हमें अपने दैनिक जीवन में जिन बहुत सी स्थितियों का सामना करना पड़ता है, उनसे निपटने के लिए दो अलग-अलग प्रकार की सोच का इस्तेमाल करने की ज़रूरत होती है। तीव्र सोच का इस्तेमाल हम अल्पकालीन कामों, ज़िम्मेदारियों, गतिविधियों, समस्याओं और स्थितियों से निपटने के लिए करते हैं। इसमें हम जल्दी से और सहज बोध से काम करते हैं। ज़्यादातर मामलों में तीव्र सोच हमारी रोज़मर्रा की गतिविधियों के लिए पूरी तरह उचित होती है। दूसरी तरह की सोच का वर्णन काहनेमन धीमी सोच के रूप में करते हैं। इसमें आप पीछे हटते हैं और स्थिति के विवरणों पर सावधानीपूर्वक सोचने में ज़्यादा समय लगाते हैं और इसके बाद ही निर्णय लेते हैं कि आप क्या करेंगे। काहनेमन की ज्ञानवर्धक जानकारी यह है कि आवश्यकता होने पर भी हम धीमी सोच करने में असफल रहते हैं और इसी वजह से हम जीवन में कई ग़लतियाँ कर बैठते हैं। समय के प्रबंधन में उत्कृष्ट बनने और अपने
एक दिन मैंने एक कागज़ उठाया और उस पर अपने लिए बिल्कुल असंभव नजर आने वाला लक्ष्य लिख दिया यह लक्ष्य था ऑफिस और घर-घर जाकर सामान बेचना और हर महीने ₹1000 कमाना मैंने उस कागज को मोड़कर दूर रख दिया और फिर वह मुझे दोबारा कभी नहीं दिखा।
लेकिन 30 दिन बाद मेरी पूरी जिंदगी बदल गई इस दौरान मैंने सामान बेचने की एक ऐसी तकनीक खोजी जिसे आजमाने की पहले ही दिन मेरी आमदनी तीन गुनी हो गई इस दौरान मेरी कंपनी के मालिक ने एक उद्यमी को कंपनी बेच दी जो शहर में नया आया था अपना लक्ष्य लिखने के ठीक 30 दिन बाद नए मालिक ने मुझे ₹1000 प्रति माह देने का प्रस्ताव रखा ताकि मैं सेल्स कर्मचारियों का प्रमुख बन जाऊं और बाकी सेल्स कर्मचारियों को भी सामान बेचने के वे गुर सिखा सकूं जिनकी बदौलत में बाकी सबसे ज्यादा सामान बेच रहा था मैंने यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया और उस दिन के बाद मेरी जिंदगी पहले जैसी नहीं रही।
18 महीनों के भीतर मैं वह काम छोड़कर दूसरा ज्यादा बड़ा काम करने लगा इसके बाद तीसरा काम मैं सेल्समैन से सेल्स मैनेजर बन गया और मेरे अधीनस्थों की संख्या बढ़ गई मैंने 95 लोगों की सेल्स टीम नियुक्त की और उसे सफलता के गुर सिखाए पहले मुझे रोजाना यह चिंता हुआ करती थी कि आगे खाना मिलेगा या नहीं लेकिन अब मेरी जेब ₹20 के नोटों से भरी हुई रहती थी
मैं अपने सेल्स कर्मचारियों को सिखाने लगा कि वह अपने लक्ष्य कैसे लिखे और ज्यादा असरदार ढंग से सामान कैसे बेचे बहुत ही कम समय में उनकी आमदनी भी कई गुना हो गई दरअसल उनमें से कईयों की आमदनी 10 गुना बढ़ गई आज उनमें से कई करोड़पति और कुछ तो बहुत करोड़पति हैं।
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जब आप अपनी सोच को बदलते हैं तो आप अपनी जिंदगी को भी बदल देते हैं।