कैलिफोर्निया में एक टीचर को हर साल पाँच-छह हजार डॉलर का वेतन मिलता था। उसने एक दुकान में एक सुंदर सफेद अर्मीन कोट देखा, जिसका भाव 8,000 डॉलर था। उसने कहा, "इतना पैसा बचाने में तो मुझे कई साल लग जाएँगे। मैं इसका ख़र्च कभी नहीं उठा सकती। ओह, मैं इसे कितना चाहती हूँ!" इन नकारात्मक अवधारणाओं से विवाह करना छोड़कर उसने सीखा कि वह अपना मनचाहा कोट, कार या कोई भी दूसरी चीज़ हासिल कर सकती है और इसके लिए उसे संसार में किसी को चोट पहुँचाने की ज़रूरत नहीं है। मैंने उससे यह कल्पना करने को कहा कि उसने कोट पहन रखा है। कि कल्पना में वह इसका सुंदर फर छुए, महसूस करे और इसे सचमुच पहनने की भावना जगाए। वह रात को सोने से पहले अपनी कल्पना की शक्ति का इस्तेमाल करने लगी। उसने अपनी कल्पना में वह कोट पहना, उसे सहलाया, उस पर हाथ फेरा, जिस तरह कि कोई बच्ची अपनी गुड़िया के साथ करती है। वह ऐसा हर रात करती रही और आख़िरकार उसे इस सबका रोमांच महसूस हो गया। वह हर रात यह काल्पनिक कोट पहनकर सोने गई और इसे हासिल करने पर वह बहुत खुश थी। तीन महीने गुज़र गए, लेकिन कुछ नहीं हुआ। वह डगमगाने वाली थी, लेकिन उसने खुद को य...
रुपए का अवमूल्यन आर्थिक संकट को स्पष्ट करता है जिसमें रुपए की कीमत गिर के नीचे आ जाती है और व्यक्ति की जरूरतमंद चीजों का भाव बढ़ने लगता है और धीरे-धीरे व्यक्ति की जेब से पैसा खत्म होता जाता है और उसे पता ही नहीं है कि यह पैसा कैसे खत्म हो गया।
व्यक्ति की जेब में पैसा कब आता है जब बाजार में सामान की कीमत गिरती है और व्यक्ति को सामान कम कीमत में प्राप्त होता है जब सामान कम कीमत में प्राप्त होता है तो उसकी जेब में पैसा बचना शुरू हो जाता है।
जिसके फलस्वरूप यह माना जा सकता है कि बाजार में आर्थिक संकट नहीं है बल्कि बाजार तेजी की ओर अग्रसर हो रहा है।
इसके विपरीत अगर देखा जाए तो वर्ष 1997 में एशिया में आर्थिक संकट आया था जिसमें स्थानीय करेंसी रूपया का कुछ ही महीनों में 85 प्रतिशत तक अवमूल्यन हो गया।
जब रुपए का अवमूल्यन होता है तो देश में आर्थिक संकट उत्पन्न होता है और सामान की कीमतों के भाव बढ़ने लगते हैं और कुछ ही समय में सामान की कीमतों के भाव दुगने हो जाते हैं।
जब रुपए का अवमूल्यन होता है तो इसमें मुख्य भूमिका सरकार चलाने वाले उन राजनीतिज्ञों की होती है जो आर्थिक विकास की बात करते हैं और सरकार का आर्थिक विकास के नाम पर जो ब्यौरा जनता को प्रस्तुत किया जाता है वह केवल ब्यौरा मात्र होता है उसका विकास से कोई लेना देना नहीं होता है अगर उसका विकास से लेना-देना होता तो सरकार का प्रमुख मुद्दा जनसंख्या नियंत्रण का होता।
देश आजाद होने से लेकर आज तक सरकार ने जनसंख्या को नियंत्रण करने का प्रयास कभी नहीं किया,जनसंख्या को नियंत्रण नहीं करने में सरकार को ही फायदा है इसमें राजनीति करने वाले को वोट प्राप्त करने में आसानी होती है सरकार स्वयं चाहती हैं कि जनता का विकास, विकास न होकर विकासशील ही रहे तभी हमें वोट प्राप्त करने में आसानी होगी, इसे आप जनसंख्या की राजनीति ना कह कर वोट बैंक की राजनीति कह सकते हैं जो राज करने के दायरे को स्पष्ट करता है।
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