एक बड़ा लक्ष्य तय करे और उसे हासिल करने के लिए छोटे-छोटे लक्ष्य बनाएं, एक सपना देखो, किसी सपने के लिए प्रयासरत हुए बिना अपने उज्जवल भविष्य की रचना आपके लिए कदाचित संभव न हो। जो कुछ उपलब्धि चाहते हो सपनों के पीछे पड़ जाना मानव स्वभाव के ताने-बाने में विद्यमान है, क्योंकि आपने अब तक भविष्य के बारे में विचार प्रक्रिया प्रारंभ ही नहीं की है। यदि आप स्वयं को आदर्शविहीन पायें तो अपने खास सपने की खोज करें एवं भविष्य की रचना में जुट जायें। उस सपने को सच बनाने का प्रयास प्रारंभ करना ही आपका अगला कदम है। सर्वप्रथम, यह आवश्यक है कि आपने सपना देख लिया है, किन्तु यह भी सुनिश्चित करना जरूरी है कि आप उसे साकार करने में प्रयासरत हों; सुनने में यह बात ठीक लगती है किन्तु वैसा कर पाना आसान भी नहीं है। ऐसे स्वप्नदृष्टा न बनें जिसे केवल सपनों के सच होने का इंतजार रहता है। सपनों का सच होना उस दिशा में किये गये प्रयास के आकार एवं उसके लिए आपके आग्रह का ही परिणाम है। मैं नहीं चाहता कि कोई भी अपने आदशों के बारे में सपने देखते हुए जीवन-यात्रा करे। अतः लगातार स्वयं से प्रश्न करते रहें "इस सपने को सच क...
जब किसी व्यक्ति मैं बीमारी के लक्षण नजर आते हैं और उसको मालूम होता है कि मैं बीमार हूं तो वह उसका इलाज लेने के लिए किसी डॉक्टर के पास जाता है और डॉक्टर द्वारा उसके बीमारी का पता बताया जाता है कि आप में यह बीमारी है जब व्यक्ति को यह पता हो जाता है कि मुझ में इस प्रकार की बीमारी है तो यह उस व्यक्ति पर निर्भर करता है कि वह उस बीमारी को कितना महत्व देता है।
अगर वह दिन भर उसी बीमारी के बारे में सोचता है तो वह बीमारी धीरे-धीरे उसके शरीर पर हावी होने लग जाएगी और एक समय आएगा कि इस बीमारी का इलाज होना बंद हो जाएगा और वह इस बीमारी से पूर्ण रूप से ग्रसित हो जाएगा।
व्यक्ति का दिमाग उसी प्रकार चलता है जिस प्रकार उसके शरीर की क्रिया चलती है यह आप पर निर्भर करता है क्या आप किसी को कितना महत्व दे पाते हैं।
इस सांसारिक जीवन में एक विशेष बात यह है कि आप जिस को महत्व देते हैं वह धीरे-धीरे बढ़ने लगती है चाहे वह आपका शरीर हो या आपके पास रुपया हो या बीमारी हो इन सभी का दायरा व्यक्ति पर निर्भर करता है कि वह किस को कितना महत्व देता है जिसको जितना अधिक महत्व देगा वह उतना तीव्र गति से बढ़ेगा इसलिए इसका विशेष ध्यान रखना चाहिए।
कि जब भी आपके शरीर में किसी प्रकार की बीमारी उत्पन्न हो तो आप उसका इलाज ले जरूर लेकिन उस बीमारी को अपने दिमाग में स्थान कभी ना दें जब आप उस को स्थान नहीं देंगे तो धीरे-धीरे वह बीमारी आपके शरीर से खत्म हो जाएगी और आने वाले समय में जो आप मेडिसन ले रहे होते हैं उनकी आवश्यकता भी खत्म हो जाएगी।
यह सब शरीर में किस प्रकार होता है यह भी जानना आवश्यक है जब किसी बीमारी के बारे में हम जानते हैं या सुनते हैं तो उस समय हमारे ऊपर उसका प्रभाव नहीं होता है अगर हम उसको स्थान नहीं देते हैं तो जिस प्रकार हम उसको सुनते हैं वैसे ही वह हमारे दिमाग से बाहर चली जाती है और हमारे पर उसका प्रभाव नहीं होता, अगर हमारा दिमाग उसको स्थान देता है और हमें ही मालूम नहीं होता कि हमने इसको स्थान दिया है तो उसका प्रभाव लंबे समय बाद जिसकी अवधि आप निश्चित नहीं कर सकते देखने को मिलता है।
जिस प्रकार आपका दिमाग आपके शरीर को आपके हारमोंस के द्वारा नियंत्रण प्रदान करता है उसी प्रकार जब आप किसी बीमारी को स्थान दे देते हैं तो आप पर निर्भर करता है कि आप उसको कितना महत्व कम दे पाते हैं और कितना दिमाग से बाहर निकाल पाते हैं जब आपके दिमाग से उस बीमारी का स्थान समाप्त हो जाएगा तो ऑटोमेटिकली आपके शरीर से वह बीमारी समाप्त हो जाएगी।
बीमारी समाप्त करने में मुख्य भूमिका आपके दिमाग की होती हैं जो आपके शरीर के हारमोंस को नियंत्रण प्रदान करता है हारमोंस ऐसी शक्ति होती हैं जो शरीर को बनाने व बिगाड़ने का काम करता है इसलिए यह आप पर निर्भर करता है कि आप अपने दिमाग पर कितना कंट्रोल रख पाते हो।
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