अपने विचार और मिशन के बारे में सोचें। डेनियल काहनेमन की पुस्तक थिंकिंग, फास्ट एंड स्लो पिछले कुछ वर्षों में लिखी गई सर्वश्रेष्ठ और सबसे ज़्यादा गहन चिंतन वाली पुस्तकों में से एक है। वे बताते हैं कि हमें अपने दैनिक जीवन में जिन बहुत सी स्थितियों का सामना करना पड़ता है, उनसे निपटने के लिए दो अलग-अलग प्रकार की सोच का इस्तेमाल करने की ज़रूरत होती है। तीव्र सोच का इस्तेमाल हम अल्पकालीन कामों, ज़िम्मेदारियों, गतिविधियों, समस्याओं और स्थितियों से निपटने के लिए करते हैं। इसमें हम जल्दी से और सहज बोध से काम करते हैं। ज़्यादातर मामलों में तीव्र सोच हमारी रोज़मर्रा की गतिविधियों के लिए पूरी तरह उचित होती है। दूसरी तरह की सोच का वर्णन काहनेमन धीमी सोच के रूप में करते हैं। इसमें आप पीछे हटते हैं और स्थिति के विवरणों पर सावधानीपूर्वक सोचने में ज़्यादा समय लगाते हैं और इसके बाद ही निर्णय लेते हैं कि आप क्या करेंगे। काहनेमन की ज्ञानवर्धक जानकारी यह है कि आवश्यकता होने पर भी हम धीमी सोच करने में असफल रहते हैं और इसी वजह से हम जीवन में कई ग़लतियाँ कर बैठते हैं। समय के प्रबंधन में उत्कृष्ट बनने और अपने
1. अपने दिमाग में पैसे की वह निश्चित मात्रा सोच ले जिसे आप हासिल करने की प्रबल इच्छा रखते हैं यही कहना पर्याप्त नहीं है कि मैं ढेर सारा पैसा चाहता हूं कोई निश्चित रकम सोच ले एक निश्चित रकम के पीछे एक मनोवैज्ञानिक कारण है जिसे हम आने वाले समय में देखेंगे।
2. जिस पैसे की आप प्रबल इच्छा रखते हैं उसके बदले में आप क्या देना चाहेंगे।
इस दुनिया में मुफ्त में कोई चीज हासिल नहीं होती याद रखें।
3. एक निश्चित तारीख तय कर लें निश्चित धनराशि प्राप्त करने के लिए।
4. योजना बना ले कि आप अपनी प्रबल इच्छा को कैसे पूरी करेंगे फिर चाहे आप तैयार हो या ना हो एकदम काम में जुट जाएं और इस योजना को कार्य रूप देने में लग जाएं।
5. आप कितना पैसा हासिल करना चाहते हैं उस की समय सीमा तय करें योजना द्वारा उस पैसे को हासिल करने का स्पष्ट विवरण लिखें।
6. अपने लिखे हुए शब्दों को रात को सोते समय पढ़ें और सुबह उठते समय जो शब्द आपने रात को पढ़े थे उसके बारे में आपके दिमाग में कौन से नए परिवर्तन उत्पन्न हुये है उस पर विचार करें और अपने आप को अपने शब्दों के अनुकूल ढालने का पूरा प्रयास करें जैसे आपको वह सब कुछ हासिल हो गया है जो आपने अपने शब्दों में लिखा है।
7. अगर आप में सचमुच में अमीर बनने की प्रबल इच्छा है तो यह इच्छा एक दीवानगी बन जाएगी और आपको खुद को यह विश्वास दिलाने में जरा भी कठिनाई नहीं होगी कि आपके पास धनराशि हाल ही में मौजूद हो।
8. आकर्षण का नियम व्यक्ति की सोच पर निर्भर करता है जितनी उसकी सोच धन प्राप्ति के प्रति साफ-सुथरी और अपने आप में धन के प्रति उसकी विचारधारा जैसी वह अपने मन में स्थापित करता है और जैसा वह धन के प्रति व्यवहार करता है उसी के अनुरूप धन की प्राप्ति होती है।
9. एक व्यापारी अर्थात बिजनेसमैन 24 घंटे अपने दिमाग में बिजनेस के बारे में विचार विमर्श और सोच विचार की विचारधारा उसके दिलो-दिमाग में प्रवाहित करता है उसी के अनुकूल आकर्षण का नियम उसकी विचारधाराओं के अनुकूल उसको वह सारे साधन लोग जो उसे अपने बिजनेस में विचार-विमर्श में उत्पन्न हुए तत्वों को पूर्ण करने के लिए आवश्यक होते हैं आकर्षण का नियम उन्हें प्रोवाइड करवाता है।
10. यह सब कैसे होता है आने वाले समय में इसके बारे में जानेंगे।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें
जब आप अपनी सोच को बदलते हैं तो आप अपनी जिंदगी को भी बदल देते हैं।