धम्मपदं : दुखों से मुक्ति और सुख शांति के जीवन का मार्ग : महाकारुणिक तथागत बुद्ध के उपदेशों का यह 'धम्मपद' अनमोल, अमृत वचन है। मानव जीवन का परम उद्देश्य होता है दुखों से मुक्ति और सुख शांति को पाना। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए यह ग्रंथ परिपूर्ण है। 'धम्मपद' 'धम्म' का सरल अर्थ है सदाचार अर्थात 'सज्जनों' द्वारा जीवन में धारण करने, पालन करने योग्य कर्तव्य। और 'पद' शब्द का अर्थ यहां 'मार्ग' माना गया है। इस प्रकार 'धम्मपद' का अर्थ होगा- धम्म यानी सदाचार (Morality) का मार्ग। ग्रंथ में 'पद' शब्द का एक दूसरा अर्थ भी माना गया है। वह अर्थ है, किसी का कथन, वचन, शिक्षा, उपदेश या वाणी। इस ग्रंथ में 'धम्मपद' का सरल अर्थ है- भगवान बुद्ध के शील सदाचार सम्बंधी उपदेश, वचन या वाणी। इस प्रकार 'धम्मपद' का अर्थ है- धम्म वचन या धम्मवाणी या धम्म देशना। आज से 2600 साल पहले भगवान बुद्ध ने, बुद्धत्व प्राप्ति के बाद 45 साल तक मध्य देश की आम बोलचाल की भाषा में 'बहुजन हिताय बहुजन सुखाय लोकानुकम्पाय' का जो संदेश और उपदेश दिय...
हमारा अस्तित्व इस पृथ्वी के सिवाय और भी जगह हैं लेकिन उसका प्रमाण अभी हमारे पास उपलब्ध नहीं है लेकिन गुरुत्वाकर्षण शक्ति जो पूरे ब्रह्मांड को बांधे रखती है वह इसका प्रमाण है कि इस ब्रह्मांड में और भी हमारी पृथ्वी जैसे स्थान मौजूद होंगे लेकिन वह स्थान हमारे दिमाग से परे है।
जब हम रात को सोते हैं तो हमारे दिमाग को हम साइलेंट मोड पर लाकर छोड़ते हैं वैसा ही सुबह जब हम जागते हैं तो हमारा दिमाग हमें साइलेंट मोड पर ही मिलता है जो एकदम तरोताजा होता है जिसके फलस्वरूप हम अच्छा महसूस करते हैं।
उसी प्रकार अगर हम रात को सोते समय हम हमारे दिमाग को कोई ऐसी प्रॉब्लम जिसका हल हमें नहीं मिल रहा है उस प्रॉब्लम को हम सोते समय उसका हल ढूंढते हुए सोते हैं तो निश्चित ही संभावनाएं बनती है कि सुबह उठते समय हमें उस प्रॉब्लम का हल मिल जाए जिसको हमने सोते समय याद किया था निश्चित रूप से उस समस्या का हल आपका दिमाग ढूंढने में सक्षम होता है और आपको उस समस्या से निजात दिलाता है।
यह सब कैसे होता है इसके बारे में आज तक पता नहीं लग पाया है कि व्यक्ति सोते समय भी जागृत कैसे रहता है जो उसके शरीर को नियंत्रण करने की क्षमता रखता है जैसे व्यक्ति सो नहीं रहा हो इसके बारे में बहुत सी किताबों में लिखा हुआ है कि व्यक्ति के सोने के बाद उसका अवचेतन मस्तिष्क जो उसके शरीर को नियंत्रण करने का कार्य करता है जब अवचेतन मस्तिष्क सोने के बाद भी जागृत रहता है तो यह माना जा सकता है कि अवचेतन मस्तिष्क की क्षमता व्यक्ति के सोने के बाद कई गुना बढ़ जाती है जिससे उसके दिमाग में सेटेलाइट की तरह ऐसी तरंगे उत्पन्न हो जाती है जो व्यक्ति को इस पृथ्वी के सिवाय इस ब्रह्मांड में विद्यमान अन्य चीजों का ज्ञान कराती है।
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