एक बड़ा लक्ष्य तय करे और उसे हासिल करने के लिए छोटे-छोटे लक्ष्य बनाएं, एक सपना देखो, किसी सपने के लिए प्रयासरत हुए बिना अपने उज्जवल भविष्य की रचना आपके लिए कदाचित संभव न हो। जो कुछ उपलब्धि चाहते हो सपनों के पीछे पड़ जाना मानव स्वभाव के ताने-बाने में विद्यमान है, क्योंकि आपने अब तक भविष्य के बारे में विचार प्रक्रिया प्रारंभ ही नहीं की है। यदि आप स्वयं को आदर्शविहीन पायें तो अपने खास सपने की खोज करें एवं भविष्य की रचना में जुट जायें। उस सपने को सच बनाने का प्रयास प्रारंभ करना ही आपका अगला कदम है। सर्वप्रथम, यह आवश्यक है कि आपने सपना देख लिया है, किन्तु यह भी सुनिश्चित करना जरूरी है कि आप उसे साकार करने में प्रयासरत हों; सुनने में यह बात ठीक लगती है किन्तु वैसा कर पाना आसान भी नहीं है। ऐसे स्वप्नदृष्टा न बनें जिसे केवल सपनों के सच होने का इंतजार रहता है। सपनों का सच होना उस दिशा में किये गये प्रयास के आकार एवं उसके लिए आपके आग्रह का ही परिणाम है। मैं नहीं चाहता कि कोई भी अपने आदशों के बारे में सपने देखते हुए जीवन-यात्रा करे। अतः लगातार स्वयं से प्रश्न करते रहें "इस सपने को सच क...
एक बार मैंने एक एक्ज़ीक्यूटिव बोर्डरूम में सबसे अमीर व्यक्तियों में से एक को ऐसी बात कहते सुना, जिसे मैं कभी नहीं भूला सका। उन्होंने कहा था, “मुझे ऐसा लगता है कि सत्यनिष्ठा दरअसल अपने आप में कोई आदर्श नहीं है, बल्कि यह तो बस वह आदर्श है, जो बाक़ी सभी आदर्शों की गारंटी देती है।” जब भी मैं कोई रणनीतिक नियोजन सत्र आयोजित करता हूँ, तो सभी एक्ज़ीक्यूटिव जिस पहले आदर्श पर एकमत होते हैं, वह है सत्यनिष्ठा या ईमानदारी। लीडर जानते हैं कि सत्यनिष्ठा, विश्वास और विश्वसनीयता ही नेतृत्व की बुनियाद हैं। लीडर जिसमें विश्वास करते हैं, उसकी पैरवी के लिए खड़े होते हैं। जॉन हंट्समैन सीनियर एक अरबपति थे, जिन्होंने शून्य से केमिकल कंपनी शुरू की और उसे 12 अरब डॉलर की कंपनी में बदल दिया। उनकी पुस्तक विनर्स नेवर चीट उनके खुद के अनुभव से ली गई कहानियों से भरी हैं, जिसमें उन्होंने अपने सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं किया। जॉन हट्समैन सीनियर कहते थे कि सत्यनिष्ठा की बदौलत ही वे इतने सफल हुए। वे लिखते हैं, "व्यवसाय या जीवन के खेल में नैतिकता का कोई शॉर्टकट नहीं होता। बुनियादी तौर पर तीन तरह के लोग होते हैं, ...