एक बड़ा लक्ष्य तय करे और उसे हासिल करने के लिए छोटे-छोटे लक्ष्य बनाएं, एक सपना देखो, किसी सपने के लिए प्रयासरत हुए बिना अपने उज्जवल भविष्य की रचना आपके लिए कदाचित संभव न हो। जो कुछ उपलब्धि चाहते हो सपनों के पीछे पड़ जाना मानव स्वभाव के ताने-बाने में विद्यमान है, क्योंकि आपने अब तक भविष्य के बारे में विचार प्रक्रिया प्रारंभ ही नहीं की है। यदि आप स्वयं को आदर्शविहीन पायें तो अपने खास सपने की खोज करें एवं भविष्य की रचना में जुट जायें। उस सपने को सच बनाने का प्रयास प्रारंभ करना ही आपका अगला कदम है। सर्वप्रथम, यह आवश्यक है कि आपने सपना देख लिया है, किन्तु यह भी सुनिश्चित करना जरूरी है कि आप उसे साकार करने में प्रयासरत हों; सुनने में यह बात ठीक लगती है किन्तु वैसा कर पाना आसान भी नहीं है। ऐसे स्वप्नदृष्टा न बनें जिसे केवल सपनों के सच होने का इंतजार रहता है। सपनों का सच होना उस दिशा में किये गये प्रयास के आकार एवं उसके लिए आपके आग्रह का ही परिणाम है। मैं नहीं चाहता कि कोई भी अपने आदशों के बारे में सपने देखते हुए जीवन-यात्रा करे। अतः लगातार स्वयं से प्रश्न करते रहें "इस सपने को सच क...
खुद के बारे में कैसा सोचते और महसूस करते हैं, उससे आपके जीवन की गुणवत्ता काफ़ी हद तक तय होती है। आपके व्यक्तित्व का भावनात्मक मूल है आपका आत्म-गौरव, जिसे इस तरह परिभाषित किया जाता है, “ आप खुद को कितना पसंद करते हैं।” आपका आत्म- गौरव काफ़ी हद तक इस बात से तय होता है कि आप अपनी पूरी क्षमता के विकास में अपने जीवन और समय का किस तरह इस्तेमाल करते हैं। आपका आत्म-गौरव तब बढ़ता है, जब आप कुशलता से काम करते हैं और आपका आत्म-गौरव तब कम होता है, जब आप कुशलता से काम नहीं करते हैं। आत्म-गौरव के सिक्के के दूसरे पहलू को 'स्व-प्रभावोत्पादकता' कहा जाता है, जिसका मतलब है कि आप खुद को कितना सक्षम, समर्थ और उत्पादक महसूस करते हैं, आप अपनी समस्याओं को सुलझाने, अपना काम करने और अपने लक्ष्य हासिल करने में कितने योग्य महसूस करते हैं। आप जितने ज़्यादा सक्षम, समर्थ और उत्पादक महसूस करते हैं, आपका आत्म गौरव उतना ही ज़्यादा ऊँचा होता है। आपका आत्म-गौरव जितना ज़्यादा ऊँचा होता है, आप उतने ही ज़्यादा उत्पादक और सक्षम बन जाते हैं। दोनों एक-दूसरे को सहारा और शक्ति देते हैं। जो लोग अपने समय का अच्छा प्रबंधन क...