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कार्ल मार्क्स और उनकी शिक्षा

दिसम्बर, 1864 में कार्ल मार्क्स ने 'प्रथम अंतर्राष्ट्रीय मजदूर सभा' का गठन किया। इसी के माध्यम से उन्होंने शेष विश्व के श्रमिक वर्ग से संगठित होने का आह्वान किया। उनका कहना था कि यदि श्रमिक वर्ग को अपने अधिकार प्राप्त करने हैं तो उन्हें संगठित होना ही होगा। वास्तव में कार्ल मार्क्स मजदूर वर्ग के मसीहा थे। उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन सामाजिक उत्थान और मजदूर वर्ग को उनका अधिकार दिलाने के लिए समर्पित कर दिया। मार्क्स ने समाजवाद का सिद्धांत तो दिया ही, साथ ही अर्थशास्त्र से सम्बंधित अनेक सिद्धांतों का भी प्रतिपादन किया। सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में दिए गए उनके महत्त्वपूर्ण योगदान को आज 'मार्क्सवाद' के रूप में याद किया जाता है। कार्ल मार्क्स के पिता हर्शल मार्क्स एक वकील थे, जो यहूदी परिवार से सम्बंध रखते थे। हर्शल मार्क्स के पिता और भाई यहूदी समुदाय के पुरोहित थे और उनकी पत्नी हॉलैंड के उस परिवार से सम्बंधित थीं, जहां यहूदियों की पुरोहिताई का कार्य होता था। कार्ल के पिता हर्शल को यहूदियों से नफरत थी, उन पर फ्रांस की महान विभूतियों रूसो और वॉल्टेयर के विचारों का भी गहरा प्र
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धन संपत्ति के मामले में आपकी सोच...?

मैंने अपने कॉलेज के वर्ष लॉस एन्जेलस के एक बढ़िया होटल में सेवक के रूप में बिताये। वहाँ एक तकनीकी कार्यकारी अतिथि के रूप में अक्सर आया करता था। वह काफ़ी प्रतिभावान था, उसने लगभग 20 वर्ष से कुछ ही अधिक की आयु में वाई- फ़ाई का एक मुख्य घटक डिज़ाइन कर पेटेंट किया था। वह कई कंपनियां शुरु करके बेच चुका था और बेतहाशा कामयाब था। धन संपत्ति के साथ उसका जो संबंध था, उसे मैं असुरक्षा और बचकानी मूर्खता का मेल कहूँगा। वह सौ डॉलर के नोटों की कई इंच मोटी गड्डी साथ लेकर घूमता था, जिसे वह हर किसी को दिखाता था, फिर चाहे वे देखना चाहते हों या नहीं। वह बिना किसी संदर्भ के अपनी धन सम्पदा की खुलकर डींग मारता, ख़ासकर जब वह नशे में धुत होता। एक दिन उसने मेरे एक सहकर्मी को कई हज़ार डॉलर की रकम दी और कहा, "गली में जो ज़वाहरात की दुकान है, वहाँ जाओ और 1000 डॉलर के कुछ सोने के सिक्के लेकर आओ।" एक घंटे बाद, हाथ में सोने के सिक्के लिये, वह कार्यकारी और उसके दोस्त एक डॉक के चारों तरफ़ इकट्ठा हो गये जो प्रशांत महासागर के सामने था। फिर उन्होंने उन सिक्कों को पानी में फेंकना शुरू कर दिया। वे उन सिक्कों को

आत्मविश्वास से बोलने की कला कैसे विकसित करें?

द गिनीज बुक ऑफ़ लिस्ट्स के अनुसार 54 प्रतिशत वयस्क सार्वजनिक रूप से बोलने के डर को मौत के डर से भी ज़्यादा डरावना मानते हैं। यह मीटिंगों में शिरकत करने और अपने समकक्षों के सामने बोलने वाले लोगों पर लागू होता है। कई मामलों में लोग इतने संकोची और भयभीत होते हैं कि वे पूरी मीटिंग में चुपचाप बैठे रहते हैं और उम्मीद करते हैं कि कोई उन पर गौर नहीं करेगा। कई बार मैं अपनी प्रस्तुतियाँ यह बताकर शुरू करता हूँ कि सार्वजनिक रूप से बोलने का डर सबसे यातना भरे डरों में से एक है और यह अक्सर लोगों को वह हासिल करने से पीछे रखता है, जो उनके लिए संभव है। मैं उनसे कहता हूँ, कि आइए मैं इस डर को प्रदर्शित करता हूँ और यह भी बताता हूँ कि यह लोगों को कैसे पीछे रोककर रखता है। फिर मैं कहता हूँ, कि "इस प्रस्तुति में बाद में मैं श्रोताओं से किसी को चुनूँगा और उसे मंच पर बुलाकर एक संक्षिप्त प्रस्तुति देने को कहूँगा कि उन्होंने क्या सीखा है और इस व्याख्यान के फलस्वरूप वे क्या अलग करने वाले हैं।" मैं श्रोताओं पर अपनी निगाह घुमाता हूँ, एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के चेहरे तक जाता हूँ, जैसे मैं यह निर्णय लेने

समय का सबसे मूल्यवान उपयोग

आपके समय का सबसे मूल्यवान उपयोग क्या है, यह समूचे समय प्रबंधन का सबसे अहम प्रश्न है, आप अपने समय और कामकाजी गतिविधियों को इसके जवाब के हिसाब से तय करेंगे, तो आप इतने ज़्यादा और इतनी जल्दी उत्पादक बन जाएँगे कि आप दंग रह जाएँगे।   सबसे मूल्यवान वित्तीय संपत्ति आपकी कमाने की योग्यता' है। पैसे कमाने की आपकी योग्यता कामकाजी संसार में आपके 80 से 90 प्रतिशत वित्तीय मूल्य का प्रतिनिधित्व करती है। खुद को 'कमाने वाली मशीन' मानें। आप जो भी काम करते हैं, वह किसी ना किसी तरह के मूल्य का योगदान देता है, या तो कम या ज़्यादा। आपका काम अपने समय के सबसे मूल्यवान उपयोग पर ध्यान केंद्रित करना है और उन चंद गतिविधियों पर लगातार काम करने के लिए खुद को अनुशासित करना है, जो आपके काम और आपकी कंपनी में सबसे मूल्यवान योगदान दें। समय के सबसे मूल्यवान उपयोग का यह चयन आपके जीवन के हर क्षेत्र पर लागू होता है। ख़ासतौर पर अगर आप बहुत मेहनत से काम कर रहे हैं, तो कई बार आपके समय का सबसे मूल्यवान उपयोग यह होता है कि आप घर जाएँ और जल्दी सोकर अच्छी नींद ले लें। कई बार आपके समय का सबसे मूल्यवान उपयोग यह होता ह

सिकंदर की रणनीति

मैं आपका परिचय इस धरती पर आज तक रहने वाले सबसे उत्कृष्ट सामरिक इंसान से करा रहा हूँ। उसका नाम सिकंदर था। एक तरह से देखें, तो सिकंदर शुरुआत में एक बड़े संगठन में कनिष्ठ मैनेजर था और वह तरक्की करते-करते ऊपर पहुँचा। सिकंदर के पिता संगठन के मुखिया थे और वे भी ज़मीनी स्तर से तरक्की करते-करते ऊपर पहुँचे थे। सिकंदर अपने पिता का बहुत बड़ा प्रशंसक था, उसने उनसे बहुत कुछ सीखा और बड़े होते समय उनके मार्गदर्शन में अध्ययन किया। सिकंदर के पास एक बड़ा संगठन बनाने के बड़े सपने और महत्वाकांक्षाएँ थीं, वह अपने पिता के संगठन से बहुत बड़ा संगठन बनाना चाहता था। मैं जिस सिकंदर की बात कर रहा हूँ, वे मैसेडॉन के सिकंदर थे, जो सिकंदर महान के नाम से मशहूर हुए। वे मानव इतिहास के पहले और चंद लोगों में से एक थे, जिन्हें उनके जीवनकाल और बाकी इतिहास में 'महान' कहा गया। जब सिकंदर की उम्र 20 साल थी, तो उनके पिता की हत्या हो गई। सिकंदर तुरंत मैसेडॉन के राजा बन गए। मैसेडोनिया उत्तरी ग्रीस का एक क़बीला था, जो आज का मैसेडोनिया है। वहाँ के लोग कठोर, जाँबाज़ और सैनिक थे। सिकंदर के पिता फिलिप के नेतृत्व में मैसेडोन